Madhya Pradesh : जानिए कैसे अपर आयुक्त ने महज दो दिन में कैसे बदल दिया अपना ही आदेश

न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान याचिकाकर्ता छतरपुर जिले के घुवारा के किसान रमेशचंद्र जैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी आशीषष त्रिवेदी असीम त्रिवेदी व सुधाकर मणि पटेल ने पक्ष रखा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 10:52 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 10:52 PM (IST)
Madhya Pradesh : जानिए कैसे अपर आयुक्त ने महज दो दिन में कैसे बदल दिया अपना ही आदेश
मामला वेयर हाउस गिराए जाने के आदेश से है संबंधित

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपर आयुक्त, सागर संभाग द्वारा अपना ही आदेश महज दो दिन में बदले जाने के रवैये पर जवाब-तलब किया है। मामला वेयर हाउस गिराए जाने के आदेश से संबंधित है। अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी। इसमें प्रमुख सचिव राजस्व, अपर आयुक्त सागर संभाग, एसडीओ बड़ा मलहरा और तहसीलदार घुवारा को भी नोटिस जारी किए गए हैं।

न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान याचिकाकर्ता छतरपुर जिले के घुवारा के किसान रमेशचंद्र जैन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी, आशीषष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी व सुधाकर मणि पटेल ने पक्ष रखा।

उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता का वेयर हाउस गिराने के तहसीलदार घुवारा के आदेश, प्रथम अपील को बिना सुनवाई निरस्त करने और द्वितीय अपील में अपर आयुक्त, सागर संभाग द्वारा 15 दिसंबर को यथास्थिति आदेश जारी कर अगली सुनवाई 13 जनवरी को रखे जाने के बाद अचानक दो दिन बाद बिना नोटिस या सूचना दिए 17 दिसंबर को अपना ही आदेश निरस्त कर दिया। जबकि याचिकाकर्ता ने वेयर हाउस का निर्माण विधिवत किया है। फिर भी उसे शासकीय भूमि में निर्मित दिखाकर परेशान किया जा रहा है।  

आगामी आदेश तक न गिराया जाए मकान

न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने शहडोल के एक मामले में आगामी आदेश तक मकान न गिराए जाने का अंतरिम आदेश पारित किया। इसमें अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी। याचिकाकर्ता शहडोल निवासी करणा मिश्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी, पंकज तिवारी व असीम त्रिवेदी ने दलील दी कि मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1961 की धारा-187-ए में कपाउंडिंग का प्रावधान है। साथ ही नगर पालिका अनावश्यक रूप से तोड़फोड़ करने के कठोर कदम को महज कापाउंडिंग न होने की सूरत में ही उठाने के बारे में सोचे।

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