हाशिमपुरा नरसंहार में 16 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा, मारे गए थे 42 लोग

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला स्थित हाशिमपुरा में 1987 में हुए नरसंहार में 16 पलिसकर्मिंयों को उम्रकैद की सजा दी गई। 42 लोगो की हत्‍या में दिल्‍ली हाई कोर्ट ने बुधवार को सजा सुनाई।

By Edited By: Publish:Tue, 30 Oct 2018 09:29 PM (IST) Updated:Wed, 31 Oct 2018 11:27 AM (IST)
हाशिमपुरा नरसंहार में 16 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा,  मारे गए थे 42 लोग
हाशिमपुरा नरसंहार में 16 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा, मारे गए थे 42 लोग

नई दिल्ली, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला स्थित हाशिमपुरा में 1987 में हुए नरसंहार के सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। हाई कोर्ट ने बुधवार को इस नरसहांर पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। हाशिमपुरा में 42 लोग मारे गए थे। कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा कि पीड़ितों को न्याय मिलने में 31 साल का समय लगा और मुआवजा भी पर्याप्त नहीं मिला। साथ ही कहा कि एक समुदाय को टारगेट करके पूरी कार्रवाई की गई।

इसके साथ कोर्ट ने सभी दोषी पुलिसकर्मियों को 120बी के उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ 10 हजार का जुर्माना भी लगाया है। मामले में कुल 19 आरोपित थे, इनमें से तीन की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है। बचे सभी 16 आरोपितों को दोषी करार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्‍त सबूत हैं। फायरिंग और पुलिस कर्मियों की एंट्री के सबूत हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों को मारा गया है। 

बता दें कि मामले में निचली अदालत ने 16 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और अन्य पक्षकारों ने चुनौती याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई पूरी कर हाई कोर्ट ने 6 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही पीठ ने राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें उन्होंने इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका की जांच की मांग की थी।

ज्ञात हो कि 21 मार्च 2015 को निचली अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए प्रोविजनल आ‌र्म्ड कांस्टेबलरी (पीएसी) के 16 पुलिसकर्मियों को 42 लोगों की हत्या के मामले में बरी कर दिया था। अदालत ने टिप्पणी की थी कि 42 लोगों की हत्या के मामले में आरोपितों की पहचान के लिए बचाव पक्ष पर्याप्त सुबूत नहीं पेश कर सका। पीड़ितों की याचिका पर सितंबर 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दिल्ली हाई कोर्ट को ट्रांसफर किया।

मामले में 19 को हत्या, हत्या का प्रयास, सुबूतों से छेड़छाड़ और साजिश रचने की धाराओं में आरोपित बनाया गया था। 2006 में 17 लोगों पर आरोप तय किए गए। मामले में अदालत ने सभी 16 आरोपितों को बरी कर दिया था, जबकि सुनवाई के दौरान एक आरोपित की मृत्यु हो गई थी।

एनएचआरसी ने मामले में दोबारा जांच की मांग की थी। वहीं, सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा पी. चिदंबरम की भूमिका की दोबारा जांच की मांग को लेकर दायर याचिका निचली अदालत ने 8 मार्च 2013 को खारिज कर दी थी। पी. चिदंबरम 1986 से 1989 तक केंद्रीय मंत्री थे। इसके बाद स्वामी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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