सेना में मुस्लिम रेजीमेंट क्यों नहीं: आजम

भारतीय सेना की कारगिल विजय में सेना के मुस्लिम जवानों को सारा श्रेय देने वाले उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खां ने सवाल उठाया है कि सेना में मुस्लिम रेजीमेंट क्यों नहीं है। गाजीपुर में कल नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा कि मोदी ने लोगों के दिल तो कांग्रेस ने देश को बांटा है। मोदी के असम पहुंचने के कुछ समय पहले वहां खूनखराब

By Edited By: Publish:Tue, 06 May 2014 10:11 AM (IST) Updated:Tue, 06 May 2014 10:12 AM (IST)
सेना में मुस्लिम रेजीमेंट क्यों नहीं: आजम

लखनऊ। भारतीय सेना की कारगिल विजय में सेना के मुस्लिम जवानों को सारा श्रेय देने वाले उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खां ने सवाल उठाया है कि सेना में मुस्लिम रेजीमेंट क्यों नहीं है। गाजीपुर में कल नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा कि मोदी ने लोगों के दिल तो कांग्रेस ने देश को बांटा है। मोदी के असम पहुंचने के कुछ समय पहले वहां खूनखराबा हुआ। वह देश संभालेंगे तो न जाने क्या होगा।

बलिया लोकसभा क्षेत्र के पखनपुरा गांव में आजम ने कहा कि सेना में जब सिख, राजपूत व गोरखा रेजिमेंट बन सकता है तो मुस्लिम रेजिमेंट क्यों नहीं। इस वर्ग को उसका हक मिलना ही चाहिए। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि हमारे देश में पर्याप्त सुबूत न होने के बावजूद वर्ग विशेष का होने के कारण एक व्यक्ति को फांसी दे दी गई। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को सुबूत के बाद भी फांसी के फंदे से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

इससे पहले के अपने बयानों को सही ठहराते हुए आजम ने कहा कि निर्वाचन आयोग हमारे ऊपर प्रतिबंध लगा रहा है जबकि भाजपा नेता अमित शाह धड़ल्ले से बोल रहे हैं। तमाम रोक के बावजूद वह अपनी बात कहते रहेंगे। अयोध्या के विवादित स्थल पर भी आजम खां टिप्पणी करने से चूके नहीं। उन्होंने कहा मंदिर व मस्जिद दोनों ही पवित्र स्थल हैं। इसे कई टुकड़े करने की बात समझ में नहीं आती है।

गुपचुप दुआ लेकर निकल गए आजम

आजम खां ने गाजीपुर से वापसी के दौरान गुपचुप तरीके से वाराणसी के मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की और चुनाव के लिए उनकी दुआ लेकर वापस हो गए। बलिया संसदीय क्षेत्र के पखनपुरा गांव में उन्होंने संबोधन तो किया मगर वीडियोग्राफी कर रही प्रशासन की टीम पर नाराजगी जताते हुए ऐसा करने से यह कहकर रोक दिया कि प्रदेश में हमारी ही सरकार रहनी है। वाराणसी में मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी से मिलने पहुंचे। फिर काजी-ए-शहर मौलाना गुलाम यासीन से मुलाकात की।

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