मप्र में 22 गांवों के दो हजार से अधिक बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 22 गांवों में चार साल में दो हजार से ज्यादा बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस बीमारी से पीड़ित मिले हैं। इनमें 10 से 17 साल आयु के बच्चे शामिल हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Mar 2019 08:19 PM (IST) Updated:Sat, 16 Mar 2019 08:19 PM (IST)
मप्र में 22 गांवों के दो हजार से अधिक बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित
मप्र में 22 गांवों के दो हजार से अधिक बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित

अमित भटोरे, खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के 22 गांवों में चार साल में दो हजार से ज्यादा बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस बीमारी से पीड़ित मिले हैं। इनमें 10 से 17 साल आयु के बच्चे शामिल हैं। इनके दांत पीले पड़कर कमजोर हो गए हैं। यह स्थिति फ्लोराइडयुक्त पानी के उपयोग से बनी है। महेश्वर और बड़वाह विकासखंड के गांवों में प्रभावितों की संख्या ज्यादा है।

राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण और नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जारी सर्वे रिपोर्ट में पीड़ितों की जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य तौर पर पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) तक होती है, परंतु महेश्वर विकासखंड के कुछ गांवों में यह मात्रा 12 पीपीएम तक है। इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है।

अधिक फ्लोराइड वाला पानी पीने से डेंटल फ्लोरोसिस, स्केलेटल फ्लोरोसिस और नॉन स्केलेटल फ्लोरोसिस हो सकता है। फिलहाल जिले में डेंटल फ्लोरोसिस के मामले मिले हैं। धार, बड़वानी, खंडवा में भी कुछ स्थानों पर फ्लोरोसिस पीड़ितों के मामले सामने आए हैं।

यह है डेंटल फ्लोरोसिस
लगातार दो वर्ष तक फ्लोराइडयुक्त पानी के उपयोग से यह रोग हो सकता है। दांत तेजी से पीले पड़ना रोग के प्रारंभिक लक्षण हैं। दांत पीले पड़ने के साथ मसूड़े कमजोर हो जाते हैं। दांतों में धब्बे और लकीरें दिखाई देने लगती हैं। इलाज नहीं करने पर दांत समय से पहले गिर भी सकते हैं।

बचाव के लिए यह किए जा रहे उपाय
प्रभावित बच्चों को कैल्सियम की गोलियों के साथ कैल्सियम युक्त आहार देकर इलाज किया जा रहा है। जिन जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक मिली है, उनके पानी के उपयोग पर रोक लगाई है। लगातार पानी की जांच की जा रही है और जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

स्वच्छ पानी बांट रहे
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के जिला सलाहकार दिग्विजय दसौंधी ने बताया कि गत वर्षो में पानी की जांच हुई थी। फ्लोराइड की मात्रा अधिक मिलने पर 22 गांवों की 211 बसाहटों को चिह्नित किया गया। इन गांवों में महेश्वर विकासखंड के बबलाई, गुजर मोहना, ककवाड़ा, आशापुर, मक्सी, बेडियाव, करोली, गवला आदि शामिल हैं। स्वच्छ पानी के लिए 1.63 करोड़ की योजना बनाकर नर्मदा का पानी शुद्ध कर इन गांवों में प्रदाय किया जा रहा है। वहीं, महेश्वर विकासखंड के ग्राम खराड़ी के पूर्व सरपंच बलरामसिंह मंडलोई ने बताया कि नर्मदा जल की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने से मजबूरी में निजी जलस्रोतों का पेयजल उपयोग करना पड़ता है। गांव में 30 से अधिक बच्चों के दांतों में परेशानी है।

जागरूकता कार्यक्रम चला रहे
फ्लोराइड से बचाव के लिए प्रभावित गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 55 डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग देने के साथ स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को भी उपचार का प्रशिक्षण दिया गया है। स्थिति नियंत्रण में है। निजी जलस्रोतों की जांच के लिए भी योजना बनाई जा रही है।
-डॉ. चंद्रजीत सांवले, नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण व नियंत्रण कार्यक्रम, खरगोन

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