जानें, क्यों है पुरुषों को महिलाओं की तुलना में कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा

डेली मेल के अनुसार यह अध्ययन मांटेफियोर मेडिकल सेंटर ब्रोंक्स की कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अदिति शास्त्री ने अपनी मां जयंती शास्त्री के साथ मिलकर किया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 24 Apr 2020 09:36 AM (IST) Updated:Fri, 24 Apr 2020 07:17 PM (IST)
जानें, क्यों है पुरुषों को महिलाओं की तुलना में कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा
जानें, क्यों है पुरुषों को महिलाओं की तुलना में कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा

नई दिल्‍ली, जेएनएन। यह बात तो सामने आ चुकी है कि कोरोना का संक्रमण महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक हो रहा है, और कई शोधों में इसके वाजिब कारण भी गिनाए गए हैं। इस आशय में किया गया एक शोध इन सबसे अलग वजह बताकर सबको चौंकाता है। डेली मेल के अनुसार यह अध्ययन मांटेफियोर मेडिकल सेंटर, ब्रोंक्स की कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अदिति शास्त्री ने अपनी मां जयंती शास्त्री के साथ मिलकर किया है।

जयंती शास्त्री मुंबई स्थित कस्तूरबा हॉस्पिटल फॉर इंफेक्शियस डिजीज में माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। इनका यह अध्ययन मेडिकल वेबसाइट मेडआरएक्सआइवी पर प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के मुताबिक पुरुषों के वृषण (अंडकोष) में एसीई 2 नामक प्रोटीन महिलाओं की डिंब ग्रंथि के मुकाबले अधिक पाया जाता है जो संक्रमण की मुख्य वजह है।

आंकड़े में तस्वीर

इस अध्ययन को कोरोना संक्रमित पुरुषों और महिलाओं की मृत्यु दर अनुपात से भी समर्थन मिलता है। इस वायरस की उत्पत्ति वाले देश चीन में पुरुषों की मृत्यु दर 2.8 फीसद और महिलाओं की मृत्यु दर 1.7 फीसद रही है। इसी तरह भारत में भी संक्रमण होने वाले पुरुषों का आंकड़ा 76 फीसद तथा महिलाओं में यह 24 फीसद (यानी- 3:1) रहा। स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा जारी एक डाटा के अनुसार, पुरुषों की मृत्यु दर 73 फीसद और महिलाओं की मृत्यु दर 27 फीसद रही है। ब्रिटेन में भी महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मृत्यु का आंकड़ा दोगुना रहा है।

अध्ययन का स्वरूप

कोविड-19 जब शरीर में प्रवेश करता है तो वह एसीई 2 प्रोटीन या एंजियोटेंसिन कन्वटिर्ंग एंजाइम 2 से जुड़ जाता है। यह प्रोटीन फेफड़ों, ह्रदय तथा आंतों में भी पाया जाता है। लेकिन पुरुषों में यह अंडकोष में भी ज्यादा मात्र में पाया जाता है, जबकि महिलाओं की डिम्बग्रंथि के ऊतकों में इसकी मात्र बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं द्वारा न्यूयॉर्क और मुंबई में किए गए अध्ययन में मुंबई में रहने वाले संक्रमित 48 पुरुषों और 20 महिलाओं को शामिल किया गया। पाया गया कि महिलाओं में संक्रमण खत्म होने में चार दिन लगे जबकि पुरुषों में यह समय छह दिन यानी करीब 50 फीसद ज्यादा था। पुरुषों के स्वस्थ होने में भी महिलाओं से ज्यादा समय लगे।  अध्ययन में शामिल सहभागियों की उम्र 3-75 साल और औसत उम्र 37 साल थी।

कोविड-19 का संक्रमण एसीई 2 नामक कोशिका प्रोटीन से जुड़ा है, जो अंडकोश में पाया जाता है। यह प्रोटीन महिलाओं के डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) ऊतकों में उतनी मात्र में नहीं पाया जाता है। अध्ययन बताता है कि अंडकोष कोरोना वायरस को इम्युन सिस्टम से संरक्षण प्रदान करता है और इसीलिए संक्रमण पुरुषों में ज्यादा समय तक रहता है।

कुछ अलग राय भी

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर इयान जोंस कहते हैं कि वायरस की वृद्धि का मुख्य स्थल श्वसन तंत्र है और अन्य अंगों तक पहुंचने के लिए इसे रक्त प्रवाह से गुजरना होता है। लेकिन आमतौर पर यह पता नहीं लगता कि कोरोना वायरस क्या करता है। डेली मेल के अनुसार इम्युनिटी में महिलाओं की तुलना में पुरुष कमजोर होते हैं और यह इसलिए कि पुरुषों में सिर्फ एक ही ‘एक्स’ गुणसूत्र होता है। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के मॉलिकुलर वायरोलॉजी के प्रोफेसर जोनाथन बॉल कहते हैं कि एक अलग अध्ययन में संक्रमित व्यक्ति के वीर्य में कोरोना वायरस नहीं पाया गया है। इसका संकेत है कि यह कोरोना वायरस के लिए महत्वपूर्ण कोश नहीं है। एक और अध्ययन में भी संक्रमित पुरुषों के स्वस्थ होने के दौरान वीर्य में कोरोना वायरस की मौजूदगी की जांच की गई है, जिसके परिणाम फिलहाल प्रकाशित नहीं हुए हैं।

और अध्ययनों की जरूरत

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के मेडिकल इमेजिंग के प्रोफेसर डेरेक हिल का कहना है कि इन अध्ययनों से कोई ठोस निष्कर्ष निकालने के लिए और भी डाटा की जरूरत है। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आ रही है कि बुजुगोर्ं खासकर 80 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण का ज्यादा जोखिम होता है। 

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