Chandrayaan-2: दुरुस्त सेहत के साथ सही रास्ते पर बढ़ रहा चंद्रयान-2

इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया यान की सेहत दुरुस्त है। अभियान के बारे में कोई आधिकारिक अपडेट नहीं जारी किया गया है क्योंकि अभी इसकी जरूरत नहीं है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 23 Jul 2019 11:03 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jul 2019 11:59 PM (IST)
Chandrayaan-2: दुरुस्त सेहत के साथ सही रास्ते पर बढ़ रहा चंद्रयान-2
Chandrayaan-2: दुरुस्त सेहत के साथ सही रास्ते पर बढ़ रहा चंद्रयान-2

बेंगलुरु, प्रेट्र। 'बाहुबली' के कंधों पर सवार होकर चांद की ओर कूच करने वाले चंद्रयान-2 की सेहत दुरुस्त है और यह बिलकुल सही रास्ते पर बढ़ रहा है। देश के दूसरे चंद्र अभियान की रवानगी के दूसरे दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। सोमवार को दोपहर 2:43 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे बड़े रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके3) ने चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरी थी। उड़ान के 16 मिनट 23 सेकंड बाद रॉकेट ने यान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था।

इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया, 'यान की सेहत दुरुस्त है। अभियान के बारे में कोई आधिकारिक अपडेट नहीं जारी किया गया है, क्योंकि अभी इसकी जरूरत नहीं है। कुछ छोटे पड़ाव हैं, जिनके बारे में सही वक्त आने पर जानकारी दी जाएगी।'

चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं- ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। ऑर्बिटर सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। वहीं लैंडर और रोवर चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग करेंगे। सात सितंबर को चांद पर लैंडर-रोवर की लैंडिंग के साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद पर अपना यान उतारा है।

2008 में भारत ने चंद्रयान-1 भेजा था। यह ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय इसी अभियान को जाता है। चंद्रयान-2 इसी खोज को आगे बढ़ाते हुए वहां पानी और अन्य खनिजों के प्रमाण जुटाएगा। चंद्रयान-2 इसलिए भी खास है, क्योंकि इसके लैंडर-रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव के जिस हिस्से पर उतरेंगे, अब तक वहां किसी देश का यान नहीं उतरा है। चांद के इस हिस्से पर पृथ्वी और हमारे सौरमंडल के विकासक्रम से जुड़े कई राज छिपे होने की उम्मीद है।

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