भारत का होगा अपना जीपीएस सिस्टम, IRNSS-1G का सफल प्रक्षेपण

श्रीहरिकोटा लॉन्चिंग सेंटर से नेविगेशनल सेटेलाइट IRNSS1G को प्रक्षेपित किया गया। इसके साथ ही भारत का अब अपना जीपीएस सिस्टम होगा।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Thu, 28 Apr 2016 07:40 AM (IST) Updated:Thu, 28 Apr 2016 10:35 PM (IST)
भारत का होगा अपना जीपीएस सिस्टम, IRNSS-1G का सफल प्रक्षेपण

नई दिल्ली (एएनआई)। नेविगेशनल सेटेलाइट सीरीज के अंतिम उपग्रह IRNSS-1G के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अब अमेरिका और रूस की कतार में खड़ा हो गया है। अमेरिका के जीपीएस और रूस के ग्लानोस की तरह भारत भी अब जगहों की सटीक जानकारी दे सकेगा। यही नहीं अब भारत की भौगोलिक सीमा से 1500 किमी दूर तक के इलाकों के बारे में भी सटीक जानकारी हासिल हो सकेगी।

IRNSS-1G का सफल प्रक्षेपण-देखें तस्वीरें

आइआरएनएसएस- 1G सेटेलाइट को सतीश धवन स्पेस रिसर्च सेंटर से दोपहर 12.50 पर प्रक्षेपित कर दिया गया। सेटेलाइट को धरती की कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी सी-33 की मदद ली गई।

राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने नेविगेशनल सेटेलाइट के सफल प्रक्षेपण पर वैज्ञानिकों को बधाई दी। पीएम ने कहा कि हमें अपने रास्ते खुद तलाशने होंगे। कैसे जाना है, कहां पहुंचना इसके लिए हम अपने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेंगे।

With this successful launch, we will determine our own paths powered by our technology. This is a great gift to people from scientists: PM

— PMO India (@PMOIndia) April 28, 2016
उन्होंने कहा कि भारत के सातों नेविगेशनल सेटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो चुके हैं। पीएम ने सेटेलाइट के सफल प्रक्षेपण को खुद देखा।

क्यों खास है IRNSS1G ?

आइआरएनएसएस 1जी सेटेलाइट पर दो पे-लोड ले तैनात हैं। जिसमें नेवीगेशनल और रेंजिंग पे-लोड शामिल हैं। इस सेटेलाइट की अवधि 12 साल है। इससे पहले प्रक्षेपित आइआरएनएसएस सीरीज के छ सेटेलाइट के काम शुरू करने के साथ ही भारत के पास भी जीपीएस जैसी खुद की सुविधा उपलब्ध होगी। इस सीरीज के पूरे होने के बाद हम किसी भी जगह की सटीक जानकारी हासिल कर सकेंगे। यही नहीं भारत की भौगोलिक सीमा से 1500 किमी दूर की जगहों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके जरिए दो तरह की सुविधाएं मिलेंगी, स्टैंडर्ड पोजिश्निंग सर्विस सभी ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी। जबकि प्रतिबंधित सेवाओं का इस्तेमाल कुछ खास लोग ही कर सकेंगे।

इंडियन रिजनल नैविगेशन सेटेलाइट सिस्टम में सात उपग्रह हैं। जिससे नौवहन प्रणाली को ज्यादा सटीकता और लक्षित स्थान हासिल हो सकेगा। आईआरएनएसएस प्रणाली के संचालन के लिए चार उपग्रह पर्याप्त हैं लेकिन शेष तीन इसे ज्यादा सटीक और प्रभावी बनाएंगे।

अंतरिक्ष में एक और छलांग IRNSS 1-F का हुआ सफल परीक्षण

आइआरएनएसएस अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लानोस, यूरोप के गैलीलियो और चीन के बीडोउ के समान है। आइआरएनएसएस शृंखला का पहला सेटेलाइट जुलाई 2013 में लांच किया गया था।

देखेंः Pics: इसरो द्वारा अभी तक भेजे गए नेविगेशन उपग्रहों पर एक नजर

10 मार्च को छठे उपग्रह का हुआ था प्रक्षेपण

इसरो के नेविगेशनल सेटेलाइट की लॉन्चिंग के साथ ही भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है। जिनके पास अंतरिक्ष विज्ञान की महारत हासिल है। इसरो का कहना है कि आइआरएनएसएस 1जी के सफल प्रक्षेपण और काम शुरू करने के साथ ही आइआरएनएसएस सीरीज का काम पूरा हो गया है।

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