कानूनी मध्यस्थता के क्षेत्र में बड़ा हब बनेगा भारत, मध्यस्थता परिषद का होगा गठन

मौजूदा समय में देश में कुल 36 मध्यस्थता संस्थान ही है।

By Kishor JoshiEdited By: Publish:Thu, 08 Mar 2018 08:21 PM (IST) Updated:Thu, 08 Mar 2018 08:21 PM (IST)
कानूनी मध्यस्थता के क्षेत्र में बड़ा हब बनेगा भारत, मध्यस्थता परिषद का होगा गठन
कानूनी मध्यस्थता के क्षेत्र में बड़ा हब बनेगा भारत, मध्यस्थता परिषद का होगा गठन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आने वाले दिनों में कानूनी मध्यस्थता के लिए भारत को दूसरे देशों की ओर नहीं देखना होगा। अब वह खुद ही मध्यस्थता के क्षेत्र में एक बड़े हब के रुप में तैयार होगा। इस क्षेत्र में भारी संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने इसे बड़े स्तर पर विकसित करने का फैसला लिया है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक मध्यस्थता परिषद का गठन किया जाएगा। यह मध्यस्थता संस्थानों की गुणवत्ता और रैकिंग देने को लेकर काम करेगा। दुनिया में मौजूदा समय में लंदन और सिंगापुर मध्यस्थता के एक बड़े हब माने जाते है।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा में बताया कि सरकार संसद के इसी सत्र में ही मध्यस्थता कानून में बदलाव को लेकर एक विधेयक ला रही है। इसके तहत मेडिकल काउंसिल की तर्ज पर एक मध्यस्थता परिषद (आर्बिटेशन काउंलिस) का गठन किया जाएगा। जिसके अध्यक्ष सुप्रीम या हाईकोर्ट के न्यायाधीश होंगे।

इसके अलावा कानूनी क्षेत्र के दो सदस्यों सहित छह लोगों की एक टीम होंगी। मौजूदा समय में देश में कुल 36 मध्यस्थता संस्थान ही है। नए बदलावों के बाद प्रत्येक कोर्ट के पास मध्यस्थता देने वाले संस्थानों की एक सूची मौजूद रहेगी, जो रैकिंग के आधार पर ही इन संस्थानों को चयन कर सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए रोजगार की संभावनाओं का एक बड़ा क्षेत्र होगा।

14 राज्यों में नहीं है मध्यस्थता की कोई व्यवस्था

हाईकोर्ट को दिए निर्देश में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि बिहार, मध्यप्रदेश सहित देश के 14 राज्यों में मौजूदा समय में कानूनी मध्यस्थता की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में इन राज्यों के हाईकोर्ट से कहा गया है कि वह जब तक नया मध्यस्थता कानून नहीं बन जाता है, तबतक वह अस्थाई तौर पर एक मध्यस्थता कमेटी का गठन किया जाए।

कामार्शियल कोर्ट से पहले अब लोक अदालत में होगी सुनवाई

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि वह कामार्शियल कोर्ट विधेयक में बदलाव करने जा रहे है। इसके तहत अब ऐसे सभी पहले लोक अदालत में रखें जाएंगे, यदि वहां फैसला नहीं नहीं हुआ, तब इन्हें कामार्शियल कोर्ट के सामने रखा जाएगा। इसके साथ ही मुंबई, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में भी अब कामार्शियल कोर्ट गठित होंगे। वहीं किस कोर्ट में कितनी कीमत तक के विवादित मामलों की सुनवाई होगी, इस मामले में राज्यों को पूरी स्वायत्ता दी जाएगी।

chat bot
आपका साथी