देश के बुरे दिन गए, जिनके आए वे चीख रहे हैं : मोदी

अच्छे दिन आएंगे के नारे के साथ केंद्र की सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार की पहली सालगिरह पर जनता को अपना रिपोर्ट कार्ड सौंपा तो नारे थोड़े बदले हुए थे। नया मंत्र था 'बुरे दिन गए।' पुरानी सरकार से तुलना करते हुए उन्होंने हर उस मुद्दे को

By Sachin kEdited By: Publish:Tue, 26 May 2015 02:05 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2015 07:53 AM (IST)
देश के बुरे दिन गए, जिनके आए वे चीख रहे हैं : मोदी

आशुतोष झा, दीनदयाल धाम (मथुरा)। अच्छे दिन आएंगे के नारे के साथ केंद्र की सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार की पहली सालगिरह पर जनता को अपना रिपोर्ट कार्ड सौंपा तो नारे थोड़े बदले हुए थे। नया मंत्र था 'बुरे दिन गए।' पुरानी सरकार से तुलना करते हुए उन्होंने हर उस मुद्दे को छुआ जो सीधे गरीबों और समाज के पिछड़े वर्गों से जुड़ा था और साबित करने की कोशिश की बुरे दिन गए। अपना किया हर वादा निभाने की याद दिलाते हुए मोदी ने सरकार की सालगिरह पर यह भी सुनिश्चित कर लिया कि जनता को उनसे कोई शिकायत नहीं है। बचे हुए चार सालों में देश को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए जनता से ताकत मांगी। साथ ही, कहा कि चीख वे रहे हैं, जिनके बुरे दिन आ गए। बुरा करने वालों के लिए अच्छे दिन नहीं आएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को सत्ता संभाली थी। इस तरह सोमवार को सरकार के एक साल पूरे हो गए। इस बीच, विरोधियों की ओर से सरकार पर कारपोरेट के साथ साठगांठ का आरोप लगाया जाता रहा है। लिहाजा मोदी ने सालगिरह मनाने के लिए ऐसे स्थान को चुना जो अंत्योदय (अंतिम आदमी का विकास) के दर्शन के प्रणेता और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली है।

सभा का नाम भी जनकल्याण सभा रखा गया। अक्सर चर्चा में रहने वाले स्मार्ट सिटी, आर्थिक सुधार, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों को उन्होंने नहीं छुआ। लेकिन भ्रष्टाचार, महंगाई, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा, जीवन ज्योति बीमा, अटल पेंशन जैसी योजनाओं पर मोदी खूब बोले। भारी गर्मी में भी उत्साहित भीड़ के बीच उन्होंने तुलनात्मक रूप से हर मुद्दे की चर्चा की।

न थको, न रुको, न झुको
मोदी ने कहा कि भगवान श्रीकृृष्ण का संदेश एक ही था, कर्मयोग का। अनवरत कर्म करते रहो। पं. दीनदयालजी का इस छोटे से गांव में जन्म हुआ था। उनका संदेश था- चरैवेति-चरैवेति। न थको, न रुको और न झुको। चलते रहो। मैं पिछले 365 दिन चैन से नहीं बैठा हूं। सत्ता के गलियारों को दलालों से मुक्त करा दिया।

भ्रष्टाचार के समाचार खत्म हुए
पिछले चुनाव को देश के इतिहास में अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि जनता ने केंद्र में बदलाव न किया होता तो देश डूब जाता। लेकिन जनता ने सरकार बदली और उसके साथ ही बुरे दिन जाने शुरू हो गए। सवालों के लहजे में उन्होंने पूछा कि रिमोट कंट्रोल, घोटाला, रोज नए भ्रष्टाचार, दामाद- बेटों के भ्रष्टाचार के समाचार खत्म हुए या नहीं...? बुरे दिन गए या नहीं? कोयले की चोरी, स्पेक्ट्रम की चोरी रुकी, दिल्ली के गलियारों में दलालों का घूमना बंद हुआ तो ...बुरे दिन गए या नहीं।

काम पर गरीबों की राय जरूरी
लगभग 50 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने संप्रग के अंतिम साल के मुकाबले आठ गुना विदेशी निवेश लाने, दुनिया में भारत की साख बनाने, मुद्रा कोष के जरिये छोटे व्यापारियों को मदद पहुंचाने, किसानों की मदद के लिए मिïट्टी परीक्षण आदि की बात की। मुद्रा कोष पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह कोष बड़े उद्योगपतियों के लिए नहीं है। यह उन छोटे लोगों के लिए है जो खुद भी रोजगार करते हैं और दूसरे के लिए भी रोजगार पैदा करते हैं। सही मायनों में सरकार बेरोजगारी से लड़ने के लिए गरीबों की ही फौज खड़ी कर रही है। स्वच्छता और 2022 तक हर सिर पर मकान के वादों की भी याद दिलाई और कहा कि 365 दिनों में वह पूरी तरह समर्पित रहे हैं, आगे भी देश को बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प हैं। एक साल में उनकी यही कोशिश रही है कि राजीव गांधी काल की तरह सरकार के 15 पैसे ही गरीबों तक न पहुंचे बल्कि पूरा लाभ नीचे तक जाए। उन्होंने कहा कि वह अपना रिपोर्ट कार्ड किसी बड़े शहर में दिखाने नहीं गए बल्कि इस छोटे से गांव में आए क्योंकि वह गरीबों, अंतिम आदमी से उनकी राय लेना चाहते हैं।

कोई शिकायत तो नहीं...
संवाद के रूप में जनता को संबोधित करने में माहिर मोदी ने यह भी सुनिश्चित कर लिया कि उनसे गरीबों को कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई शिकायत है और जनता ने हाथ उठाकर उन्हें समर्थन दिया। मोदी भी यह वादा कर गए कि नई शक्ति के साथ अब वह अगले चार वर्ष काम करेंगे जिसमें हर क्षण, हर पल देश के लिए होगा।

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