आजादी के 70 वर्ष: इनकी वजह से हम कर सकते हैं अपने भारतीय होने पर गर्व

आजादी से पहले और आजादी के बाद भी भारत को लूटने वालों की कोई कमी नहीं रही है। इसके बाद भ्‍ाी कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी वजह से हम अपने भारतीय हाेने का गर्व कर सकते हैं।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 13 Aug 2017 01:26 PM (IST) Updated:Mon, 14 Aug 2017 10:20 AM (IST)
आजादी के 70 वर्ष: इनकी वजह से हम कर सकते हैं अपने भारतीय होने पर गर्व
आजादी के 70 वर्ष: इनकी वजह से हम कर सकते हैं अपने भारतीय होने पर गर्व

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। भारत की आजादी के सत्‍तर वर्षों में यहां के लोगों ने काफी कुछ देखा सुना है। इसमें भारत में हुए घोटाले और ऐसी संवेदनहीन घटनाएं भी शामिल रही होंगी जिनसे हमारा सिर शर्म से झुक जाता रहा होगा। लेकिन इसी भारत में इन्‍हीं 70 वर्षों के दौरान कुछ ऐसे लोग भी हुए जिनकी वजह से हम अपने को भारतीय कहलाने में गर्व महसूस करते हैं। दरअसल, ऐसे लोग ही भारत की शान और इसकी पहचान हैं। इनमें कुछ खास नाम शामिल हैं:-

प्रोफेसर आलोक सागर:

प्रोफेसर आलोक सागर पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के प्रोफेसर रह चुके हैं। उन्‍होंने दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की हासिल की और 1977 में अमेरिका के हृयूस्टन यूनिवर्सिटी टेक्सास से डोक्‍टरेट किया। टेक्सास यूनिवर्सिटी से डेंटल ब्रांच में पोस्ट डाक्टरेट और समाजशास्त्र विभाग, डलहौजी यूनिवर्सिटी, कनाडा में फैलोशिप भी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर बन गए। प्रोफेसर सागर का पूरा परिवार भी उनकी ही तरह से वेल-क्‍वालिफाइड है। लेकिन इतना सब होने पर भी वह पिछले करीब 25 वर्षों से आदिवासियों के बीच रहकर उनके बच्‍चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। वह उन्‍हीं की तरह रहते हैं, खुद खाना बनाते हैं।

कभी आ‍लीशान जीवन जीने वाला आज महज एक धोती में साइकिल पर घूमता है। उन्‍हें कई भाषाएं आती हैं। बिना किसी की मदद से वह आदिवासियों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। उनके बारे में किसी को जानकारी भी नहीं होती अगर घोड़ाडोंगरी उपचुनाव में उनके खिलाफ कुछ लोगों द्वारा बाहरी व्यक्ति के तौर पर शिकायत नहीं की गई होती। पुलिस से शिकायत के बाद जांच पड़ताल के लिए उन्हें थाने बुलाया गया था। तब पता चला कि यह व्यक्ति कोई सामान्य आदिवासी नहीं बल्कि एक पूर्व प्रोफेसर हैं।

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दशरथ मांझी:

दशरथ मांझी को माउंटेन मैन के रूप में भी जाना जाता है। बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली। 22 वर्षों परिश्रम के बाद, दशरथ के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से 15 किलोमीटर कर दिया। यह सबकुछ उन्‍होंने बिना किसी सरकारी मदद के किया था।

आनंद सुपर '30':

आनन्द कुमार बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं। बिहार की राजधानी पटना में सुपर-30 नामक आईआईटी कोचिंग संस्थान के जन्मदाता एवं कर्ता-धर्ता है। वह रामानुज स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स नामक संस्थान का भी संचालन करते हैं। आनंद कुमार सुपर-30 को इस गणित संस्थान से होने वाली आमदनी से चलाया जाता है। वर्ष 2009 में पूर्व जापानी ब्यूटी क्वीन और अभिनेत्री नोरिका फूजिवारा ने सुपर 30 इंस्टीट्यूट पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई थी। इसी वर्ष नेशनल जियोग्राफिक चैनल द्वारा भी आनंद कुमार के सुपर 30 का सफल संचालन एवं नेतृत्व पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई थी।



समाज के गरीब तबके के बच्चों को आईआईटी जेईई की प्रवेश परीक्षा के लिए मुफ्त तैयारी कराने वाले गणितज्ञ आनंद कुमार को 2011 में प्रसिद्ध यूरोपीय पत्रिका फोकस ने असाधारण लोगों की सूची में शुमार किया है। लोकप्रिय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इतिहास, स्वास्थ्य और सामाजिक विषयों पर रोचक और ज्ञानवर्धक आलेख प्रकाशित करने वाली इतालवी पत्रिका ने अपने एक लेख में आनंद को असाधारण प्रतिभाओं में शुमार किया है। आनंद बिना किसी सरकारी मदद के ही बच्‍चों को पढ़ाने और उनको सही दिशा देने का काम कर रहे हैं।

एपीजे अब्‍दुल कलाम:

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में  कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
मिसाइल मैन के रूप में एपीजे हमेशा याद किए जाएंगे।

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होमी जहांगीर भाभा:

भाभा ने एक बार कहा था कि भारत कुछ माह में ही परमाणु हथियार बना सकता है। भाभा देश के चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक थे। उनकी मौत आज भी एक रहस्‍य है। कहा जाता है कि उनकी मौत के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी का हाथ था, क्‍योंकि वह उनसे काफी डर गया था।

ई श्रीधरन:

भारत के एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर हैं। वे 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे। उन्हें भारत के 'मेट्रो मैन' के रूप में भी जाना जाता है। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री तथा 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया। 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था। रेलवे ने उसके पुननिर्माण के लिए छह महीन का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के इंजार्च ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई। श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के भीतर काम करके दिखा दिया। भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक रेलवे सेवा कोंकण रेलवे के पीछे ईश्रीधरन का प्रखर मस्तिष्क, योजना और कार्यप्रणाली रही है। भारत की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो की योजना भी उन्हीं की देन है। उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए पद्श्री और पद्म भूषण सम्मानों से सम्मानित किया। टाइम पत्रिका ने तो उन्हें 2003 में एशिया का हीरो बना दिया।उनकी इमानदारी और उनके काम की हमेशा चर्चा होती है।

सैम मानिकशॉ :-

बांग्‍लादेश को आजाद कराने के तौर पर सैम मानिकशॉ का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इस बारे में फैसला तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का था लेकिन रणनीति सैम की थी। सैम की गिनती हमेशा से एक जांबाज अधिकारी के तौर पर की जाती रही है। उनकी इस जांबाजी का लोहा पाकिस्‍तान की फौज के जवानों ने भी माना था। वह भी उनकी सादगी के कायल थे।

डॉक्‍टर वर्गिज कुरियन:

डॉक्‍टर कुरियन का जिक्र जहन में अाते ही अमूल का जिक्र होना स्‍वाभाविक है। भारत में अमूल के साथ ही उन्‍होंने व्‍हाइट रिवोल्‍यूशन की शुरुआत की थी, जिसने दूध में भारत को आत्‍मनिर्भर बना दिया था। अपने दम पर उन्‍होंने इसकी शुरुआत की थी। उनके ही प्रयासों के चलते भारत विश्‍व का सबसे बड़ा दूध उत्‍पादक देश बना। उन्होंने लगभग 30 संस्थाओं कि स्थापना की जिसमें AMUL, GCMMF, IRMA, NDDB शामिल हैं और जो जो किसानों द्वारा प्रबंधित हैं और पेशेवरों द्वारा चलाये जा रही हैं। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF), का संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते डॉ॰ कुरियन अमूल इंडिया के उत्पादों के सृजन के लिए जिम्मेदार थे।



अमूल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी की उन्होंने प्रमुख दुग्ध उत्पादक राष्ट्रों मैं गाय के बजाय भैंस के दूध का पाउडर उपलब्ध करवाया।  उनकी उपलब्धियों के परिणाम स्वरुप 1965 में उन्‍हें तत्‍कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का संस्थापक अध्यक्ष नियुक्त किया था। विश्व में सहकारी आंदोलन के सबसे महानतम समर्थकों में से एक, डॉ॰ कुरियन ने भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में लाखों लोगों को गरीबी के जाल से बहार निकाला है। उन्‍हें पद्म विभूषण (भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान), विश्व खाद्य पुरस्कार और सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैगसेसे पुरस्कार सहित कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया था

इंदिरा गांधी:

कभी देश में आपातकाल लगाने को लेकर इंदिरा गांधी को तानाशाह कहा गया तो कभी उन्‍हें दुर्गा का अवतार बताया गया। इंदिरा गांधी ने बांग्‍लादेश को आजाद कराने के लिए भारतीय फौज भेजने और स्‍वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार चलाने जैसे बड़े फैसले अपनी काबलियत के दम पर ही लिए थे। इसके अलावा राकेश शर्मा के रूप में एक मात्र अंतरिक्ष यात्री उन्‍हीं के समय में चांद तक पहुंचा था। दुनिया ने उन्‍हें आयरन लेडी का नाम दिया था। भारतीय इतिहास में दमदार नेताओं की सूची में उनका नाम लिया जाता है।

कल्पना चावला:

कल्‍पना अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर 1997 स्‍पेस शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस- 87 से शुरू हुआ। अपने इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष में 360 से अधिक घंटे बिताए। 16 जनवरी 2003 को उन्‍हें दूसरी बार अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला था। लेकिन मिशन से वापसी के दौरान उनका स्‍पेस शटल कोलंबिया हादसे का शिकार हो गया जिसमें सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। कल्‍पना के साथ यह यात्रा कमांडर रिक डी हसबैंड, पायलट विलियम एस मैकूल, कमांडर माइकल पी एंडरसन, इलान रामों, डेविड एम ब्राउन और लौरेल बी क्लार्क के लिए अंतिम साबित हुई।
 

 

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