कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव घाट में पिछले 6 सौ वर्षों से लग रहा मेला

तीन दिनों तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले के पहले दिन ही लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Fri, 23 Nov 2018 05:23 PM (IST) Updated:Fri, 23 Nov 2018 05:23 PM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव घाट में पिछले 6 सौ वर्षों से लग रहा मेला
कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव घाट में पिछले 6 सौ वर्षों से लग रहा मेला

रायपुर, ब्यूरो। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर छत्तीसगढ़ में खारुन नदी के किनारे महादेवघाट में 'कार्तिक मेला' आज से शुरू हो गया है। मेला स्थल पर दुकानें सज चुकी हैं और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेले के पहले दिन ही लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने सुबह से घाट में एकत्र होकर पुण्य स्नान किया और सुख शांति की कामना ईश्वर से की।

6 सौ वर्षों से लग रहे मेले को लेकर यह है मान्यता

मेले के संबंध में हटकेश्वर नाथ महादेव मंदिर के पुजारी पं.सुरेश गिरी गोस्वामी बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव ने हटकेश्वर महादेव से संतान प्राप्ति की मन्न्त मांगी थी। मन्न्त पूरी होने पर 1428 में खारुन नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया। हवन, पूजन, यज्ञ के बाद ग्रामीणों ने खेल-तमाशे का आनंद लेते हुए भोजन ग्रहण किया था। इसके बाद हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ग्रामीणों को आमंत्रित करते हैं। कालांतर में यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हो गई।

         

पहले बैलगाड़ी में सवार होकर मेला देखने आते थे लोग

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महादेव घाट पर हर साल कार्तिक मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल भी मेले में लोगों का उत्साह देखा जा रहा है। एक समय था जब यहां बैलगाड़ियों में सवार होकर दूर-दूर से लोग आते थे और दो दिनों तक यहां स्र्क कर मेले का आनंद लेते थे। अब दौर बदल गया है और लोग वाहनों में सवार होकर यहां आते हैं। इसके साथ ही लोगों की भीड़ भी पहले की तुलना में बढ़ गई है। घाट पर पूजा की दुकानों से लेकर बच्चों के खिलौने, मनोरंजन के लिए झूले व खाने-पीने की कई दुकानें सजी हैं। इसके साथ ही घाट पर आपकर्षक लाइटिंंग भी की गई है।

पुष्कर मेले की तर्ज पर कार्तिक मेला का आयोजन

एक मान्यता यह है कि राजस्थान में लगने वाले पुष्कर मेला की तर्ज पर कार्तिक मेला का आयोजन किया जाता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ से राजस्थान की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है। पुष्कर मेले में पूर्णिमा पर स्नान और पूजा में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते थे। वहां तक जाने में छत्तीसगढ़ के लोगों को कई दिन लग जाते थे। इसे देखते हुए राजा ब्रह्मदेव ने खारुन नदी के किनारे हटकेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने का निर्णय लिया। पूजन-यज्ञ में अपनी प्रजा को न्योता दिया। पूजा करने से लेकर बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले व खेल-तमाशा, नाच-गाना की व्यवस्था की गई है। पूजा में शामिल राजा ने ग्रामीणों को दान-दक्षिणा देकर विदा किया। तब से हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला का आयोजन किया जा रहा है।

             

हुआ विशेष श्रृंगार

हटकेश्वर महादेव मंदिर में शुक्रवार को सुबह महादेव की विशेष अभिषेक पूजा और महाआरती की गई। इसके बाद मेले का विधिवत शुभारंभ हुआ। श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में नदी में कार्तिक स्नान करके महादेव का दर्शन किया। इसके बाद ग्रामीण मेला घूमने का आनंद लेंगे।

राज्य में जगह-जगह लगे मेले

इधर दुर्ग में कार्तिक पूर्णिमा पर शिवनाथ नदी के तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। शाही स्नान श्रद्धालुओं ने सुख समृद्धि की कामना की। मुंगेली जिले के हरिहर क्षेत्र मदकूद्वीप में भी पूर्णिमा पर मेले का आयोजन हुआ। शिवनाथ पूजन और दीपदान किया गया।

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