एसबीआइ धोखाधड़ी मामले में हर्षद का भाई, आठ बैंक अधिकारी बरी

मुंबई की एक कोर्ट ने हर्षद मेहता के भाई अश्विन मेहता सहित नौ लोगों को एसबीआइ के साथ 105 करोड़ रुपये के घोखाधड़ी मामले में बरी कर दिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 06 Nov 2018 07:12 PM (IST) Updated:Tue, 06 Nov 2018 07:12 PM (IST)
एसबीआइ धोखाधड़ी मामले में हर्षद का भाई, आठ बैंक अधिकारी बरी
एसबीआइ धोखाधड़ी मामले में हर्षद का भाई, आठ बैंक अधिकारी बरी

 मुंबई, प्रेट्र। मुंबई की एक कोर्ट ने 1992 के शेयर घोटाले के सूत्रधार हर्षद मेहता के भाई अश्विन मेहता सहित नौ लोगों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) के साथ 105 करोड़ रुपये के घोखाधड़ी मामले में बरी कर दिया।

1992 के शेयर घोटाले से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष कोर्ट की अगुआई करने वाली जस्टिस शालिनी फंसाल्कर जोशी ने पिछले सप्ताह अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा है।

अश्विन मेहता के अलावा एसबीआइ के प्रतिभूति विभाग के प्रभारी राम सीतारमन और सात अन्य अधिकारी भूषण राउत, सी. रवि कुमार, एस. सुरेश बाबू, पी. मुरलीधरन, अशोक अग्रवाल, जनार्दन बंधोपाध्याय और श्याम सुंदर गुप्ता बरी किए गए हैं।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, बैंक के अधिकारियों ने एसबीआइ कैप्स (एसबीआइ कैपिटल मार्केट) के साथ धोखाधड़ी करने के लिए मेहता बंधुओं के साथ मिलकर साजिश रची। उन्होंने 1991 से 1992 के बीच प्रतिभूतियों के लेनदेन में बैंक के साथ 105 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।

मामले में जांच एजेंसी सीबीआइ ने कहा कि एसबीआइ कैप्स ने हर्षद मेहता के माध्यम से धन के लेनदेन के 24 सौदे किए थे। इनके माध्यम से धन की हेराफेरी की गई थी जिससे बैंक को कथित तौर पर नुकसान हुआ।

सीबीआइ की ओर से दावा किया गया था कि बैंक अधिकारियों की जानकारी के बिना पूंजी को दूसरी जगह नहीं भेजा जा सकता था। हालांकि, अदालत ने बचाव पक्ष की उस दलील को स्वीकार कर लिया है, जिसमें कहा गया था कि धन की हेराफेरी बैंक की मुख्य शाखा से बदला गया था और इसलिए प्रतिभूति विभाग के इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप नहीं बनता।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की बात में बहुत सी बातें अनुत्तरित हैं और वह बीच की कडि़यों को जोड़ने में विफल रहा है। हो सकता है कि ऐसा मुख्य आरोपी हर्षद मेहता की मौत और बहुत से आरोपितों के बरी होने के कारण हुआ हो। पर तथ्य यह है कि षडयंत्र का यह अभियोग सिद्ध नहीं किया जा सका है। मेहता की मौत के बाद 2001 के उसके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया था।

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