बांग्‍लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज एंकर तश्‍नुवा की कहानी जान कर भर आएंगी आपकी भी आंखें

तश्‍नुवा बांग्‍लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज एंकर हैं। उन्‍होंने यहां तक का मुकाम बड़ी मुश्किलों को पार कर हासिल किया है। एक समय था जब उनके माता पिता ने ही उन्‍हें घर से चले जाने को कह दिया था।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 09 Mar 2021 03:58 PM (IST) Updated:Wed, 10 Mar 2021 07:01 AM (IST)
बांग्‍लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज एंकर तश्‍नुवा की कहानी जान कर भर आएंगी आपकी भी आंखें
बांग्‍लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज एंकर हैं तश्‍नुवा

ढाका (एएफपी)। तश्‍नुवा अनान शिशिर, ये नाम है बांग्‍लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज एंकर का। तश्‍नुवा ने बांग्‍लादेश की आजादी के 50वें वर्ष में जब पहली बार न्‍यूज पढ़ी तो ये पल देश और खुद तश्‍नुवा के लिए यादगार बन गया। इस मौके को विश्‍व महिला दिवस ने और खास बना दिया था बावजूद इसके कि तश्‍नुवा एक ट्रांसजेंडर हैं। जब न्‍यूज खत्‍म हुई तो तश्‍नुवा की आंखों में खुशी के आंसू थे। उन्‍होंने कहा कि वो अंदर से पूरी तरह से हिली हुई थीं। लेकिन एक बार बुलेटिन खत्‍म हुआ तो उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगा। इस पल ने उनके हौसले और आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाने का काम किया है और वो बेहद खुश हैं।

29 वर्षीय तश्‍नुवा ने अपने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्‍हें किशोरावस्‍था में इस बात का अंदाजा हुआ था कि उनके अंदर कुछ अजीब है। उनके मुताबिक वो कई वर्ष तक यौन हिंसा का शिकार बनी रहीं। उन्‍हें चुप रहने के लिए धमकाया डराया जाता था। वो समय दयनीय था इसलिए कई बार मन में आत्‍महत्‍या का भी ख्‍याल आया। उनके पिता ने उनसे बात करना बंद कर दिया था। वो घर छोड़कर ढाका आ गईं जहां वो बिल्‍कुल अकेली थीं। इसके बाद वो नारायणगंज चली गईं। वहां पर उन्‍होंने हारमोन थैरेपी ली और थियेटर में काम करना शुरू किया। ये सब कुछ पढ़ाई के साथ-साथ था। जनवरी में वो पब्लिक हेल्‍थ में मास्‍टर डिग्री हासिल करने वाली पहली ट्रांसजेंडर बनीं। 

उन्‍होंने बताया कि बोएशाखी टीवी ने उन्‍हें करीब ढाई माह पहले ऑडिशन के लिए बुलाया था और वहीं से इस सफर की शुरुआत हुई। उन्‍हें लगा कि इस काम में मुझे कोई दिक्‍कत नहीं होगी। उनके मुताबिक साफ उच्‍चारण की वजह से इस काम के लिए उन्‍हें चुना गया। हालांकि उनकी पढ़ाई की बात करें तो उन्‍होंने न तो इसकी कोई पढ़ाई की है और न ही इसका कोई तजुर्बा उनके पास था। उन्‍होंने कई दूसरे चैनल से भी बात की थी। लेकिन ज्‍यादातर ने उन्‍हें नजरअंदाज किया और कुछ ने उन्‍हें ऑडिशन के लिए बुलाया। उनका मानना है कि जिन्‍होंने उन्‍हें नहीं बुलाया वो कहीं न कहीं इस फैसले को लेकर हिम्‍मत नहीं जुटा सके उन्‍हें लिया जाए।

हालांकि कई ऐसे हैं जिन्‍होंने उनके साथ काम किया है लेकिन इसके बाद भी उनकी अपनी सीमाएं हैं। उन्‍हें कभी नहीं लगता था कि लोग इसको इतनी तवज्‍जो देंगे। आपको बता दें कि बांग्‍लादेश में करीब 15 लाख ट्रांसजेंडर हैं। ये लोग भेदभाव और हिंसा का शिकार हैं। इन्‍हें समाज में वो इज्‍जत नहीं मिल पाती है जिसके वो हकदार हैं। यही वजह है कि इन्‍हें या तो भीख मांगने वालों में शामिल करवा दिया जाता है या फिर जबरन देह व्‍यापार की आग में झोंक दिया जाता है। या फिर ये अपराध की गिरफ्त में आ जाते हैं।

 

अपनी इस सफल उड़ान के बाद तश्‍नुवा ने एएफपी को बताया कि एक समय था जब उनके माता-पिता ने ही उन्‍हें घर से निकल जाने को कहा था। वो अपना सामना खुद नहीं कर पा रही थीं। उसी हाल में वो घर से चली गई थीं। उन्‍होंने बताया कि वो अपने पड़ोस में खड़ी नहीं हो सकती थीं। पड़ोसी भी कहते थे कि वो किस तरह से एक आदमी की तरह बातें करती हैं। उन्‍होंने कहा कि वो कभी उनकी तरह नहीं बनना चाहती थीं। वर्ष 2013 में बांग्‍लादेश की सरकार ने ट्रांसजेंडर की अलग से पहचान करने का फैसला किया। वर्ष 2018 में उन्‍हें थर्ड जेंडर के तौर पर वोटिंग का अधिकार मिला।

तश्‍नुवा ने कहा है कि वो नहीं चाहती हैं कि किसी भी ट्रांसजेंडर को समाज की बनाई मुश्किलों को झेलना पड़े। वो चाहती हैं कि हर किसी को उनकी काबलियत के हिसाब से काम मिले और वो भी समाज में ऊंचा सम्‍मान पा सकें। उन्‍होंने बताया कि बुलेटिन खत्‍म होने के बाद स्‍टूडियो में मौजूद लोगों ने तालियां बजाई और उन्‍हें बधाई दी। वहां मौजूद अन्‍य महिला साथियों ने उन्‍हें गले लगाकर मुबारकबाद दी तो उनकी आंखें भर आईं।

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