पेट के निचले हिस्से में किडनी प्रत्यारोपित

किडनी प्रत्यारोपण अब आम बात हो गई है। किसी व्यक्ति की किडनी खराब होने पर किसी रिश्तेदार या दूसरे व्यक्ति से किडनी लेकर वह प्रत्यारोपित कर दी जाती है। लेकिन दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने हरियाणा के जींद के रहने वाले मरीज की ही किडनी निकालकर पेट

By anand rajEdited By: Publish:Mon, 15 Dec 2014 09:44 AM (IST) Updated:Mon, 15 Dec 2014 10:04 AM (IST)
पेट के निचले हिस्से में किडनी प्रत्यारोपित

नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। किडनी प्रत्यारोपण अब आम बात हो गई है। किसी व्यक्ति की किडनी खराब होने पर किसी रिश्तेदार या दूसरे व्यक्ति से किडनी लेकर वह प्रत्यारोपित कर दी जाती है। लेकिन दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने हरियाणा के जींद के रहने वाले मरीज की ही किडनी निकालकर पेट के निचले हिस्से में यूरिनरी ब्लाडर (मूत्राशय) के पास प्रत्यारोपित कर उसे नई जिंदगी दी है। डॉक्टर इसे बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। क्योंकि इस तरह की सर्जरी कम ही हुई हैं।

बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के किडनी प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. एचएस भटयाल (60) ने कहा कि मरीज को पिछले महीने से अस्पताल में भर्ती किया गया था। जब वह अस्पताल पहुंचा तो उसकी हालत नाजुक थी। उसका रक्तचाप अधिक था व पेशाब ठीक से नहीं आ रही थी। क्योंकि उसकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था। अस्पताल में डायलिसिस करने के बाद उसकी हालत स्थिर हो गई। बाद में एंजियोग्राम करने पर पता चला कि दोनों किडनी में रक्त आपूर्ति करने वाली धमनियों में कैल्शियम व वसा भर गया था। धमनियों में ब्लॉकेज होने कारण दोनों किडनी में रक्त आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। इसके चलते मरीज की दायीं ओर की किडनी खराब हो चुकी थी। हालांकि, बायीं ओर की किडनी ठीक थी। लेकिन उसके ऊपरी हिस्से से जुड़ी मुख्य धमनी का डेढ़ सेंटीमीटर हिस्सा ब्लॉक था। जिसकी वजह से यह काम नहीं कर रही थी। मगर, इसके आगे की तरफ धमनी की एक शाखा में ब्लॉकेज नहीं था। उन्होंने कहा कि किडनी से जुड़ी मुख्य धमनी के ब्लॉकेज को स्टेंट डालकर दूर करना मुमकिन नहीं था। चूंकि मरीज की बायीं किडनी ठीक थी। इसके चलते उस किडनी को निकालकर यूरिनरी ब्लाडर के पास पेल्विक में प्रत्यारोपित करने का फैसला किया गया। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो मरीज को हमेशा डायलिसिस कराना पड़ता। इससे मरीज की मुश्किलें बढ़ जाती।

नहीं पड़ेगी दवा लेने की जरूरत

किसी दूसरे व्यक्ति से किडनी लेकर प्रत्यारोपित करने पर मरीज को जीवन भर महंगी दवाएं खानी पड़ती हैं। इस मामले में ऐसा नहीं है। मरीज को दवा खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि उसी की किडनी उसके शरीर में प्रत्यारोपित की गई है।
डॉ. भटयाल ने कहा कि छह डॉक्टरों की टीम ने चार घंटे की सर्जरी में किडनी निकालकर मरीज के पेट के निचले हिस्से में प्रत्यारोपित कर दिया। यूरिनरी ब्लाडर के पास ही ऐसी जगह होती है जहां धमनी से किडनी को जोड़ा जा सकता है। किडनी प्रत्यारोपण भी इसी जगह की जाती है। उन्होंने कहा कि किडनी को स्थानांतरित करने के बाद उसमें रक्त की आपूर्ति सामान्य हो गई जिससे किडनी ने सही काम करना शुरू कर दिया।

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