दिल्‍ली-एनसीआर में जहरीली हवाओं से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की तैयारी

जहरीली हवाओं से दिल्ली को तुरंत निजात दिलाने के लिए सरकार अब फिर से कृत्रिम बारिश की तैयारी में है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 03 Nov 2019 10:15 PM (IST) Updated:Mon, 04 Nov 2019 10:42 AM (IST)
दिल्‍ली-एनसीआर में  जहरीली हवाओं से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की तैयारी
दिल्‍ली-एनसीआर में जहरीली हवाओं से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की तैयारी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जहरीली हवाओं से दिल्ली को तुरंत निजात दिलाने के लिए सरकार अब फिर से कृत्रिम बारिश की तैयारी में है। इसका समय तय नहीं हुआ है, लेकिन आसमान में बादलों के जमावड़े को देख इसे लेकर हलचल तेज हुई है। इसके लिए इसरो से उसका विशेष विमान भी मांगा गया है। साथ ही इस संबंध में जरूरी मंजूरी की भी प्रक्रिया शुरू की गई है। इनमें डीजीसीए (नागरिक विमानन महानिदेशालय) की मंजूरी भी शामिल है।

पिछले साल की थी तैयारी 

पिछले साल दिल्ली को जहरीली हवाओं से बचाने के लिए कृत्रिम बारिश की तैयारी की गई थी, लेकिन अंतिम समय में बादलों के दगा देने से पूरी योजना पर पानी फिर गया था। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस बार फिर से इस योजना पर काम शुरू हुआ है। इसे लेकर आइआइटी कानपुर की देखरेख में पूरी योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मौसम विभाग से भी पूरी जानकारी ली जा रही है।

कृत्रिम बारिश कोई नई विधा नहीं है। भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में इसे समय-समय पर अजमाया जाता रहा है, लेकिन प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने के उदाहरण कम हैं। चीन में प्रदूषण को कम करने में इसका इस्तेमाल काफी होता है।

भारत पहला देश होगा 

यदि इस बार तैयारी परवान चढ़ी तो भारत भी ऐसा करने वाला देश बन जाएगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की इस योजना में सरकारी एजेंसियों को ही शामिल किया गया है, इनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और वायु सेना शामिल हैं। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी के मुताबिक पूरी योजना बादलों पर निर्भर करेगी। पिछले साल भी हमारी तैयारी पूरी थी, लेकिन जिस दिन बारिश कराई जानी थी, उस दिन आसमान में बादल थे ही नहीं।

कैसे होती है कृत्रिम बारिश

कृत्रिम बारिश कराने की प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ (ड्राई आइस) का इस्तेमाल होता है। इसकी पूरी प्रक्रिया में बादलों की मौजूदगी सबसे जरूरी है।

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