नक्सली हुए कमजोर मगर खतरा अब भी बरकरार

नक्सली भले कमजोर हो गए हों, लेकिन हमला करने की उनकी क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। गृह मंत्रलय से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में बुधवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह स्वीकार किया

By Sudhir JhaEdited By: Publish:Thu, 13 Nov 2014 09:36 AM (IST) Updated:Thu, 13 Nov 2014 09:52 AM (IST)
नक्सली हुए कमजोर मगर खतरा अब भी बरकरार

नई दिल्ली, जागरण क्यूरो। नक्सली भले कमजोर हो गए हों, लेकिन हमला करने की उनकी क्षमता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। गृह मंत्रलय से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में बुधवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह स्वीकार किया। गृह मंत्री के अनुसार नक्सली अब भी देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं और सरकार उन्हें पूरी तरह खत्म करने के लिए कृतसंकल्प है।

उन्होंने सांसदों को नक्सल समस्या से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों से भी अवगत कराया। बैठक में राकांपा प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया, केसी त्यागी और मुकुल राय समेत डेढ़ दर्जन से ज्यादा सांसद मौजूद थे। राजनाथ ने सांसदों से कहा, नक्सल समस्या सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है।

पिछले कुछ सालों में सरकार के प्रयासों से नक्सली बेहद कमजोर हो गए हैं और उनके संगठन के भीतर तेजी से असंतोष पनप रहा है। खासतौर पर निचले और मझोले स्तर पर काम करने वाले नक्सली नेता तेजी से मुख्यधारा में लौट रहे हैं। लेकिन, नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व अब भी संगठन को बचाने की कोशिश में जुटा है और उनके हमला करने की शक्ति पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

राजनाथ के अनुसार नक्सलियों के खिलाफ राज्यों के सहयोग से चार आयामों पर काम चल रहा है। इनमें सुरक्षा बलों की तैनाती कर नक्सली ¨हसा पर रोक लगाना, नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास योजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू करना, स्थानीय निवासियों को जमीन व जंगल में पट्टे व अन्य अधिकार सुनिश्चित करना और नक्सली मंसूबों के बारे में आम जनता को जागृत करना है। इन आयामों पर एक साथ काम किया जा रहा है और इसके नतीजे दिखने लगे हैं।

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