अब सरहद पार से परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर, चीनी व पाक पोतों पर रखी जा सकेगी नजर

भारत अंतरिक्ष में अपनी दूसरी आंख स्थापित करने जा रहा है। इस रडार इमेजिंग सेटेलाइट द्वारा किसी भी मौसम में एक मीटर की दूरी पर स्थित दो वस्तुओं की सटीक पहचान की जा सकेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 07 May 2019 10:54 AM (IST) Updated:Tue, 07 May 2019 11:11 AM (IST)
अब सरहद पार से परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर, चीनी व पाक पोतों पर रखी जा सकेगी नजर
अब सरहद पार से परिंदा भी नहीं मार सकेगा पर, चीनी व पाक पोतों पर रखी जा सकेगी नजर

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के बालाकोट में छह आतंकी शिविरों में से पांच पर भारतीय लड़ाकू विमानों ने अचूक निशाना लगाया, सिर्फ एक लक्ष्य पर निशाना सटीक नहीं बैठा। अब ऐसा नहीं होगा। आगामी 22 मई को भारत अंतरिक्ष में अपनी दूसरी आंख स्थापित करने जा रहा है। इस रडार इमेजिंग सेटेलाइट (रीसैट-2बीआर1) द्वारा किसी भी मौसम में एक मीटर की दूरी पर स्थित दो वस्तुओं की सटीक पहचान की जा सकेगी। इसी शृंखला के पूर्व में भेजे गए सेटेलाइट के इनपुट से ही भारत ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक किया था और जैश-ए-मुहम्मद के कैंपों को तबाह किया था।

रीसैट-2बीआर1
भारत की अंतरिक्ष में दूसरी आंख कहे जाने वाले इसरो के इस आधुनिक रडार इमेजिंग सेटेलाइट को 22 मई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से छोड़ा जाएगा।

खूबियों से लैस
इस शृंखला के पूर्व में भेजे गए सेटेलाइट से यह काफी उन्नत है। इसकी इमेजिंग और सर्विलांस क्षमता काफी अधिक है। इसका एक्स बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) रात दिन किसी भी मौसम में काम करेगा। बादलों के बीच भी लक्ष्य के पहचान की क्षमता है। धरती पर एक मीटर के दायरे में चीजों की स्पष्ट पहचान में सक्षम है। एक दिन में धरती पर मौजूद किसी वस्तु की यह दो या तीन बार तस्वीर ले सकेगा। इसीलिए गुलाम कश्मीर में आतंकी कैंपों और सीमा पार कर घुसपैठ करने वाले आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखने में इसे ब्रह्मास्त्र माना जा रहा है।

समुद्र का भी चीरेगा सीना
भारतीय सीमाओं को हर ओर से सुरक्षित रखने में इसका अहम योगदान होगा। जिस तरह से चीन हिंद महासागर में भारत की घेरेबंदी कर रहा है उससे उसके युद्धपोतों पर नजर रखने में इस सेटेलाइट की बड़ी भूमिका होगी। अरब सागर में पाकिस्तानी पोतों पर भी इसकी टकटकी होगी। आपदा प्रबंधन में भी इसका प्रभावी उपयोगिता साबित होगी।

26/11 के बाद महसूस हुई जरूरत
मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकी हमले के बाद रीसैट-1 पर रीसैट-2 कार्यक्रम को वरीयता दी गई। वजह यह थी कि इसमें इजरायल निर्मित ज्यादा उन्नत रडार प्रणाली लगी थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता में गुणात्मक वृद्धि के लिए इसे 20 अप्रैल, 2009 को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया। धरती से 536 किमी की ऊंचाई पर यह सेटेलाइट रात-दिन भारतीय सीमाओं की निगहबानी कर रहा है।

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