भाजपा और कांग्रेस के लिए नया 'कुरूक्षेत्र' बनेगा दक्षिण भारत

कांग्रेस ने कर्नाटक के चुनाव में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को फिर से अपना चेहरा बनाने का एलान कर दिया।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Thu, 01 Jun 2017 06:33 PM (IST) Updated:Fri, 02 Jun 2017 03:17 PM (IST)
भाजपा और कांग्रेस के लिए नया 'कुरूक्षेत्र' बनेगा दक्षिण भारत
भाजपा और कांग्रेस के लिए नया 'कुरूक्षेत्र' बनेगा दक्षिण भारत

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। जिस तरह से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी दक्षिण भारत के दौरे पर हैं और भाजपा ने भी इन राज्यों को खास तवज्जों दी है उसके बाद ऐसा लगता है दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के बीच महामुकाबले के लिए ये राज्य रणभूमि बनने वाला है। 

कर्नाटक में होगा बड़ा घमासान

एक तरफ जहां कांग्रेस कर्नाटक में अपने आखिरी सियासी किले को बचाने की पूरी कोशिश करेगी तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा वहां कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठा राज्य सरकार उखाड़ने की पूरी कोशिश करेगी। कर्नाटक में इस साल के आखिर में 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। फिलहाल, भाजपा के पास 44 सीटें है।

सिद्दारमैया vs येदियुरप्पा

कांग्रेस ने कर्नाटक के चुनाव में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को फिर से अपना चेहरा बनाने का एलान कर दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर से तत्काल मंत्री पद छोड़ने को कहा गया है, जिससे वह संगठन पर फोकस कर सके। सोनिया और राहुल ने कर्नाटक के चुनावी चेहरे तय करते वक्त मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी संदेश दे दिया है। सूबे की सत्ता बचाने के लिए पार्टी हाईकमान सिद्दरमैया को ही सबसे दमदार माना जा रहा है। पंजाब के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य है जहां मुख्यमंत्री उम्मीदवार कांग्रेस ने पहले घोषित किया है। जबकि भाजपा ने भी ऐलान कर दिया है कि बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में वह अगला चुनाव वहां पर लड़ेगी।

हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार और दक्षिण भारत के राजनीति में ख़ास पकड़ रखनेवाले आर. राजगोपालन ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया कि इस बार कांग्रेस का वहां दोबारा आना इसलिए मुश्किल हैं क्योंकि कर्नाटक की राजनीति में एक बार जिसकी सरकार रहती है वह अगली बार सत्ता में नहीं आती है।

तेलंगाना से कांग्रेस को है काफी उम्मीद

तेलंगाना कांग्रेस के नेता अंशुमान राव के मुताबिक नया राज्य बनाने में सोनिया गांधी की सबसे निर्णायक भूमिका को यहां की जनता बखूबी कबूल करती है, इसीलिए कांग्रेस और सोनिया को लेकर लोगों में सद्भाव है। ऐसे में राहुल गांधी की प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने की पहल का पार्टी को फायदा होगा। उनका मानना है कि टीआरएस का विकल्प कांग्रेस ही होगी। राव यह भी दावा करते हैं कि राहुल के तेलंगाना से अभियान शुरू करने से कांग्रेस को तोड़ने की भाजपा की योजना पर भी पानी फेरा जा सकेगा।

तेलंगाना में कुल 119 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से भाजपा के पास 5 सीटें हैं, जबकि यहां लोकसभा की कुल 17 सीटें हैं जिसमें से भाजपा के पास सिर्फ 1 सीट है। भाजपा ने पहले ही यहां तेलंगाना सरकार के खिलाफ पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण में बढ़ोत्तरी के मामले पर घेरना शुरु कर दिया है। हालांकि, आर. राजमणि का कहना है कि कांग्रेस ने कभी गंभीरता से दक्षिण राज्य को नहीं लिया जिसके चलते वहां की 135 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के लिए अब पांच सीटें लाना भी मुश्किल हो गया है।

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आन्ध्र प्रदेश में खोई ज़मीन हासिल करने की कोशिश

अपने अभियान के तहत कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल चार जून को आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस की खोई जमीन हासिल करने की पहल शुरू करेंगे। आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग अभी तक लंबित रहने को वह मुद्दा बनाएंगे। राहुल ने इस मुद्दे को गरम करने के लिए विपक्ष के अन्य दलों के नेताओं को साथ लेने का भी दांव चला है। लेकिन, राजनीतिक विश्लेषक आर. राजमणि का मानना है कि राज्य में कोई मजबूत कद्दावर नेता नहीं होने के चलते कांग्रेस का फिर से पुराने रंग में आना यहां पर मुश्किल है। जबकि, भाजपा यहां पर क्षेत्रीय दलों के साथ अपनी पैठ जमाने की कोशिश करेगी।

तमिलनाडु में भी कांग्रेस की राह नहीं आसान

3 जून को राहुल चेन्नई में द्रमुक प्रमुख करुणानिधि के जन्म दिन के मौके पर विपक्षी नेताओं की जमघट का हिस्सा होंगे। इस अवसर पर ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कई अन्य राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के समारोह में आने की संभावना है।

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