उर्मिला की आंखों से सूख गया उम्मीदों का पानी, बोली- मदद नहीं तो मौत ही मांग लूं

500 से अधिक लोगों को पेंशन का इंतजार है। इनके फॉर्म तहसीलों में सालों से लंबित पड़े हुए हैं, जबकि आवेदन के बाद हर हाल में तीन महीने में पेंशन जारी करने का नियम है।

By Edited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 09:30 AM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 10:24 AM (IST)
उर्मिला की आंखों से सूख गया उम्मीदों का पानी,  बोली- मदद नहीं तो मौत ही मांग लूं
उर्मिला की आंखों से सूख गया उम्मीदों का पानी, बोली- मदद नहीं तो मौत ही मांग लूं

अलीगढ़ (सुरजीत पुंंढीर)।  उसे 18 महीने हो गए। न जाने कितनी बार अधिकारियों के चक्कर काट चुकी है।उर्मिला देवी (65) कल फिर होकर आई है। सवाल एक ही, पेंशन। जवाब गुम है। अधिकारी वादे देते हैं, पर चेक की डेट नहीं। चेक का ही तो सपना योगी सरकार बनने पर देखा था। पति की कई साल पहले मौत हो गई। एक बेटी है, जिसकी शादी कर दी। क्वार्सी थाना स्थित ताड़ का नगला में अकेली किराए के घर में रहती है। लोगों के यहां काम करती थी। अब तो वह नहीं कर पा रही। दो साल पहले हादसे में पैर जो टूट गया। हालात एेसे बिगड़े कि किराया देने के लिए बेटी से रुपये लेने पड़े। योगी सरकार बनने पर पेंशन की उम्मीद बंधी।  मार्च में आवेदन किया। तब से अब तक आवेदन फॉर्म कोल तहसील से विकास भवन तक नहीं आ सका। पेंशन कब खाते में पहुंचेगी, अधिकारी भी नहीं बता पा रहे।

बात करते ही छलक पड़े आंसू 
विकास भवन में वह निराश और हताश थी। दैनिक जागरण ने बात की तो उसकी आंखें छलक पड़े। मायूस चेहरा और माथे पर खिंची चिंता की रेखाएं साफ नजर आ रही थीं। निराशा भरे शब्दों में बोली,  अब सरकार से मदद नहीं मौत मांगने का मन कर रहा है। पिछले साल मार्च में 311810552581 रजिस्ट्रेशन संख्या से वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन किया। एक-एक कॉपी विकास भवन एवं तहसील को भी दी। आवेदन के बाद तहसील से एक व्यक्ति भी जांच को पहुंचा, उसने स्थिति भी देखी। लेकिन, उसके बाद वह फॉर्म कहां गया, किसी को नहीं पता। विकास भवन में आती हूं, तो वह तहसील की बोल देते हैं। वहां जाती हूं तो विकास भवन को टरका देते हैं।

1600 रुपये की आय, किराया 1500
उर्मिला देवी के लिए जीना मुश्किल हो रहा है। अकेली है। पति है नहीं। बेटा भी नहीं। बेटी की शादी हो चुकी है। खाना-दवा का खर्चा भी मुश्किल हो गया। घरों में काम कर 1600 रुपये महीने कमाती है। इसमें से 1500 रुपये किराया दे देती हैं। इधर-उधर से मांग कर किसी तरह पेट भरना पड़ता है।

500 से अधिक को पेंशन का इंतजार 
पेंशन के लिए परेशान होने वाली उर्मिला देवी अकेली नहीं है।  400 रुपये महीने के हिसाब पेंशन मिलती हैं।

तहसील में अटका है फार्म
समाज कल्याण अधिकारी नगेंद्र पाल सिंह का कहना है कि उर्मिला देवी का फॉर्म अभी तहसील में ही अटका हुआ है। वहां से रिपोर्ट लगने के बाद तत्काल पेंशन जारी हो जाएगी। मेरे संज्ञान में नहीं मामला एसडीएम कोल जोगेंद्र सिंह ने बताया कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा कुछ है तो तत्काल जांच कराकर रिपोर्ट दी जाएगी।

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