पहली बार यूएन में इजरायल के खिलाफ भारत ने नहीं दिया वोट

इजराइल को लेकर पहली बार भारत की विदेश नीति बदल गई है। इसके ठोस संकेत उस वक्‍त मिले जब यूएन में इजरायल के खिलाफ एक प्रस्‍ताव पर वोटिंग के दौरान भारत शामिल नहीं हुआ। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र संघ में यूएन ह्यूमन राइट काउंसिल के इजराइल संबंधी एक प्रस्ताव में

By Sudhir JhaEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2015 01:35 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2015 04:08 PM (IST)
पहली बार यूएन में इजरायल के खिलाफ भारत ने नहीं दिया वोट

नई दिल्ली। इजराइल को लेकर पहली बार भारत की विदेश नीति बदल गई है। इसके ठोस संकेत उस वक्त मिले जब यूएन में इजरायल के खिलाफ एक प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत शामिल नहीं हुआ। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र संघ में यूएन ह्यूमन राइट काउंसिल के इजराइल संबंधी एक प्रस्ताव में वोटिंग के दौरान भारत अनुपस्थित रहा।

दरअसल, यूएन इनक्वायरी कमीशन की युद्धग्रस्त गाजा क्षेत्र पर आधारित रिपोर्ट को स्वीकृति के लिए वोट किया जाना था। इस रिपोर्ट में इजराइल और फिलिस्तीन दोनों देशों को युद्ध अपराधों के दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की गई थी।

यूरोपीय यूनियन के अधिकतर देशों सहित 41 देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के पक्ष में मतदान किया था। हालांकि, भारत सहित कीनिया, इथोपिया, पेरुग्वे और मेसिडोनिया ने भी इस प्रस्ताव से खुद को अलग रखा। वहीं, सिर्फ अमेरिका ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

भारत की यह कूटनीतिक पहल इजराइल के लिए अविश्वसनीय उपलब्धि की तरह है। हालांकि, इस फैसले के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक त्वरित बयान जारी करते हुए कहा कि फलस्तीन के मुद्दे पर भारत का लंबे समय से दृष्टिकोण है, उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के आखिर में या अगले साल की शुरुआत में इजराइल के दौरे पर जाने वाले हैं। 1992 में दोनों देशों के बीच राजनायिक संबंध शुरू होने के बाद इजरायल की यात्रा करने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे।

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