15 महीने पहले ही PoK में 'सर्जिकल स्ट्राइक' की तैयारी कर ली गई थी

पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने बताया कि मीडिया के एक प्रश्न ने उन्हें काफी परेशान किया और उसके बाद पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की गई थी।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Sat, 01 Jul 2017 02:33 PM (IST) Updated:Sat, 01 Jul 2017 04:17 PM (IST)
15 महीने पहले ही PoK में 'सर्जिकल स्ट्राइक' की तैयारी कर ली गई थी
15 महीने पहले ही PoK में 'सर्जिकल स्ट्राइक' की तैयारी कर ली गई थी

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। 29 सितंबर 2016 शायद ही कोई भारतीय इस तारीख को भूलेगा। यह वही तारीख है जिस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसी दिन भारतीय सेना के कुछ जवान अदम्य पराक्रम दिखाते हुए पीओके में घुसे और आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया था। देशभर में इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना के जयकारे लग रहे थे और मोदी सरकार भी जय-जयकार हो रही थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी में 15 महीने का वक्त लगा था।

मीडिया के प्रश्न ने कचोटा
पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने बताया कि मीडिया के एक प्रश्न ने उन्हें काफी परेशान किया और उसके बाद पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की गई थी। यह प्रश्न एक टीवी एंकर ने सूचना प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ से साल 2015 में म्यांमार सीमा पर हुए एंटी इनसर्जेंसी ऑपरेशन के बाद पूछा था। फिलहाल गोवा के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल रहे मनोहर पर्रीकर ने बताया की पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी 15 महीने पहले मणिपुर में उग्रवादियों के दुस्साहस के बाद म्यांमार सीमा पर की गई कार्रवाई के बाद शुरू की गई थी।

मणिपुर में उग्रवादियों का दुस्साहस
4 जून 2015 को एनएससीएन-के उग्रवादी संगठन ने भारतीय सेना के 6 डोगरा रेजिमेंट के कानवॉय को निशाना बनाया था। मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने भारतीय सेना पर घात लगाकर हमला किया और इस हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। पर्रीकर ने आगे कहा, 'जब मुझे इस घटना के बारे में पता चला तो, मुझे बहुत बुरा लगा। सिर्फ 200 आतंकवादियों के एक छोटे से आतंकी संगठन द्वारा 18 डोगरा सैनिकों की जान लेने की घटना भारतीय सेना के लिए शर्मनाक घटना थी। हम लोगों ने लगातार बैठकें की और पहली सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में निर्णय लिया।'

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म्यांमार बॉर्डर पर भारतीय सेना का ऑपरेशन
पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय सेना की ऐसी पहली कार्रवाई नहीं थी। इससे पहले साल 2015 में भारतीय सेना ने ऐसा ही एक अभियान म्यांमार सीमा पर भी चलाया था। उग्रवादियों के दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा पर कार्रवाई की। मनोहर पर्रीकर ने बताया, '8 जून की सुबह हमने म्यांमार सीमा पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया और 70-80 उग्रवादियों को मार गिराया।' उन्होंने कहा, 'यह कार्रवाई बेहद सफल रही। इस दौरान सिर्फ एक भारतीय सैनिक का खून बहा और वह भी सैनिक के पैर पर जोंक चिपक गई थी इसलिए।' पर्रीकर ने बताया कि इस कार्रवाई में हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं किया गया था, उसे सिर्फ स्टैंडबाई पर रखा गया था। हालांकि मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई थी। मीडिया में तो मारे गए उग्रवादियों की संख्या 158 तक भी बतायी गई थी, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी। बता दें कि 1999 के कारगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना की यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी।

वह सवाल जिसने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की नींव रखी
म्यांमार सीमा पर इस कार्रवाई से जवानों का मनोबल काफी ऊपर था। देश में मोदी सरकार की भी वाहवाही हो रही थी। एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ सैन्य सर्च ऑपरेशन के बारे में समझा रहे थे। लेकिन इसी बीच न्यूज एंकर ने उनसे प्रश्न पूछा, क्या आपके अंदर पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान बॉर्डर) पर भी ऐसा ही करने की हिम्मत और क्षमता है? मनोहर पर्रीकर बताते हैं, 'इस प्रश्न ने मुझे काफी चोट पहुंचाई।' वे कहते हैं, 'उस समय मैंने बड़ी गंभीरता से उस सब को सुना और सोच लिया कि समय आने पर इसका जवाब जरूर दूंगा।'

9 जून 2015 को बनाई पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना
मनोहर पर्रीकर याद करते हुए बताते हैं कि पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की नींव 9 जून 2015 को रखी गई थी। उन्होंने कहा, 'हमने इसकी तैयारी 15 महीने पहले ही शुरू कर दी थी। इसके लिए अतिरिक्त बलों को ट्रेनिंग दी गई। प्राथमिकता के आधार पर हथियार लिए गए।'

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आखिरकार वह दिन भी आ गया
15 महीने की तैयारी के बाद आखिरकार वह दिन भी आ गया। 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना के जवान एलओसी पार करके पीओके में घुसे और सीमा रेखा के आसपास आतंकियों के कई लॉन्च पैड ध्वस्त कर दिए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस सर्जिकल स्ट्राइक में 35-50 के बीच आतंकी मारे गए थे।

पहली बार वेपन लोकेटिंग रडार तकनीक का इस्‍तेमाल 

पर्रीकर ने बताया, 'डीआरडीओ द्वारा विकसित स्वाथी वेपन लोकेटिंग रडार को पहली बार सितंबर 2016 में ही इस्तेमाल किया गया। इसके जरिए पाकिस्तानी सेना के 'फायरिंग यूनिट' को लोकेट किया गया। इसकी मदद से पाकिस्तानी सेना की 40 फायरिंग यूनिट को नेस्तनाबूत किया गया।' हालांकि बता दें कि इस सिस्टम को सेना में सर्जिकल स्ट्राइक के तीन महीने बाद शामिल किया गया था।

सर्जिकल स्ट्राइक से पहले
भारतीय सेना की पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने से करीब 11 दिन पहले 18 सितंबर 2016 को 4 आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के उरी में आर्मी बेस पर हमला किया और इस हमले में 19 सैनिक शहीद हुए। दोनों देशों के बीच रिश्ते पहले से ही अच्छे नहीं थे और भारत सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी भी करीब 15 महीने से कर ही रहा था। उरी हमले ने आग में घी का काम किया और भारतीय सेना ने आखिरकार जगह निर्धारित कर अपनी चुनी हुई तारीख 29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे दिया।

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