नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में इस्तीफा देने वाले आइपीएस ने कही अब ये बड़ी बात

बुधवार को उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि नागरिकता संशोधन बिल संविधान की मूल विशेषताओं के खिलाफ है और वह इसकी निंदा करते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 09:51 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 09:59 PM (IST)
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में इस्तीफा देने वाले आइपीएस ने कही अब ये बड़ी बात
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में इस्तीफा देने वाले आइपीएस ने कही अब ये बड़ी बात

मुंबई, प्रेट्र। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के विरोध में इस्तीफा देने वाले महाराष्ट्र काडर के आइपीएस अधिकारी अब्दुर्रहमान ने गुरुवार को आरोप लगाया कि यह विधेयक भारत की संकल्पना और मुसलमानों के खिलाफ है।

राज्य मानवाधिकार आयोग में पुलिस महानिरीक्षक के तौर पर तैनात रहे 1995 बैच के आइपीएस अधिकारी रहमान ने विधेयक के विरोध में बुधवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को इस्तीफा सौंपा है। वहीं, एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि रहमान ने अगस्त में वीआरएस के लिए आवेदन दिया था और फैसले के इंतजार में हैं। इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर सताए गए गैर मुसलमानों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान है। 

जाति और धर्म के आधार पर देश को बांटेगा यह विधेयक: रहमान 

खास बातचीत में रहमान ने कहा, 'यह जाति और धर्म के आधार पर देश को बांटेगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ गरीब व वंचित वर्ग के लिए यह सबसे ज्यादा नुकसानदेह है, इसलिए मैंने भारत के धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु लोगों से इस विधेयक का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने का आह्वान किया है।'

उन्होंने कहा कि गैर मुसलमान जो दस्तावेज नहीं पेश कर पाएंगे उन्हें शरणार्थी घोषित करते हुए भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी, जबकि मुसलमानों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

बता दें कि बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होते ही मुंबई में विशेष आइजीपी के रूप में तैनात अब्दुर्रहमान ने बयान जारी कर कहा था कि वह गुरुवार से कार्यालय नहीं जाएंगे। यह विधेयक भारत के धार्मिक बहुलवाद के खिलाफ है। उन्होंने कहा था कि मैं सभी न्यायप्रिय लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे लोकतांत्रिक तरीके से विधेयक का विरोध करें।

इसके साथ ही रहमान ने कहा था कि सदन में विधेयक पारित होने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने गलत तथ्य, तर्क और भ्रामक सूचनाएं दीं हैं। इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। इस विधेयक के पीछे की मानसिकता मुस्लिमों में डर फैलाना और देश का विभाजन करना है। यह विधेयक अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।

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