कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज़ की टीपू जयंती रोकने की याचिका, जानिए क्या है विवाद

याचिकाकर्ता केपी मंजूनाथ ने कर्नाटक में अपने गृह नगर कोडगु में टीपू जयंती का आयोजन करने से रोकने की अपील की थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Tue, 07 Nov 2017 07:48 PM (IST) Updated:Tue, 07 Nov 2017 08:08 PM (IST)
कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज़ की टीपू जयंती रोकने की याचिका, जानिए क्या है विवाद
कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज़ की टीपू जयंती रोकने की याचिका, जानिए क्या है विवाद

बेंगलुरु, प्रेट्र। 'टीपू सुल्तान जयंती' समारोह राज्य भर में बेरोकटोक 10 नवंबर को मनाया जाएगा। दरअसल, इस जयंती का आयोजन रोकने संबंधी एक अंतरिम याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दिया है कि वह चार हफ्ते में याचिकाकर्ता की अपील के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करे।

याचिकाकर्ता केपी मंजूनाथ ने कर्नाटक में अपने गृह नगर कोडगु में टीपू जयंती का आयोजन करने से रोकने की अपील की थी। ताकि उनके शहर का सांप्रदायिक सद्भाव न बिगड़े। हालांकि कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एचजी रमेश और जस्टिस पीएस दिनेश कुमार ने मंगलवार को अपना फैसला तब दिया जब याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहा कि टीपू जयंती समारोह मनाने का खर्च राज्य सरकार की ओर से उठाया जाता है। खंडपीठ ने सरकार को भी चार हफ्ते में अपनी आपत्ति दर्ज करने को कहा।

मंजूनाथ ने अपनी याचिका में वर्ष 2015 में पहली बार राज्य सरकार की ओर से आयोजित टीपू जयंती में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा होने की बात कही थी। उन्होंने अपनी याचिका में कुछ ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा था कि टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल में हजारों कोडवाओं (कोडगु जिले में) की हत्या कराई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया की टीपू के शासनकाल में कोडगु में कोडावाओं का जबरन धर्मातरण कर उनसे इस्लाम कुबूल कराया गया था। टीपू एक हमलावर और तानाशाह थे और उनका महिमामंडन करना शर्म की बात है।

        

क्या है टीपू सुल्तान की जयंती का विवाद:

पिछले दिनों केन्द्रीय राज्यमंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कर्नाटक सरकार के टीपू जयंती मनाने के फ़ैसले की कड़ी निंदा करते हुए टीपू को बलात्कारी और हत्यारा बताया था। कर्नाटक में इससे पहले भी टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर विवाद हो चुका है। भाजपा नेता हेगड़े टीपू को हिंदुओं का दुश्मन बता रहे हैं।

भारतीय इतिहास में टीपू सुल्तान की छवि:

भारत के इतिहास में टीपू सुल्तान को एक बहादुर और धर्म निरपेक्ष शासक बताया गया है। टीपू ने18वीं सदी में ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था। टीपू के वजीर भी हिन्दू धर्म से थे इतिहास में टीपू की छवि एक धर्मनिरपेक्ष शासक की रही, लेकिन अब कहा जा रहा है कि टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल के दौरान लगभग 800 मंदिर तोड़े थे।

                                      

टीपू विवाद पर संघ प्रचारक राकेश सिन्हा के विचार:

टीपू विवाद पर संघ प्रवक्ता राकेश सिन्हा के मुताबिक, टीपू सुल्तान ने अपने एक पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि उसने लगभग 4 लाख हिन्दुओं को धर्मांतरण कर इस्लाम धर्म में शामिल किया है। टीपू ने अपने अन्य पत्रों में लिखा है, कैसे वो और उसके सैनिक हिन्दू और ईसाई महिलाओं से व्यवहार करते थे। जिस शासक ने देश के सैकड़ों मंदिरों और चर्च को तोड़ा हो इतिहास में उसकी व्याख्या महान शासक के तौर पर कैसे की जा सकती है

जानिए टीपू के बारे में क्या कहता है लेफ्ट:

सीपीआई के अतुल अंजान के मुताबिक, ब्रिटिश हुकूमत प्रत्येक वर्ष एक गजेटियर हर जिले से छापते थे। मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के राज्य में भी गजेटियर निकाला गया। इस गजेटियर में लिखा था, कि टीपू भारत की आजादी की बात करता है, ये अंग्रेजों को भारत से भगाने की बात करता है। इसे झुठलाया नहीं जा सकता। इतिहास टीपू सुल्तान को देशभक्त के रूप में याद रखेगा जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी। 

गौरतलब है कि मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की मई 1799 में हत्या हो गई थी। उस समय वह अपने किले श्रीरंगपत्तनम को बचाने के लिए ब्रिटेन की सेना से युद्ध कर रहे थे।

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