Coronavirus: जानलेवा हो सकती है प्लाज्मा थेरेपी, आइसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया सावधान

कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल के प्रति बढ़ते अति उत्साह को लेकर आइसीएमआर ने राज्य सरकार को सावधान किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 28 Apr 2020 04:19 PM (IST) Updated:Wed, 29 Apr 2020 01:55 AM (IST)
Coronavirus: जानलेवा हो सकती है प्लाज्मा थेरेपी, आइसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया सावधान
Coronavirus: जानलेवा हो सकती है प्लाज्मा थेरेपी, आइसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया सावधान

नई दिल्ली, नीलू रंजन। कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल के प्रति बढ़ते अति उत्साह को लेकर आइसीएमआर ने राज्य सरकार को सावधान किया है। आइसीएमआर के अनुसार बिना सोचे-समझे प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज मरीज के लिए घातक हो सकता है। कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कितना कारगर है, इसके सबूत जुटाने के लिए आइसीएमआर ने राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरू किया है और उसके नतीजे आने तक इसके अंधाधुंध प्रयोग से बचने की सलाह दी है। 

प्लाज्मा थेरेपी अभी ट्रायल स्‍तर पर, इलाज के कोई कोई प्रमाण नहीं 

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसके इलाज के लिए विभिन्न तरीकों पर ट्रायल कर रहे हैं, जिनमें प्लाज्मा थेरेपी भी एक है। अभी भी यह ट्रायल स्तर पर ही और इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इसके इलाज से कोरोना का मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएगा। यहां तक कि अमेरिका की फेडरल ड्रग एजेंसी भी इसे एक प्रायोगिक थेरेपी के रूप में देख रहा है। 

कई राज्‍यों ने इलाज के लिए मांगी अनुमति 

गौरतलब है कि दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों ने कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी। आइसीएमआर ने इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा कि प्लाज्मा थेरेपी शुरू करने के पहले उसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से जरूरी इजाजत लेनी पड़ेगी। कुछ बड़े अस्पतालों में कोरोना थेरेपी को कोरोना के इलाज में सफल होने के दावे के बाद राज्यों में इससे इलाज की होड़ लग गई। आइसीएमआर ने इसे घातक बताते हुए इससे बचने की सलाह दी है।

मरीज के शरीर में पैदा कर सकता है जानलेवा एलर्जिक रिएक्शन

कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की सीमाएं बताते हुए आइसीएमआर ने कहा है कि इसमें प्लाज्मा में उपलब्ध एंटीबॉडी की मात्रा और उसकी गुणवत्ता सबसे अहम है। यदि पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी उपलब्ध नहीं हुआ और उसकी गुणवत्ता भी मापदंड के मुताबिक नहीं रही, तो फिर उस प्लाज्मा की इलाज में उपयोगिता संदेहास्पद हो जाती है। यही नहीं, किसी एक व्यक्ति का प्लाज्मा दूसरे व्यक्ति में प्राणघातक एलर्जिक रिएक्शन पैदा कर सकता है, जो फेफड़े को नुकसान भी पहुंचा सकता है।

लव अग्रवाल ने फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी को ट्रायल के रूप में ही इस्तेमाल करने की कड़ी हिदायत देते हुए कहा कि आइसीएमआर इस पर राष्ट्रीय स्तर पर स्टडी शुरू किया है। स्टडी का उद्देश्य यह पता लगाना है कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के उपचार में कितना कारगर है। आइसीएमआर के गाइडलाइंस से अलग हटकर कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गैर-कानूनी माना जाएगा। 

जानिए क्‍या होती है प्लाज्मा थेरपी

प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकालकर उस व्यक्ति को चढ़ाया जाता है, जिसे कोरोना का संक्रमण हुआ है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि जो व्यक्ति कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो चुका है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। जब इसे कोरोना से जूझ रहे मरीज को चढ़ाया जाता है, तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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