फूल वाली पार्टी में विद्रोह की गंध, कई नेता एक मंच पर आने को तैयार

प्रत्याशी घोषित होने में देरी और गैर भाजपाई को टिकट की अटकलों से भाजपा में विद्रोह की गंध उठने लगी है। कई दावेदार एक मंच पर आने की तैयारी में हैं। वे अपने बीच में से एक ऐसा नेता चुनने का जतन कर रहे हैं, जो जातिगत आधार पर भाजपा के घोषित गैर भाजपाई प्रत्याशी को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सके।

By Edited By: Publish:Mon, 24 Mar 2014 09:40 AM (IST) Updated:Mon, 24 Mar 2014 10:18 AM (IST)
फूल वाली पार्टी में विद्रोह की गंध, कई नेता एक मंच पर आने को तैयार

अमरोहा, [अजय यादव]। प्रत्याशी घोषित होने में देरी और गैर भाजपाई को टिकट की अटकलों से भाजपा में विद्रोह की गंध उठने लगी है। कई दावेदार एक मंच पर आने की तैयारी में हैं। वे अपने बीच में से एक ऐसा नेता चुनने का जतन कर रहे हैं, जो जातिगत आधार पर भाजपा के घोषित गैर भाजपाई प्रत्याशी को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सके। बस, इंतजार है तो पार्टी की घोषणा का, जिसके बाद ये भी अपने पत्ते खोलेंगे।

अमरोहा में करीब दर्जन भर दावेदार कई महीने से पार्टी की गतिविधियां चला रहे थे। तन-मन-धन से जुटे थे। इस उम्मीद में कि टिकट मिल जाएगा। हालांकि कुछ दावेदार अभी भी पूरी तरह से लगे हैं लेकिन यह बात सभी मान रहे हैं कि एक गैर भाजपाई की एंट्री ने सबके समीकरण बिगाड़ दिए हैं। ज्यादातर अब इस कोशिश में लगे हैं, कि उनके बीच से चाहे किसी को भी टिकट मिल जाए लेकिन गैर भाजपाई को नहीं मिलना चाहिए। इसके बावजूद कई दावेदार निराश हो चुके हैं, उन्हें पूरी आशंका है कि शायद अब उनका टिकट नहीं रहा।

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इसी आशंका ने उनके अंदर विद्रोह के बीज डाल दिए हैं। कई दावेदारों ने एक राय होकर तय किया है कि भाजपा हाइकमान को कम से कम यह तो अहसास कराया ही जाए कि कार्यकर्ताओं की अनदेखी ठीक नहीं है। इसके लिए उनकी तैयारी है कि उनमें से किसी एक भाजपा के संभावित प्रत्याशी के सामने निर्दलीय को खड़ा कर दिया जाए और वह उस जाति से हो जिसके कटने से भाजपा का सबसे ज्यादा नुकसान हो। इसमें सैनी समाज पर दांव खेलने की तैयारी चल रही है, क्योंकि सैनी समाज ही सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया कर रहा है। वहीं जाट को पहले ही रालोद से टिकट मिल चुका है। गुर्जर तो संभावित प्रत्याशी हैं हीं, केवल सैनी और चौहान ही बचे हैं, जिन्हें अमरोहा में किसी भी दल ने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया है।

वहीं सैनी जाति को परंपरागत रूप से भाजपा का वोट बैंक भी माना जाता रहा है, ऐसे में कोई मजबूत सैनी यदि चुनाव में उतरा तो सबसे ज्यादा नुकसान वह भाजपा को ही पहुंचाएगा। अपनी जाति के अलावा उसे मदद करने के लिए अन्य दावेदार तैयार हैं हीं। वे बस, टिकट की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।

इधर, चौहान जाति भी पूरी तरह आक्रोशित है। वहां भी बाबा के पुतले फूंके जा रहे हैं, इसलिए उनमें से भी किसी के इस विद्रोह में शामिल होने की चर्चाएं हैं। क्षत्रियों के एक नेता पहले से ही समाज के आरक्षण के लिए बिगुल बजाए हुए हैं, इस स्थिति में उनकी भूमिका भी काफी अहम हो सकती है।

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