सहारा को मिराच की चेतावनी, मांगो माफी या भरो हर्जाना

सहारा समूह और अमेरिकी कंपनी मिराच के बीच फर्जीवाड़े की कहानी दिलचस्‍प होती जा रही है। शनिवार को अमेरिकी कंपनी ने भारतीय समूह को सख्‍त चेतावनी दी। छवि धूमिल करने के लिए उसने समूह से माफी मांगने को कहा। ऐसा नहीं करने पर मिराच ने कानूनी कार्रवाई की हिदायद दी

By T empEdited By: Publish:Sun, 08 Feb 2015 09:29 AM (IST) Updated:Sun, 08 Feb 2015 09:47 AM (IST)
सहारा को मिराच की चेतावनी, मांगो माफी या भरो हर्जाना

नई दिल्ली। सहारा समूह और अमेरिकी कंपनी मिराच के बीच फर्जीवाड़े की कहानी दिलचस्प होती जा रही है। शनिवार को अमेरिकी कंपनी ने भारतीय समूह को सख्त चेतावनी दी। छवि धूमिल करने के लिए उसने समूह से माफी मांगने को कहा। ऐसा नहीं करने पर मिराच ने कानूनी कार्रवाई की हिदायद दी है। करार की शर्तों का उल्लंघ्ान करने के लिए बतौर हर्जाना 1.30 करोड़ डॉलर की मांग की है।

मिराच कैपिटल के सीईओ सारांश शर्मा ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि क्षतिपूर्ति की राशि सहारा की ओर से जांच पड़ताल और इससे जुड़ी लागत के लिए दी गई 26 लाख डॉलर के अतिरिक्त होगी। फिलहाल शर्मा ने यह पेशकश भी की है कि मिराच अभी भी सहारा की खातिर 2.05 अरब डॉलर की सिंडिकेट लोन व्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए राजी है। समूह को यह राशि सुब्रत राय को तिहाड़ जेल से छुड़ाने के लिए चाहिए। सहारा प्रमुख सुब्रत राय लगभग एक साल से जेल में बंद हैं।

मिराच ने शर्मा की ओर से राय को लिखे पत्र को मीडिया को भी जारी किया है। इसमें सहारा की तीनों विदेशी प्रॉपर्टियों को एकमुश्त खरीदने का विकल्प भी दिया गया है। तीसरे विकल्प के तौर पर अमेरिकी कंपनी ने कहा है कि यदि सहारा औपचारिक तौर पर माफी मांगने के साथ आरोप वापस ले तो वह समूह की ओर से दी गई 26 लाख डॉलर की राशि भी वापस कर देगी। पत्र पर फिलहाल सहारा की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है।

शर्मा ने कहा कि मिराच ने सात दिन पहले ही यह राशि(26 लाख डॉलर) वापस करने की पेशकश की थी, लेकिन सहारा ने जोर दिया था कि मिराच खर्च के लिए इसे अपने पास रखे। बैंक ऑफ अमेरिका(बीओएफए) के पत्र के संदर्भ में शर्मा ने कहा कि इसमें मिराच की तरफ से फर्जीवाड़े का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि यह बैंक से सीधे सहारा के वकीलों को भेजा गया था। इसे सौदे की गारंटी के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था।

गुरुवार को बीओएफए ने साफ कर दिया था कि उसका इस सौदे से लेनादेना नहीं है। इसी के बाद पत्र को लेकर धोखाधड़ी की बात सामने आई थी शर्मा ने शुक्रवार को यह भी दावा किया था कि भारतीय समूह ने खुद भुगतान में चूक की आशंका से दो अरब डॉलर के संपत्ति के सौदे से पल्ला झाड़ा। उनका आरोप था कि सहारा समूह ने संपत्तियों की बिक्री के सौदे को बार-बार कम आंका। इसके अलावा निवेशकों, सेबी तथा अदालतों का समय बर्बाद किया।

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