1962 के युद्ध में चीनी सेना से लड़े राधेश्याम तिवारी, उनके बाद दो बेटे, दो पौत्र और दोनों पौत्र वधुएं भी सेना में

1962 Indo-China war मेजर रोशनी बताती हैं कि उनके पिता और बाबा भी सेना में रहे। ससुराल भी ऐसे ही पृष्ठभूमि वाली मिली। वह मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में मेजर हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 21 Jun 2020 10:36 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 12:39 PM (IST)
1962 के युद्ध में चीनी सेना से लड़े राधेश्याम तिवारी, उनके बाद दो बेटे, दो पौत्र और दोनों पौत्र वधुएं भी सेना में
1962 के युद्ध में चीनी सेना से लड़े राधेश्याम तिवारी, उनके बाद दो बेटे, दो पौत्र और दोनों पौत्र वधुएं भी सेना में

दयाशकर तिवारी, प्रतापगढ़ 1962 Indo-China war देशभक्ति के उदाहरण बहुत मिलते हैं, पर यह कम सुनने को मिलता है कि कोई पूरा परिवार ही सेना में हो। यहां तक कि बहुएं भी फौजी हों। ऐसा ही परिवार है उप्र के प्रतापगढ़ स्थित लालगंज तहसील के देउम पश्चिम के राधेश्याम तिवारी का। 1962 में राधेश्याम चीन से युद्ध लड़े। उनके दो बेटे भी फौजी बने, अब उनके पौत्र व दो पौत्रवधुएं भी सेना में हैं। वह कहते हैं कि आरपार की हुई तो 1962 वाली कसक भी मिट जाएगी।

राधेश्याम तिवारी 1958 में सेना में भर्ती हुए और 1962 में चीन के साथ लड़े। वह बताते हैं कि तब भारतीय थल सेना के पास थ्री नाट थ्री बंदूक, लाइट मशीन गन और आरसीएल तोपें थीं। थ्री इंच मार्टर होती थी, जिससे मोर्टार दागे जाते थे। चीनी सेना अत्याधुनिक राइफलों से लैस थी। तब की कुछ कसक आज भी है। अब 2020 की भारतीय फौज है। यह बात गलवन घाटी में चीनियों को समझ आ गई होगी। पिता की बात को आगे बढ़ाते हुए उनके बड़े बेटे व एयरफोर्स के रिटायर सैनिक साधूराम तिवारी कहते हैं कि अब भारतीय वायुसेना के पास अपाचे, चिनूक व राफेल जैसे अत्याधुनिक फाइटर विमान व हेलीकॉप्टर हैं।

मेरे भाई राजेश भी सेना से सेवानिवृत्त हैं। तीसरी पीढ़ी से धीरेंद्र तिवारी नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर से रिटायर हैं। उनकी पत्नी दीपिका तिवारी मिलिट्री अस्पताल अहमदाबाद में मेजर हैं। धीरेंद्र के छोटे भाई अनुराग तिवारी एयरफोर्स में स्क्वार्डन लीडर हैं व सिल्चर (आसाम) में तैनात हैं। उनकी पत्नी रोशनी जबलपुर मिलिट्री अस्पताल में मेजर हैं।

देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर : मेजर रोशनी बताती हैं कि उनके पिता और बाबा भी सेना में रहे। ससुराल भी ऐसे ही पृष्ठभूमि वाली मिली। वह मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में मेजर हैं। संयोग से जेठानी दीपिका भी इसी पद पर रहते हुए देश सेवा कर रही हैं। बताती हैं कि युद्ध के मैदान में सबसे ज्यादा ध्यान देना पड़ता है घायल सैनिकों की सेवा का। उनका मानना है कि चीन युद्ध की स्थिति में नहीं है, ऐसे में युद्ध की संभावना कम है।

chat bot
आपका साथी