अब केजीएमयू में भी गुर्दा प्रत्यारोपण
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक कदम आगे बढ़ात
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक कदम आगे बढ़ाते हुए कल अपने को खाम में शुमार कर लिया। कल केजीएमयू में गुर्दा प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया। केजीएमयू सूबे का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज हो गया है, जहा गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध हो गई। प्रदेश में अभी तक एसजीपीजीआइ व बीएचयू में प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध थी।
केजीएमयू के लिए ही नहीं कल का दिन एक ऐसे आदमी के लिए भी बहुत बड़ा दिन था, जो कि आर्थिक तंगी के चलते लाखों खर्च कर अपना गुर्दा नहीं बदलवा सकता था। उस व्यक्ति के जीवन में दो भगवान अवतरित हुए एक डॉक्टर जिन्होंने उसका गुर्दा प्रत्यारोपित किया वहीं दूसरा भगवान उसकी बहन बनकर आई, जिसने गुर्दा देकर उसकी जिंदगी में खुशिया भर दी।
अमेठी के 28 वर्षीय खुशीराम का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया। खुशीराम को उनकी बहन कुसुम 35 ने गुर्दा दिया। यूरोलॉजी विभाग के डॉ.मनमीत सिंह ने बताया खुशीराम के गुर्दे खराब हो गए थे। उनका इलाज केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ.संत पाडेय कर रहे थे। मरीज को प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह इलाज का खर्चा वहन कर सके। इसी कारण केजीएमयू ने इलाज का आधा खर्चा वहन करने का बीड़ा उठाया। शताब्दी अस्पताल में डॉक्टरों ने एसजीपीजीआइ के निदेशक व यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश कपूर की उपस्थिति में प्रत्यारोपण किया। टीम में यूरोलॉजी विभाग के डॉ.मनमीत सिंह, विभागाध्यक्ष डॉ. एसएन शखवार, ट्रासप्लाट विभाग के डॉ. विवेक गुप्ता व नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ.संत पाडेय मौजूद थे।
केडेवर ट्रासप्लाट पर होगा जोर
डॉ.मनमीत सिंह बताते हैं केजीएमयू अब केडेवर से प्राप्त किडनी ट्रासप्लाट पर ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने कहा कि लाइव प्रत्यारोपण के मुकाबले यह काफी आसान है।
कम खर्च में होगा प्रत्यारोपण
केजीएमयू के कुलपति प्रो.रवि कात ने बताया कि यह प्रोग्राम केजीएमयू में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए भी बहुत जरूरी था। अब केजीएमयू गुर्दा प्रत्यारोपण में सक्षम है। उन्होंने कहा कि खर्च आदि के विषय में विचार किया जाएगा। सरकार की मदद मिली तो इसे कम से कम खर्च में प्रत्यारोपण किया जाएगा। इससे रेजीडेंट को सीखने का मौका मिलेगा।
डॉक्टरों को मिलेगा सीखने का मौका
निदेशक एसजीपीजीआइ प्रोफेसर राकेश कपूर ने बताया कि बड़े शहरों में तो गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा है, लेकिन छोटे शहर अभी भी वंचित हैं। केजीएमयू में इसकी शुरुआत होने से डॉक्टरों को सीखने का मौका मिलेगा जिससे ज्यादा संख्या में विशेषज्ञ तैयार हो सकेंगे। डॉ. कपूर ने कहा लोहिया संस्थान भी यदि शुरुआत करना चाहे तो पीजीआइ सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि अब केडेवर से प्राप्त आर्गन का प्रत्यारोपण बढ़ाए जाने की भी जरूरत है।