रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी, अक्टूबर से ट्रेनों में आसानी से मिलेगी कन्फर्म सीट; रेलवे अपनाएगी ये तकनीक

रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक अक्टूबर तक पांच हजार डिब्बों को इस नई तकनीक से बदल दिया जाएगा। इससे ट्रेन में सीटें तो बढ़ेंगी ही साथ में रेलवे को करोड़ों रुपये बचत भी होगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 10 Jul 2019 11:54 PM (IST) Updated:Thu, 11 Jul 2019 11:40 PM (IST)
रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी, अक्टूबर से ट्रेनों में आसानी से मिलेगी कन्फर्म सीट; रेलवे अपनाएगी ये तकनीक
रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी, अक्टूबर से ट्रेनों में आसानी से मिलेगी कन्फर्म सीट; रेलवे अपनाएगी ये तकनीक

नई दिल्ली, प्रेट्र। ट्रेन से यात्रा करने वाले लोगों को आमतौर पर आरक्षित सीटें नहीं मिलने की शिकायत रहती है, लेकिन अक्टूबर से रेल यात्रियों की यह शिकायत कुछ हद तक दूर होने की उम्मीद बढ़ गई है। अक्टूबर से ट्रेनों में रोजाना अतिरिक्त चार लाख सीटें मिलेंगी।

यह सब हो सकेगा नई तकनीक के अपनाने से। इस तकनीक के जरिए ट्रेन में ओवरहेड तार से बिजली सप्लाई की जाएगी और जनरेटर कोच की जगह स्लीपर कोच लगेंगे। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

रेलवे अपनाएगी ये तकनीक

अब आपको बताते हैं ऐसा कैसे संभव होगा। अभी ज्यादातर ट्रेनों में दो जनरेटर कोच लगे होते हैं, जिसमें से एक से डिब्बों में बिजली सप्लाई की जाती है और दूसरे को रिजर्व में रखा जाता है। भारतीय रेल अब नई तकनीक अपना रही है, जिसे 'हेड ऑन जनरेशन' के नाम से जाता है। इसमें इलेक्ट्रिक इंजन को जिस ओवरहेड तार से बिजली की सप्लाई की जाती है, उसी तार से डिब्बों में भी बिजली दी जाएगी। पैंटोग्राफ नामक उपकरण लगाकर इंजन के जरिए ही ओवरहेड तार से डिब्बों में बिजली सप्लाई की जाएगी। इससे ट्रेन में जनरेटर कोच की जरूरत नहीं रह जाएगी। हालांकि, आपात स्थिति के लिए एक जनरेटर कोच ट्रेन में लगा रहेगा। एक जनरेटर कोच की जगह स्लीपर कोच लगाया जाएगा। इस तरह ट्रेन की लंबाई बढ़ाए बिना ही एक कोच बढ़ जाएगा।

पांच हजार डिब्बों को नई तकनीक से बदला जाएगा

अधिकारियों के मुताबिक, अक्टूबर तक पांच हजार डिब्बों को इस नई तकनीक से बदल दिया जाएगा। इससे ट्रेन में सीटें तो बढ़ेंगी ही रेलवे को डीजल के मद में खर्च किए जाने वाले सालाना छह हजार करोड़ रुपये की बचत भी होगी। जनरेटर से ट्रेन में बिजली सप्लाई में बिना एसी के डिब्बे में प्रतिघंटे 40 लीटर डीजल की खपत होती है, जबकि एसी कोच को बिजली सप्लाई देने में हर घंटे करीब 65-70 लीटर डीजल खर्च होता है।

नई तकनीक पर्यावरण के अनुकूल भी होगी, क्योंकि न तो इससे ध्वनि प्रदूषण होगा और न वही वायु प्रदूषण। इससे हर ट्रेन से कार्बन उत्सर्जन में भी हर साल 700 टन की कमी आएगी।

माल ढुलाई से रेलवे की कमाई में बढ़ोत्तरी

गोयल ने बताया कि पिछले तीन साल से माल ढुलाई और उससे रेलवे की कमाई में बढ़ोत्तरी का रुख है। एक सवाल के जवाब ने उन्होंने कहा कि रेलवे को 2018-19 में माल ढुलाई से 1.27 लाख करोड़ की कमाई हुई थी, जबकि 2017-18 में 1.17 लाख करोड़ और 2016-17 में 1.04 लाख करोड़ की कमाई हुई थी।

दिव्यांगजनों के लिए 30 फीसद स्टेशनों पर सुविधा

पीयूष गोयल ने सदन को बताया कि देश के 30 फीसद रेलवे स्टेशनों पर दिव्यांगजनों की सुविधा के मुताबिक, रैंप और अवरोध मुक्त प्रवेश की व्यवस्था है। देश के 8700 रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए रैंप और स्लोप रास्ते बनाए गए हैं, ताकि दिव्यांग यात्री आसानी से ट्रेन तक पहुंच सकें।

रेलवे का निजीकरण नहीं : गोयल

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि भारतीय रेलवे के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि रेलगाड़ियों के परिचालन के लिए निजी कंपनियों की भागीदारी समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

गोयल ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि निजी कंपनियों द्वारा परिचालन के लिए अभी तक किसी भी विशिष्ट यात्री गाड़ी की पहचान नहीं की गई है। बहरहाल सूत्रों के मुताबिक, रेलवे ने नई दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस को इस काम के लिहाज से चिह्नित किया है, लेकिन इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

रेलवे में 2.94 लाख पदों को भरने की प्रक्रिया जारी

सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि इस साल एक जून तक रेलवे में 2.98 लाख पद रिक्त थे। इनमें से 2.94 लाख पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सदन को बताया कि पिछले एक दशक में रेलवे में 4.61 लाख से ज्यादा लोगों को नियुक्त किया गया। उन्होंने कहा कि रिक्त पदों पर बहाली एक सतत प्रक्रिया है। मंत्री ने बताया कि 1991 में रेलवे में 16.54 लाख कर्मचारी थे जो 2019 में घटकर 12.48 लाख रह गए,लेकिन इससे रेलवे की सेवा पर कोई असर नहीं पड़ा है।

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