नोटबंदी के चलते नहीं कोई मंदी, उलटे सरकारी राजस्व में बढ़ोतरीः जेटली

हालांकि वित्त मंत्री ने नोटबंदी के चलते मंदी की आशंका को निर्मूल साबित करने के लिए राजस्व संग्रह विशेषकर केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष और परोक्ष करों तथा राज्यों के वैट संग्रह में वृद्धि का हवाला दिया है।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Mon, 09 Jan 2017 09:39 PM (IST) Updated:Tue, 10 Jan 2017 07:20 AM (IST)
नोटबंदी के चलते नहीं कोई मंदी, उलटे सरकारी राजस्व में बढ़ोतरीः जेटली

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । सरकार ने नोटबंदी के चलते अर्थव्यवस्था पर आसन्न मंदी के संकट की चिंता को खारिज किया है। केंद्र ने इस संबंध में चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों खासकर नवंबर और दिसंबर में प्रत्यक्ष और परोक्ष करों में वृद्धि के आंकड़े पेशकर अर्थव्यवस्था के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र पर नोटबंदी के प्रतिकूल असर की संभावना से इंकार किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष के दिसंबर महीने में उत्पाद शुल्क में उछाल से परोक्ष करों में 14.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है जो मैन्युफैक्चरिंग की बेहतर स्थिति को दर्शाता है। वहीं प्रत्यक्ष करों और राज्यों में वैट संग्रह में भी अच्छी खासी वृद्धि हुई है।

वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब पिछले हफ्ते ही केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए राष्ट्रीय आय के पूर्वानुमान जारी करते हुए जीडीपी की वृद्धि दर पिछले साल के 7.6 प्रतिशत से घटकर 7.1 प्रतिशत रहने तथा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले साल की 9.3 प्रतिशत से गिरकर 7.4 प्रतिशत पर आने का अनुमान व्यक्त किया है। हालांकि इसमें नोटबंदी के बाद के आंकड़े शुमार नहीं हैं। पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह सहित कई विशेषज्ञ भी यह कह रहे हैं कि आठ नवंबर को 500 रुपये और 1000 रुपये बंद करने के मोदी सरकार के फैसले के चलते चालू वित्त वर्ष में विकास दर का आंकड़ा दो प्रतिशत अंक नीचे आ सकता है। साथ ही कई क्षेत्रों में गतिविधियां सुस्त पड़ने के चलते नौकरियां जाने की खबरें भी नोटबंदी के बाद आने लगी हैं।

हालांकि वित्त मंत्री ने नोटबंदी के चलते मंदी की आशंका को निर्मूल साबित करने के लिए राजस्व संग्रह विशेषकर केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष और परोक्ष करों तथा राज्यों के वैट संग्रह में वृद्धि का हवाला दिया है। जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीने में प्रत्यक्ष और परोक्ष कर संग्रह में काफी वृद्धि हुई है। साथ ही नवंबर माह में भी कर संग्रह में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि नवंबर और दिसंबर महीने में करेंसी की कमी के चलते प्रभावों पर काफी बहस हुई है, इसलिए इन दोनों महीनों के आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण हैं। जेटली ने कहा कि अधिकांश राज्यों में वैट संग्रह में भी काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सुशासित राज्यों में नवंबर में वैट संग्रह में वृद्धि हुई है।

नोटबंदी के बाद नौकरियां जाने संबंधी खबरों के बारे में पूछे जाने पर जेटली का कहना है कि ऐसी खबरें कही-सुनी बातों पर आधारित हैं। विकास दर का आंकड़ा कही-सुनी बातों पर आधारित नहीं होता। सांख्यिकी और कर संबंधी आंकड़े वास्तविक हैं। यह पैसा सिस्टम में आया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि दिसंबर में उत्पाद शुल्क में 31.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि सेवा कर में 12.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि सोना आयात कम होने की वजह से आयात शुल्क में 6.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के दौरान परोक्ष कर संग्रह 25 प्रतिशत वृद्धि के साथ बढ़कर 6.30 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो बजट अनुमानों का करीब 81 प्रतिशत है। वहीं इस अवधि में प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह 5.53 लाख करोड़ रुपये रहा है जो पिछले साल समान अवधि में संग्रहित प्रत्यक्ष करों के मुकाबले 12.1 प्रतिशत अधिक है। इस तरह वित्त वर्ष 2016-17 के लिए प्रत्यक्ष करों का जो लक्ष्य सरकार ने आम बजट में रखा था उसका अब तक 65.3 प्रतिशत संग्रह हो चुका है।

परोक्ष कर में वृद्धि

इस वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर में उत्पाद शुल्क संग्रह 31.6 प्रतिशत बढ़कर 36,000 करोड़ रुपये रहा है। वहीं सेवा कर संग्रह 12.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 23,000 करोड़ रुपये रहा है। इस तरह कुल परोक्ष करों का संग्रह 14.2 प्रतिशत बढ़कर 76,000 करोड़ रुपये हो गया है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह भी बढ़ा

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के दौरान कारपोरेट आयकर में 10.7 प्रतिशत सकल वृद्धि हुई है जबकि व्यक्तिगत आय कर में 21.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिफंड को समाहित कर लेने के बाद कारपोरेट कर संग्रह में 4.4 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत आय कर में 24.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के दौरान कुल 1.26 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी हुए हैं जो कि पिछले साल समान अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।

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