India China Tension: भारत ने चीन को दिखाया आईना, आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर पर प्रतिबंध लगाने में लगाया था अड़ंगा

चीन ने पाकिस्‍तानी आतंकी और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed JeM) के अब्दुल रऊफ असगर (Abdul Rauf Asghar) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति के नामित करने प्रस्ताव में अड़ंगा लगाया है। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 11 Aug 2022 06:12 PM (IST) Updated:Thu, 11 Aug 2022 07:06 PM (IST)
India China Tension: भारत ने चीन को दिखाया आईना, आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर पर प्रतिबंध लगाने में लगाया था अड़ंगा
आतंकवाद के मसले पर भारत ने चीन को आईना दिखाया है।

नई दिल्ली, ब्‍यूरो/एजेंसी। पड़ोसी देश चीन की कथनी और करनी में कितना बड़ा फर्क है इसका एक ताजा उदाहरण बुधवार को देर रात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council, UNSC) में देखने को मिला। भारत और अमेरिका ने जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed, JeM) के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर (Abdul Rauf Azhar) को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा था जिसे चीन के दांव की वजह से पारित नहीं कराया जा सका।

चीन का कदम 'राजनीति से प्रेरित'

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के सूत्रों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव को चीन की ओर से अवरुद्ध करना 'राजनीति से प्रेरित' है। यह कदम आतंकवाद से लड़ने में चीन के दोहरे चरित्र को उजागर करता है। यह तब हुआ है जब दो दिन पहले ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र में ही एक बैठक में कहा था कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।

कई आतंकी हमलों की योजना बनाने में रहा है शामिल

जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed, JeM) प्रमुख मसूद अजहर (JeM chief Masood Azhar) का छोटा भाई अब्दुल रऊफ (Abdul Rauf) 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान IC814 का अपहरण करने, 2001 में संसद पर हमले की साजिश रचने और साल 2016 में पठानकोट में भारतीय वायुसेना के अड्डे को निशाना बनाने समेत कई आतंकी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में शामिल रहा है।

पारित नहीं कराया जा सका प्रस्‍ताव

यूएनएससी में अब्दुल रऊफ अजहर को लेकर पेश प्रस्ताव का सिर्फ चीन ने विरोध किया जबकि अन्य सभी 14 सदस्यों ने इसका समर्थन किया। कुछ हफ्ते पहले ही लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को भी चीन की वजह से पारित नहीं कराया जा सका था। जबकि कुछ वर्ष पहले जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर को लेकर वो ऐसा कर चुका है।

भारत ने जताया रोष 

भारत ने चीन के इस रवैये पर गहरा रोष जताया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जिन आतंकियों को चीन ने हाल के हफ्तों अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध से बचाया है उनके खिलाफ ऐसे सबूत हैं जिस पर दुनिया के तकरीबन सभी देश भरोसा करते हैं।

चीन के रवैये पर हैरानी नहीं 

चीन ने पाक से संचालन करने वाले आतंकी संगठनों के आतंकियों को बचाने के लिए चीन का राजनीतिक प्रेरित कदम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध लगाने वाली समिति के पूरे कामकाज को प्रभावित कर रही है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे पर चीन के इस रवैये पर कोई आश्चर्य नहीं होता।

चीन पहले भी दिखा चुका है रंग 

जून, 2022 में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में चीन ने आतंकवाद के मुद्दे पर सभी देशों के साथ मिल कर लड़ाई लड़ने की बात कही और संयुक्त बयान जारी किया लेकिन उसके बाद जब भारत ने एलईटी के आतंकी मक्की को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा तो वह अपने मित्र देश पाकिस्तान की हिमायत करता दिखा।

भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल 

यह भी बताते चलें कि जैश आतंकी रऊफ कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों व भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहता है। जब से फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की वजह से मसूद अजहर की सार्वजनिक गतिविधियों पर लगाम लगा है तब से पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ने रऊफ को आगे कर रखा है।

रऊफ और मक्की दोनों पाकिस्तान में

रऊफ और मक्की दोनों पाकिस्तान में हैं। स्थानीय समाचार पत्रों में उनके कई बार सार्वजनिक सभाओं में उपस्थित होने और भारत विरोधी सभाओं में हिस्सा लेने की सूचनाएं आती रहती हैं। मजेदार तथ्य यह है कि दो दिन पहले यूएनएससी में आतंकवाद पर बैठक थी जिसमें भारत की प्रतिनिधि रूचिका कम्बोज ने चीन और पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को बखूबी सामने लाने की कोशिश की थी।

दोहरा चरित्र अपना रहे कुछ देश

कम्बोज ने कहा था कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवादियों के खिलाफ बेहद ठोस सबूतों के बावजूद विश्व बिरादरी कुछ देशों की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं कर सकती। कुछ देश लगातार इस बारे में दोहरा चरित्र अपना रहे हैं। सनद रहे कि एक बार किसी आतंकवादी के खिलाफ प्रस्ताव पारित नहीं होने पर वह प्रस्ताव दोबारा छह महीने तक नहीं लाया जा सकता।  

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