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बागियों को भाजपा का सख्त संदेश

सबकी सुनो, अपनी करो की राह पर निकली भाजपा ने बागियों को सख्त तेवर का संकेत दे दिया है। जसवंत सिंह, हरिन पाठक, लालमुनी चौबे, सुभाष महारिया जैसे नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी दबाव में नहीं आएगी। लिहाजा हमेशा पुरस्कार की आशा छोड़कर कभी कभी 'ना' सुनने की भी आदत डालें। कर्नाटक में श्रीराम सेना प्रमु

By Edited By: Published: Sun, 23 Mar 2014 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 24 Mar 2014 08:54 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सबकी सुनो, अपनी करो की राह पर निकली भाजपा ने बागियों को सख्त तेवर का संकेत दे दिया है। जसवंत सिंह, हरिन पाठक, लालमुनी चौबे, सुभाष महारिया जैसे नेताओं को स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी दबाव में नहीं आएगी। लिहाजा हमेशा पुरस्कार की आशा छोड़कर कभी कभी 'ना' सुनने की भी आदत डालें। कर्नाटक में श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतलिक को शामिल कराए जाने से असहज हुई पार्टी ने सभी प्रदेश इकाईयों को सतर्क और आगाह कर दिया है।

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गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले कर्नाटक में बी. श्रीरामुलू को पार्टी में शामिल किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। सुषमा स्वराज ने खुले तौर पर विरोध जताया था। बहरहाल, राजनीतिक समीकरण को देखते हुए उन्हें शामिल करा लिया गया था। लेकिन विवादित मुतलिक को शामिल कराने के बाद पैर खींचने पडे़। पार्टी के अंदर ही फिर से विवाद उठा तो खुद राजनाथ सिंह ने प्रदेश इकाई को फोन कर पूछताछ की और मुतलिक की सदस्यता रद करने का निर्देश दिया।

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बहरहाल, टिकटों को लेकर मचे घमासान पर पार्टी ने सख्त तेवर अपना लिया है। दरअसल पार्टी जानती है कि एक को खुश करने निकले तो कई और चेहरे सामने खड़े हो जाएंगे। गौरतलब है कि सुषमा ने जसवंत की व्यथा पर खेद जताया था। दूसरे ही दिन राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने ब्लॉग में जसवंत के साथ साथ दूसरों को भी जवाब दे दिया।

जेटली ने लिखा 'पार्टी कभी- कभी पुरस्कारों से पाट देती है तो कभी- कभी सभी नेताओं को समाहित करना मुश्किल होता है। ऐसे में बड़े नेताओं को 'ना' सुनने की भी आदत डालनी चाहिए। अगर टिकट नहीं मिलता है तो उसे भी मुस्कान के साथ ही स्वीकार करना चाहिए। यही पार्टी के अनुशासन और वफादारी की निशानी होती है।'

गौरतलब है कि जसवंत ने जहां निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है वहीं अहमदाबाद पूर्व से टिकट कटने के बाद हरिन पाठक भाजपा की नीतियों पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाने लगे हैं। उन्होंने अगले कुछ दिनों में अपनी अगली रणनीति पर फैसला लेने की बात कही है। बिहार के बक्सर से टिकट न मिलने पर पूर्व सांसद लालमुनी चौबे भी नाराज है और पार्टी छोड़ सकते हैं। राजस्थान के सीकर से सुभाष महरिया भी निर्दलीय उतरने की सोच रहे हैं।

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