Monkeypox: मंकीपाक्स के लक्ष्ण वाले मरीजों को पृथक-वास में रखा जाए: केंद्र सरकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि सभी प्रदेश के अस्पतालों में मंकीपाक्स से संक्रमित या मंकीपाक्स से जुड़े संक्रमण किसी व्यक्ति में पाया जाता है तो उसे तुरंत पृथक-वास (आइसोलेशन वार्ड) में भर्ती किया जाए।

By Piyush KumarEdited By: Publish:Thu, 26 May 2022 03:07 AM (IST) Updated:Thu, 26 May 2022 03:07 AM (IST)
Monkeypox: मंकीपाक्स के लक्ष्ण वाले मरीजों को पृथक-वास में रखा जाए: केंद्र सरकार
केंद्र सरकार ने दी सलाह मंकीपाक्स के लक्ष्ण वाले मरीजों को पृथक-वास में रखा जाए। (फाइल फोटो)

 नई दिल्ली, पीटीआइ।  कोरोना के बाद अब मंकीपाक्स बीमारी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नजर विदेश से आने वाले लोगों पर है। खासकर उन देशों से आने वाले लोगों पर जहां यह बीमारी फैल रही है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे अस्पतालों को निर्देश दें कि मंकीपाक्स से संक्रमित या मंकीपाक्स के लक्षण पाए जाने वाले व्यक्ति को तुरंत पृथक-वास (आइसोलेशन वार्ड) में भर्ती किया जाए।

सूत्रों के मुताबिक, अभी तक कनाडा से आए सिर्फ एक यात्री में मंकीपाक्स के संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं, जिन्हें आइसोलेट किया गया है। हालांकि, पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (NIV) में किए गए परीक्षण के बाद यात्री से एकत्र किए गए नमूने संक्रमण के लिए नकारात्मक (Tested Negative)निकले।

मंकीपाक्स संक्रमित देशों से आए लोगों की हो स्क्रीनिंग

सूत्रों ने उस हवाईअड्डे का नाम बताने से परहेज किया जहां यात्री उतरा था। मंत्रालय ने हाल ही में हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर स्वास्थ्य अधिकारियों से निगरानी बढ़ाने और मंकीपाक्स प्रभावित देशों के रोगसूचक यात्रियों को अलग करने और उनके नमूने जांच के लिए एनआईवी (NIV) को भेजने के लिए कहा गया था।

बता दें कि इनक्यूबेशन अवधि यानी (वो समय जब बीमारी के लक्षणों का पता ना चले) आमतौर पर 7-14 दिनों की होती है, लेकिन यह 5 से लेकर 21 दिनों तक भी हो सकती है। अधिकारी के मुताबिक, इस जांच का उद्देश्य उन व्यक्तियों का पता लगाना है जो लक्षणों की कमी के कारण हवाई अड्डे पर स्क्रीनिंग के दौरान छूट गए थे।

बता दें कि ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, कनाडा और अमेरिका सहित अन्य देशों से मंकीपाक्स के मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय, इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (NCDC) के सहयोग से मंकीपाक्स के इलाज और रोकथाम के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार कर रही है।

जानिए क्या एडवाइजरी जारी की गई है

फिलहाल जो एडवाइजरी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गई है उसके मुताबिक, यदि किसी एक सकारात्मक मामले का पता चलता है, तो पिछले 21 दिनों में रोगी के संपर्कों की पहचान करने के लिए तुरंत संपर्क ट्रेसिंग शुरू की जानी चाहिए। एडवाइजरी के मुताबिक मंकीपाक्स जानवर से इंसानों में और इंसान से इंसान में भी फैल सकता है। वायरस टूटी हुई त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वसन पथ, या श्लेष्मा झिल्ली (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।

माना जाता है कि मानव-से-मानव संचरण मुख्य रूप से बड़ी श्वसन बूंदों के माध्यम से होता है, जिन्हें आमतौर पर लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है।

यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी प्रेषित किया जा सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या लिनेन के माध्यम से।

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