सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित IIT के छात्र को मिली Google में नौकरी, प्रणव नायर ने बताया सफलता का मंत्र

सेरेब्रल पाल्सी जन्मजात विकार है। इसमें बच्चे का विकास थम जाता है और कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं हो जाती हैं। नायर ने बताया कि बीमारी के कारण उन्हें बचपन से ही काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं मुख्यधारा के विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करूं लेकिन अधिकांश विद्यालय उन्हें बीमारी के कारण प्रवेश ही देना नहीं चाहते थे।

By AgencyEdited By: Piyush Kumar Publish:Sun, 18 Feb 2024 11:45 PM (IST) Updated:Sun, 18 Feb 2024 11:45 PM (IST)
सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित IIT के छात्र को मिली Google में नौकरी, प्रणव नायर ने बताया सफलता का मंत्र
सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद 22 वर्षीय प्रणव नायर आईआईटी में पाया दाखिला।(फोटो सोर्स: जागरण)

पीटीआई,गुवाहाटी। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। यह कहावत 22 वर्षीय प्रणव नायर ने चरितार्थ कर दिखाई।

जी हां, सच्ची लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारी से ग्रसित होने व व्हीलचेयर पर चलने पर मजबूर नायर ने सभी चुनौतियों को पार कर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), गुवाहाटी में न केवल प्रवेश पाया बल्कि विश्व की दिग्गज तकनीकी कंपनी गूगल में नौकरी हासिल की।

'अधिकांश विद्यालय मुझे बीमारी के कारण प्रवेश ही देना नहीं चाहते थे'

सेरेब्रल पाल्सी जन्मजात विकार है। इसमें बच्चे का विकास थम जाता है और कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं हो जाती हैं। नायर ने बताया कि बीमारी के कारण उन्हें बचपन से ही काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं मुख्यधारा के विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करूं लेकिन अधिकांश विद्यालय उन्हें बीमारी के कारण प्रवेश ही देना नहीं चाहते थे।

माता-पिता ने मेरे भीतर आत्मविश्वास पैदा किया: प्रणव नायर

हालांकि मेरे माता-पिता ने शारीरिक, मानसिक और खासतौर पर भावनात्मक रूप से सहारा देकर मेरे भीतर आत्मविश्वास पैदा किया। उन्होंने बताया कि ओमान के मस्कट में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह चिकित्सक बनना चाहते थे लेकिन माता-पिता की सलाह पर मैंने इंजीनियरिंग को चुना।

मुझे दिग्गज कंपनी गूगल में प्री-प्लेसमेंट ऑफर मिला: प्रणव नायर

सौभाग्य से मुझे आइआइटी में कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग में सीट भी मिल गई। मैंने दिव्यांग श्रेणी में 27वीं रैंक हासिल की। आइआइटी गुवाहाटी के शिक्षकों व सीनियरों की मदद व प्रोत्साहन के कारण मुझे दिग्गज कंपनी गूगल में प्री-प्लेसमेंट ऑफर मिला। जुलाई में स्नातक पूरा करने के बाद मैं बेंगलुरु स्थित गूगल कार्यालय में नियुक्ति लूंगा। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि जिस प्रकार प्रौद्योगिकी ने मेरी मदद की, ठीक उसी प्रकार मैं लोगों के जीवन को आसान बना सकूं।

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