S-400 से थर्राए चीन-पाकिस्‍तान, भारतीय सेना में शामिल होने को तैयार, जानें- खूबियां

Russian-Indian intergovernmental commission on military and technical cooperationअभी एस-400 भारतीय सेना में शामिल नहीं हुआ है लेकिन चीन-पाकिस्‍तान की बेचैनी बढ़ गई है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Wed, 06 Nov 2019 09:34 AM (IST) Updated:Thu, 07 Nov 2019 08:35 AM (IST)
S-400 से थर्राए चीन-पाकिस्‍तान, भारतीय सेना में शामिल होने को तैयार, जानें- खूबियां
S-400 से थर्राए चीन-पाकिस्‍तान, भारतीय सेना में शामिल होने को तैयार, जानें- खूबियां

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । आज मॉस्‍को में होने वाली 19वें भारत-रूस इंटरगर्वमेंटल कमिशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेनिकल कॉपोरेशन Russian-Indian intergovernmental commission on military and technical cooperation की बैठक होनी है। इस बैठक में रूस की एस-400 मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने पर भी चर्चा होगी। यह रूसी मिसाइल अक्‍टूबर 2020 में शामिल होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय मॉस्‍को में हैं। वह इस बैठक में हिस्‍सा लेंगे। बता दें कि दोनों देशों के बीच एस-400 पर करार अक्‍टूबर 2018 में हुआ था। यह सौदा करीब 543 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 40 हजार करोड़ रुपये है। भारत की नजर इसी सौदे पर टिकी है। 

S-400 की खूबियों से पाकिस्‍तान और चीन की बेचैनी बढ़ी  अभी एस-400 S-400 भारतीय सेना में शामिल नहीं हुआ है, लेकिन चीन और पाकिस्‍तान की बेचैनी बढ़ गई है। उनकी यह बेचैनी अनायास नहीं है। इसके खासियत जान कर आप भी दंग रह जाएंगे। भारतीय सेना को इसका बेसब्री से इंतजार है। एस-400 रूसी सेना का रक्षा कवच के रूप में जाना जाता है। अब यह भारत की सेना में शामिल होगा।

इसकी खूबी यह है कि यह एक बार में दुश्‍मन पर एक साथ 36 प्रहार कर सकता है। इसके मिसाइल सिस्‍टम में 12 लांचर हैं। यह दुश्‍मनों की मिसाइलों पर रक्षा कवच है। यह चीन और पाकिस्‍तान की 36 न्‍यूक मिसाइलों एक साथ संभाल सकता है। यह चार सौ किलोमीटर की दूरी से आ रही मिसाइल को निशाने पर जाने से पहले ध्‍वस्‍त कर सकती है। यह अमेरिका की सबसे एडवांस एफ 35 को गिराने में सक्षम है। एस-400 एक साथ 100 से लेकर 300 लक्ष्‍यों को चिह्नित कर सकता है। दुश्‍मन की किसी भी हमले को यह 600 किलोमीटर दूरी पर चिह्नित करके उस पर हमला करने में सक्षम है। इतना ही नहीं, वह दुश्‍मन के इरादे को भांप कर 400 किलोमीटर पहले ही प्रहार करके नष्‍ट करने में सक्षम होगा।  यह दुश्मन के इलाके में एक समय में तीन अलग-अलग मिसाइलें दागने में सक्षम होगा। इसकी एक खूबी यह है कि यह रडार की पहुंच से बाहर है। दुश्‍मन को इसकी भनक तक नहीं लगेगी। छह सौ किलोमीटर दूर तक वह रडार की पहुंच में नहीं आएगा। इसके साथ यह आसमान और जमीन दोनों जगहों से प्रहार करने में सक्षम है। 

माॅस्‍को में अहम बैठक 

मॉस्‍को की इस बैठक में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्‍बी अकुला-1 की लीज को लेकर भी चर्चा होगी। तीन बिलियन डॉलर से ज्‍यादा यानी करीब 21000 करोड़ की इस करार पर दोनों देशों के बीच इस वर्ष के मार्च में करार हुआ था। साथ ही, यह प्रतिनिधिमंडल पारस्‍परिक सैन्‍य सामानों की संधि पर भी वार्ता करेगा। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष सेरगी शोइगु इस बैठक की सह अध्‍यक्षता करेंगे। 

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