जी उठी सुखड़ी! जुटे हजारों हाथ तो बन गई बिगड़ी... एक फसल की जगह लहलहा उठीं तीन फसलें

बीते कई सालों से जारी पानी का संकट अब खत्‍म हो गया है और यह सब संभव हुआ है क्षेत्र के लोगों की कठिन मेहनत से। नदी सुखड़ी को फिर से लबालब करने के लिए पांच साल पहले लोगों ने संकल्‍प लिया था जो अब पूरा हो गया।

By Monika MinalEdited By: Publish:Wed, 23 Dec 2020 11:29 AM (IST) Updated:Wed, 23 Dec 2020 11:29 AM (IST)
जी उठी सुखड़ी! जुटे हजारों हाथ तो बन गई बिगड़ी... एक फसल की जगह लहलहा उठीं तीन फसलें
नदी पर लोगों ने बनाए 90 छोटे बांध

इंदौर [कुलदीप भावसार]। मध्‍यप्रदेश स्‍थित  इंदौर के समीप पहाड़ी क्षेत्र में बसे 11 गांवों के लोग बीते कई वर्षो से भीषण जल संकट का सामना कर रहे  थे। यह संकट महज के एक नदी के कारण था जो क्षेत्र का एकमात्र जलस्रोत है। दरअसल यह 'सुखड़ी' नदी सूखी पड़ी थी जिसके कारण यहां के लोग मुसीबत का सामना कर रहे थे लेकिन पांच वर्ष पहले सभी ने मिलकर सुखड़ी को सदानीरा बनाने का संकल्प लिया था। 20 हजार की आबादी में से जिसे जब समय मिला, श्रमदान करने पहुंचा और बारी-बारी से काम चलता रहा। अब सुखड़ी सदानीरा बन गई है और हजारों परिवारों का जीवन गरीबी से बाहर निकल रहा है। साथ ही नदी के जीवित हो जाने से क्षेत्र के अन्य जलस्रोत भी लबालब हो उठे है।

90 बांधों का हुआ निर्माण  

ग्रामीणों द्वारा पहाड़ी क्षेत्र में करीब एक लाख छोटे-छोटे गड्डे खोदकर वर्षाजल को रोकने की कवायद की गई। नदी के 19 किमी बहाव क्षेत्र में 90  छोटे-छोटे बांध का भी निर्माण किया गया जिसके अच्‍छे परिणाम अब सबके सामने हैं। कभी मुश्किल से केवल एक फसल लेने वाले किसान अब साल में तीन फसल पैदा कर रहे हैं। पहाड़ियों में बसे बाईग्राम, सेंडल, मेंडल, भेरूघाट, गाजिंदा, लालपुरा, तगडीपुरा जैसे कुल 11 गांवों के लोग जो कभी पीने के पानी के लिए भी तरसते थे, अब नदी को देख प्रसन्न होते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में तीन मीटर गुणा एक मीटर क्षेत्रफल के करीब एक लाख गड्डों और नदी पर बनाए गए अनेक बांध की मदद से नदी अब लबालब रहती है। 

सुखद परिवर्तन: सपने का पूरा होना 

पूरे क्षेत्र के लिए यह सुखद परिवर्तन किसी सपने के पूरा हो जाने जैसा है। एक की जगह अब तीन-चार फसल ले रहे हैं। भरपूर चारा होने से पशुपालन भी बढ़ गया है। अनेक लोग मवेशी पालने लगे हैं। जल संरक्षण का महत्व समझ में आने के बाद अब ग्रामीण पानी का दुरुपयोग भी नहीं करते। जल की उपलब्धता की वजह से अब इन गांवों में सब्जी-बागवानी भी भरपूर हो रही है। बड़े शहरों में सप्लाई करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार लाकडाउन के समय भी इन यहां से सब्जियां बड़े बाजारों तक जाती थीं। इस मिशन से जुड़े समाजसेवी सुरेश एमजी बताते हैं, यह काम आसान नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे लोग जुटते गए। अब लोगों के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव आ रहा है। ग्रामीण दिनेश चौहान कहते हैं, सुखड़ी के पुनर्जीवित होने से हमारा जीवन ही बदल गया है। आय दो से तीन गुना बढ़ गई है। यह सबका मिलाजुला प्रयास था। हर व्यक्ति ने अपने सामर्थ्‍य से इसमें योगदान दिया। अब पूरे क्षेत्र का विकास हो रहा है।

दुख भरे दिन बीते...

जिला पंचायत अध्‍यक्ष कविता पाटीदार ने बताया, 'नदी के सूख जाने के कारण पहाड़ी क्षेत्र में बसे 11 गांव वर्षो से कर रहे थे भीषण जल संकट का सामना, लौट आई खुशहाली ग्रामीणों की यह सफलता अनुकरणीय है। जलसंवर्धन का महत्व समझते हुए ग्रामीणों ने जागरूक होकर एक नदी को फिर से जीवित कर दिया। हम प्रयास करेंगे कि क्षेत्र में कहीं और भी इस तरह की संभावना हो तो उस पर कार्य किया जाए। 

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