एक्जिट पोल का चाणक्य

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। किसका एक्जिट पोल वास्तविकता के ज्यादा करीब रहा, इसका आकलन किया जाए तो चाणक्य ने 12 मई को अपने एक्जिट पोल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 340 सीटें दी थीं। सर्वेक्षणों के आधार पर छह एक्जिट पोल सामने आए थे। इनमें ओआरजी, सीवोटर, सीएसडीएस, नीलसन और सीसरो इन पांच के आकलन

By Edited By: Publish:Fri, 16 May 2014 07:38 PM (IST) Updated:Fri, 16 May 2014 08:01 PM (IST)
एक्जिट पोल का चाणक्य

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। किसका एक्जिट पोल वास्तविकता के ज्यादा करीब रहा, इसका आकलन किया जाए तो चाणक्य ने 12 मई को अपने एक्जिट पोल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 340 सीटें दी थीं। सर्वेक्षणों के आधार पर छह एक्जिट पोल सामने आए थे। इनमें ओआरजी, सीवोटर, सीएसडीएस, नीलसन और सीसरो इन पांच के आकलन में ठीक हैं लेकिन एक को जिसे पूरी तरह खारिज कर दिया गया था और जिस पर सभी हंस रहे थे वह है चाणक्य। इसने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को करीब 340 सीटें दी थी। जिसमें भाजपा को 291 सीटें थीं और कहा था कि 14 सीटें ऊपर-नीचे रह सकती हैं। ऐसा लगता है कि वीके बजाज के नेतृत्व वाला चाणक्य ही सही निकला क्योंकि भाजपा बहुमत का आंकड़ा 272 को पहले ही पार कर चुकी है।

चाणक्य के सर्वे में बसपा को तीन सीटें दी थीं। बसपा दो सीटों के साथ संघर्ष कर रही है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को 70 सीटें दी थीं जिसमें नौ सीटों से ऊपर -नीचे रहने की बात कही थी। दोपहर तक संप्रग 66 सीटों पर थी। कांग्रेस के लिए 57 सीटों का अनुमान लगाया गया था और नौ सीटें ज्यादा या कम रहने की भविष्यवाणी की गई थी। कांग्रेस 50 के करीब है।

यह पहला मौका नहीं है कि चाणक्य के चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी बिल्कुल सही साबित हुई है। इसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को 31 सीटें दी थी। आप को 28 सीटें मिली थीं। 2चाणक्य का पंजीकृत ट्रेड मार्क आरएनबी रिसर्च है और इसके कार्यालय पूरे एशिया, अफ्रीका और खाड़ी के देशों में फैले हुए हैं। उसका दावा है कि उसने पहले ब्रिटेन और अमेरिका के चुनाव परिणामों की भी सही भविष्यवाणी की थी। चाणक्य के सीईओ वीके बजाज ने एक साक्षात्कार में कहा कि हम अपने नमूनों में संख्या के साथ गुणवत्ता में भी बराबर लोगों को शामिल करने की कोशिश करते हैं। सीवोटर के यशवंत देशमुख और बजाज के प्रतिद्वंद्वी कहते हैं कि चाणक्य ने भाजपा के लिए बहुत अधिक सीटें देकर एक सुविचारित जोखिम लिया और निश्चित तौर पर उसे इसका फल मिला।

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