एनआइटी दे डिग्री ताकि छात्र जारी रख सके आइआइएम की पढ़ाई

कोर्ट ने कहा कि मेरिट पर उठाई गई आपत्तियों और इससे 139 मामलों के प्रभावित होने के पहलू पर बाद में विचार होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 15 Jan 2017 08:09 PM (IST) Updated:Mon, 16 Jan 2017 03:09 AM (IST)
एनआइटी दे डिग्री ताकि छात्र जारी रख सके आइआइएम की पढ़ाई
एनआइटी दे डिग्री ताकि छात्र जारी रख सके आइआइएम की पढ़ाई

माला दीक्षित, नई दिल्ली। एनआइटी जैसे प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग करना और फिर मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए आइआइएम में प्रवेश पा लेना कैरियर की सारी मनोकामनाएं पूरी होने जैसा लगता है लेकिन अगर इंस्टीट्यूट बीटेक डिग्री रोक ले और आइआइएम मार्कशीट जमा न होने पर निकालने की धमकी दे तो क्या होगा। नोएडा के बिश्वदीप बरुआ के साथ यही हुआ। हालांकि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक ने बरुआ का साथ दिया है।

सुप्रीमकोर्ट ने इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरु नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग (एनआइटी) को निर्देश दिया है कि वह पहले हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक बरुआ की बीटेक डिग्री जारी करे ताकि वो आइआइएम की पढ़ाई जारी रख सके। कोर्ट ने कहा कि मेरिट पर उठाई गई आपत्तियों और इससे 139 मामलों के प्रभावित होने के पहलू पर बाद में विचार होगा।

ये अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति आर.भानुमति की पीठ ने मार्कशीट जारी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली इंस्टीट्यूट की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए। इससे पहले एनआइटी की ओर से एएसजी पी नरसिम्हा ने कहा कि हाईकोर्ट ने नियमों पर विचार किये बगैर ही बरुआ की मार्कशीट जारी करने का आदेश दे दिया है। बरुआ चौथे सैमिस्टर में एसपीआइ में जरूरी 5 अंक नहीं ला पाया था। जबकि हाईकोर्ट का कहना है कि नये नियमों से अंक जोड़े जाएं तो उसके 5.08 अंक हैं जो कि कम नहीं हैं।

नरसिम्हन ने कहा कि अगर ऐसा होगा तो 139 छात्रों पर असर पड़ेगा जिन्हें पुराने नियमों से अंक दिये गये हैं। जबकि दूसरी ओर बरुआ के वकील डीके गर्ग का कहना था कि हाईकोर्ट का आदेश ठीक है। बीटेक डिग्री तत्काल जारी की जाए। छात्र आईआईएम में पढ़ रहा है। एक सैमिस्टर पूरा कर चुका है। करीब 8 लाख फीस जमा कर चुका है। मार्कशीट नही दी गई तो उसे निकाल दिया जाएगा। कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए गर्ग से कहा कि वे हाईकोर्ट में इंस्टीट्यूट के खिलाफ अवमानना अर्जी पर जोर नहीं देंगे।

क्या है मामला

बरुआ ने आल इंडिया इंजिनियरिंग इंटरेंस एक्जाम पास कर इलाहाबाद एनआइटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में प्रवेश लिया। नियम के मुताबिक पास होने के लिए एसपीआइ और सीपीआइ में 5 या उससे अधिक अंक आने चाहिए। चौथे सैमिस्टर में उसके कम अंक आये और उसने पूरक परीक्षा दी। साथ ही बाकी सैमिस्टर पास करता चला गया।

फाइनल परीक्षा के बाद बरुआ ने कैट परीक्षा दी और उसका आईआइएम कोलकाता में चयन हुआ। उसने प्रवेश ले लिया एक सैमिस्टर भी पास कर लिया लेकिन एनआइटी ने बीटेक की फाइनल मार्कशीट जारी नहीं की। मांगने पर कहा कि चौथे सैमिस्टर में कम अंक आने के कारण वह पास नही है। बरुआ ने हाईकोर्ट में याचिका की। खंडपीठ ने बरुआ की बीटेक डिग्री जारी करने का आदेश देते हुए कहा कि जुलाई 2013 में इंस्टीट्यूट ने अध्यादेश निकाला जिसमें सी ग्रेड आने पर 6 अंक दिये जाने का नियम लागू हुआ।

इस हिसाब से बरुआ को सी ग्रेड पाने पर 6 अंक मिलेंगे और उसका एसपीआई 5.08 होगा। इंस्टीट्यूट ने पुराने नियम से बरुआ को सी ग्रेड पर 5 अंक दिये थे। इंस्टीट्यूट का कहना है कि नया नियम अगले सत्र से लागू माना जाएगा। यही तर्क लेकर इंस्टीट्यूट सुप्रीमकोर्ट पहुंचा है।

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