Nirbhaya Case: दोषी मुकेश को फांसी से मिलेगी राहत या लगेगा झटका, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला

Nirbhaya Case मुकेश ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है। साथ ही एक फरवरी के डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की है।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 08:04 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jan 2020 03:39 PM (IST)
Nirbhaya Case: दोषी मुकेश को फांसी से मिलेगी राहत या लगेगा झटका, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला
Nirbhaya Case: दोषी मुकेश को फांसी से मिलेगी राहत या लगेगा झटका, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली [माला दीक्षित] Nirbhaya Case : 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट बुधवार को इस पर अपना फैसला सुनाएगा। इस याचिका मे राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी गई है, साथ ही डेथ वारंट एक फरवरी के डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की गई है। दोनों ही मामलों में बुधवार को फैसला होगा। 

वकील का सनसनीखेज दावा- मुकेश के साथ तिहाड़ में हुआ शारीरिक शोषण

मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान फांसी की सजा पाए दोषी मुकेश की ओर से पेश वकील ने सनसनीखेज दावा किया कि उसके (मुकेश) साथ तिहाड़ जेल में शारीरिक शोषण हुआ है। वहीं, वकील ने यह भी दावा किया कि जेल में मुकेश की पिटाई भी की गई। कोर्ट में मुकेश के लिए राहत की गुजारिश करते हुए यह भी कहा कि गुनाह से नफरत करें, गुनहगार से नहीं। 

उधर, सुनवाई के दौरान सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि कभी कभार फांसी की सजा पाए दोषी की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है, ऐसे में तब फांसी नहीं दी जाती है, लेकिन मुकेश की मानसिक स्थिति ठीक है। 

मैंने नहीं किया दुष्कर्म, DNA रिपोर्ट भी नहीं पेश की गई : मुकेश

वहीं, इससे पहले दोषी मुकेश के वकील ने याचिका पर पक्ष रखते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सोच विचार नहीं किया। राष्ट्रपति के सामने मेरी डीएनए रिपोर्ट नहीं पेश की गई, जिससे यह साबित होता है कि मैंने दुष्कर्म नहीं किया। 

बता दें कि मुकेश ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी है। साथ ही एक फरवरी के डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की है। यह और बात है कि दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला अंतिम माना जाता है, बावजूद इसके मुकेश ने फांसी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से रहम की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है। 

मुकेश की याचिका पर जस्टिस आर. भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ सुनवाई कर रही है। मुकेश ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति ने दया याचिका पर ठीक से विचार नहीं किया और जल्दबाजी में उसे खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गत 14 जनवरी को मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही विनय की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी गई थी। क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद मुकेश ने दया याचिका भेजी थी।

कोर्ट ने कहा- प्राथमिकता के आधार पर होगी सुनवाई

इससे पहले सोमवार को मुकेश की वकील ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई। इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘अगर किसी को फांसी पर लटकाया जाने वाला है तो इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता। फांसी के मामले को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएगी। 

 

2012 में हुई थी निर्भया के साथ दरिंदगी

मालूम हो कि दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात पैरामेडिकल छात्रा से चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। छात्र से इस कदर दरिंदगी हुई थी कि बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से चारों अभियुक्तों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय सिंह और विनय कुमार शर्मा को मृत्युदंड दिया जा चुका है।

डेथ वारंट जारी, 1 फरवरी की सुबह 6 बजे होनी है फांसी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो चुकी है। उसके बाद ही निचली अदालत ने दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया था। निचली अदालत ने चारों दोषियों को फांसी देने के लिए एक फरवरी सुबह छह बजे का वक्त तय किया है।

17 जनवरी को खारिज हो चुकी है याचिका

निचली अदालत ने इस मामले में चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी दिए जाने के लिए एक फरवरी की तारीख तय की है। मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति गत 17 जनवरी को खारिज कर चुके हैं। हालांकि बाकी के तीन दोषियों ने अभी तक राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल नहीं की है।

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