भारत वर्ष 2000 तक बना सकता था क्रायोजेनिक इंजन

भारत ने वर्ष 2000 तक क्रायोजेनिक इंजन बना लिया होता अगर इसरो जासूसी कांड की शुरुआती जांच करने वाले अधिकारियों ने अविवेकहीन तरीके से गिरफ्तारियां न की होती। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायण ने यह बात सोमवार को केरल हाई कोर्ट से कही। नारायण वर्ष 1

By Edited By: Publish:Tue, 27 Aug 2013 03:55 PM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2013 04:03 PM (IST)
भारत वर्ष 2000 तक बना सकता था क्रायोजेनिक इंजन

कोच्चि। भारत ने वर्ष 2000 तक क्रायोजेनिक इंजन बना लिया होता अगर इसरो जासूसी कांड की शुरुआती जांच करने वाले अधिकारियों ने अविवेकहीन तरीके से गिरफ्तारियां न की होती। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायण ने यह बात सोमवार को केरल हाई कोर्ट से कही।

नारायण वर्ष 1991 में क्रायोजेनिक विभाग का नेतृत्व कर रहे थे। 1994 में उन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। नांबी ने अदालत से कहा, केरल के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीबी मैथ्यूज के नेतृत्व में विशेष पुलिस जांच दल ने मामले की जांच की थी। उन्होंने क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण में लगे सभी लोगों को गिरफ्तार करने का फैसला किया था ताकि उन्हें हतोत्साहित किया जा सके और परियोजना को लटकाया जा सके। वह पूर्व पुलिस अधिकारी द्वारा दाखिल हलफनामे का जवाब दे रहे थे।

उन्होंने बताया कि देश में अब भी क्रायोजेनिक इंजन तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसरो हाल में इसे लांच करने वाला था, लेकिन लांचिग के 48 मिनट पहले इसे स्थगित कर दिया गया। नांबी ने दावा किया कि 1994 में उनकी गिरफ्तारी मैथ्यूज ने किसी साजिश के तहत की थी। गिरफ्तारी के समय न तो उनके घर की तलाशी ली गई न आफिस की। उन्हें उनके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत भी नहीं मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने यह आरोप कभी नहीं लगाया कि उनकी गिरफ्तारी अमेरिकी एजेंडे के तहत की गई थी।

इससे पहले मैथ्यूज ने अपने हलफनामे में कहा था कि नांबी द्वारा दायर याचिका में उनके और दो अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उनकी छवि को खराब करने की कोशिश है।

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