श्रीलंका को हर मुसीबत से बचाने में जुटा भारत, दवा और चिकित्सा सामग्री की किल्लत से जूझ रहे अस्पतालों को दी जाएगी मदद

भारत श्रीलंका की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। सरकार की नेबरहुड फ‌र्स्ट की नीति को इस बात से समझा जा सकता है कि कोलंबो की यात्रा पर गए जयशंकर ने प्रोटोकाल की परवाह किए बिना वहां के अस्पतालों को मदद देने की मुहिम शुरू कर दी।

By Amit SinghEdited By: Publish:Wed, 30 Mar 2022 02:03 AM (IST) Updated:Wed, 30 Mar 2022 06:08 AM (IST)
श्रीलंका को हर मुसीबत से बचाने में जुटा भारत, दवा और चिकित्सा सामग्री की किल्लत से जूझ रहे अस्पतालों को दी जाएगी मदद
भारत की ओर से श्रीलंकाई अस्पतालों को दी जाएगी मदद (एएनआई)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो: पड़ोसी देश श्रीलंका को संकट की घड़ी में मदद करने में भारत कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। नेबरहुड फ‌र्स्ट की नीति को लागू कर रही नरेन्द्र मोदी की सरकार श्रीलंका को मदद देने को लेकर कितनी तत्पर है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि कोलंबो की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रोटोकाल की परवाह किए बिना ही वहां के अस्पतालों को मदद देने की मुहिम शुरू कर दी।

श्रीलंकाई अस्पतालों को मदद पहुंचाने के निर्देश

जयशंकर को जैसे ही इस बात का पता चला कि श्रीलंका के अस्पतालों में दवा व चिकित्सा सामग्रियों की किल्लत है तो उन्होंने बगैर कोई देरी किए भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले को संबंधित विभागों से संपर्क साधने व मदद पहुंचाने को कहा। जयशंकर ने यह कदम श्रीलंका के एक पत्रकार की तरफ से इंटरनेट मीडिया पर दी गई जानकारी के आधार पर उठाया। उसमें चिकित्सा सामग्रियों की किल्लत की वजह से पेरादेनिया अस्पताल में सर्जरी रोकने की सूचना दी गई थी। ‘जयशंकर ने ट्वीट किया कि वह इस सूचना से व्यथित हैं और उच्चायुक्त बागले को पेरादेनिया अस्पताल को मदद पहुंचाने को कहा है।’

श्रीलंका की यात्रा पर हैं जयशंकर

जयशंकर अभी श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। सोमवार को उन्होंने श्रीलंका के विदेश मंत्री जीएल पेरिस से द्विपक्षीय वार्ता की थी और दोनों नेताओं के समक्ष आपसी सहयोग के छह समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें श्रीलंका के दो सौ विद्यालयों में कंप्यूटर लगाने और भारतीय नागरिकों के लिए बनाए गए आधार कार्ड की तर्ज पर ही श्रीलंका के नागरिकों के लिए डिजिटल पहचान पत्र बनाने की योजना शुरू करना भी शामिल है। इसके अलावा श्रीलंका में फिशरीज हार्बर बनाने की एक परियोजना भी शामिल है। साथ ही भारत को जाफना के तीन द्वीपों में हाइब्रिड पावर प्रोजेक्ट लगाने की योजना भी है। यह हाल के दिनों में श्रीलंका सरकार की तरफ से भारतीय कंपनियों को जाफना क्षेत्र में दी गई चौथी परियोजना है। भारत की मदद से तैयार होने वाली परियोजनाओं को लेकर मौजूदा राजपक्षे सरकार का रवैया उदासीन रहता था, लेकिन आर्थिक संकट में फंसने के बाद उसका नजरिया बदला दिख रहा है।

Disturbed to see this news. Am asking High Commissioner Baglay to contact and discuss how India can help.@IndiainSL #NeighbourhoodFirst https://t.co/jtHlGwxCBL

— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 29, 2022

दो हजार करोड़ रपये से ज्यादा की मदद दे चुका है भारत

पिछले कुछ महीनों में भारत कुल 2.4 अरब डालर (दो हजार करोड़ रपये से अधिक) की वित्तीय मदद श्रीलंका को दे चुका है। वहां की सरकार ने एक अरब डालर का अतिरिक्त कर्ज (बेहद आसान शर्तों पर) और मांगा है जिस पर भारत ने सहानुभूतिपूर्वक से विचार करने का आश्वासन दिया है।

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