वायु सेना ने परखी परमाणु युद्ध की अपनी क्षमता, 13 दिन तक चला अभ्यास
अभ्यास का उद्देश्य वायु सेना की क्षमता को परखने के साथ जैविक, रासायनिक व परमाणु युद्ध से निपटने के तरीके भी विकसित करना था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। डोकलाम विवाद के बाद चीन शांत होकर नहीं बैठा है और एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर पाक लगातार हरकतें कर रहा है। लिहाजा भारतीय सेना को भी अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए। 13 दिनों तक चले वायु सेना के अभ्यास में साफ दिखा कि आज के परिप्रेक्ष्य में परमाणु युद्ध होता है तो वायु सेना उससे कैसे निपटेगी।
आठ से लेकर 20 अप्रैल तक चले अभ्यास में वायु सेना ने कुछ वैसे ही हालातों में परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता का आकलन किया जो चीन व पाकिस्तान से मेल खाती हैं। अगर एक ही समय में दो तरफा लड़ाई छिड़ जाए तो किस तरह से मुकाबला किया जाएगा, इस दौरान इस पर भी फोकस रखा गया। सूत्रों का कहना था कि स्वदेश में निर्मित छोटे लड़ाकू विमान तेजस की क्षमता को कई बार परखा गया। आठ तेजस इस दौरान इस्तेमाल में लाए गए। छह में से हर एक ने रोजाना छह छोटी उड़ानें भरीं। इन्हें सुखोई, मिराज 2000 व मिग 29 की तरह से इस्तेमाल में लाया गया।
अभ्यास का उद्देश्य वायु सेना की क्षमता को परखने के साथ जैविक, रासायनिक व परमाणु युद्ध से निपटने के तरीके भी विकसित करना था। एक अधिकारी का कहना है कि परिणाम संतोषजनक रहा। इस दौरान जहाज रोधी मिसाइलों ब्रह्मोस व हारपून को भी शामिल किया गया। 13 दिनों में कुल 11 हजार छोटी उड़ानें विमानों ने भरी, जिनमें से नौ हजार लड़ाकू विमानों से की गई। सैन्य अभ्यास के दौरान हर तरह की स्थिति में लड़ने की क्षमता को परखा गया। इसमें लद्दाख, रेगिस्तान व समुद्री इलाके भी शामिल रहे। सबसे ज्यादा जोर इस बात पर रहा कि युद्ध के समय लड़ाकू विमान व हथियारों को कितनी जल्दी तैयार किया जा सकता है। जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की उपलब्धता 97 फीसद रही तो लड़ाकू विमान की तैयारी की दर 80 फीसद तक रही।