राहत शिविरों में गूंजीं किलकारियां

इधर दंगे का दर्द और उधर कोख में एक नई जिंदगी। रंज-ओ-गम के बीच शरणार्थी शिविरों में रहने वाली 25 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। प्रसव के बाद कई महिलाएं रिश्तेदारी में या जान-पहचान वालों के यहां चली गई हैं। दंगों के बाद मची अफरातफरी के बीच लोग अपने घर-बार छोड़कर भाग निकले।

By Edited By: Publish:Wed, 25 Sep 2013 01:27 AM (IST) Updated:Wed, 25 Sep 2013 01:42 AM (IST)
राहत शिविरों में गूंजीं किलकारियां

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। इधर दंगे का दर्द और उधर कोख में एक नई जिंदगी। रंज-ओ-गम के बीच शरणार्थी शिविरों में रहने वाली 25 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। प्रसव के बाद कई महिलाएं रिश्तेदारी में या जान-पहचान वालों के यहां चली गई हैं।

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दंगों के बाद मची अफरातफरी के बीच लोग अपने घर-बार छोड़कर भाग निकले। फुगाना, भौराकलां थाना क्षेत्रों के गांव बहावड़ी, लांक, लिसाढ़, खरड़, फुगाना, दाह, भड़ल, निरपुड़ा आदि के रहने वाले हजारों लोग डर के मारे घरों से पलायन कर शिविरों में आ गए। ये लोग बुढ़ाना के लुहसाणा रोड, चंदहेड़ी रोड स्थित इस्लामिया मदरसा, जौला के मदरसे, नई बस्ती के मदरसे में बने राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। इस दौरान परिवार के साथ आई कई महिलाएं गर्भवती थीं। इनमें से 25 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है।

शिविर इंतजामिया कमेटी के जौला निवासी गुलाम मोहम्मद, अब्दुल जब्बार आदि ने बताया कि शिविर में चिकित्सा की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। जौला शिविर में रहने वाली शकीला, इमराना, खातून, बानो कहती हैं, यह हमारे लिए दुख की घड़ी है। हालात खराब न होते तो हम आज अपने घर पर होते। हमें कब तक शिविरों में रहना है, हम खुद नहीं जानते। इसके विपरीत नोडल अफसर शिविर विजय मिश्रा का दावा है कि जच्चा-बच्चा के लिए शिविरों में महिला चिकित्सक तैनात हैं। महिलाओं को प्रसवकाल के लिए सरकार द्वारा जो आहार उपलब्ध कराया जाता है, वह भी दिया जा रहा है।

राहत शिविरों में आज गूंजेगी शहनाई

सांप्रदायिक हिंसा में बेघर हुए कई शरणार्थी परिवारों की बेटियों की शहनाई 25 सितंबर को राहत शिविरों में बजेगी। पहले से शादी तय होने के वजह से 27 युवतियों के निकाह राहत शिविर में संपन्न कराए जाएंगे। बेशक, घड़ी दुख की है लेकिन शादी टालने उचित नहीं समझा गया। इसके चलते अब खुशी-खुशी ये लड़कियां अरमानों के पंख लगा जीवन साथी के साथ खुशी-खुशी रुखसत होंगी। बुधवार को कस्बे के राहत शिविरों में परिवार सहित रह रही 27 युवतियों को जमीयत उलेमा के सदर हजरत मौलाना अरशद मदनी निकाह पढ़ाएंगे।

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