ICMR ने बनाया कोरोना के इलाज में कारगर 'एंटीसेरा', बन सकता है प्लाज्मा थेरेपी का विकल्प

आइसीएमआर ने कोरोना के इलाज में कारगर उच्च गुणवत्ता का एंटीसेरा तैयार किया है। कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की जगह अब एंटीसेरा को विकल्प के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। यह कोरोना की घातकता को कम करने में काफी कारगर है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 02 Oct 2020 06:05 AM (IST) Updated:Fri, 02 Oct 2020 06:05 AM (IST)
ICMR ने बनाया कोरोना के इलाज में कारगर 'एंटीसेरा', बन सकता है प्लाज्मा थेरेपी का विकल्प
कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की जगह अब एंटीसेरा को आजमाया जा सकता है।

नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (India Council for Medical Research, ICMR) ने कोरोना के इलाज में कारगर उच्च गुणवत्ता का एंटीसेरा तैयार किया है। कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी की जगह अब एंटीसेरा को विकल्प के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। आइसीएमआर ने दावा किया है कि उसने कोरोना के इलाज के लिए जानवरों के रक्त सीरम का इस्तेमाल करते हुए हाइली प्योरिफाइड एंटीसेरा (Antisera) विकसित किया है। यह कोरोना की घातकता को कम करने में काफी कारगर है।

आइसीएमआर ने हैदराबाद की फार्मास्यूटिकल कंपनी बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड के साथ मिलकर एंटीसेरा तैयार किया है। आइसीएमआर ने कहा कि सभी लोगों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज संभव नहीं है ऐसे में एंटीसेरा एक बेहतर विकल्प हो सकता है। आइसीएमआर के विज्ञानी डा.लोकेश शर्मा ने बताया कि एंटीसेरा जानवरों से मिला ब्लड सीरम है, जिसमें खास एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडीज होती हैं। खास बीमारियों के उपचार में इनका इस्तेमाल किया जाता है।

भारत में प्लाज्मा थेरेपी के बाद कोरोना के उपचार के लिए सामने आई यह सबसे आधुनिक थेरेपी है। दावा किया जा रहा है कि यह न सिर्फ कोरोना के मरीजों में बीमारी की भयावहता की रोकथाम में कारगर है बल्कि यह उसके इलाज में भी सक्षम है। स्वदेशी स्तर पर विकसित यह सस्ता और सुरक्षित विकल्प है। आइसीएमआर ने बताया कि इस तरह के उपायों का इस्तेमाल इससे पहले भी कई वायरल, बैक्टीरियल संक्रमणों को नियंत्रित करने में किया जा चुका है। इसमें रेबीज, हिपेटाइटिस बी, टिटनेस और डिप्थीरिया शामिल हैं।

हाल ही में आइआइटी दिल्ली के एक अध्ययन से भी कोरोना संक्रमण के इलाज में उम्‍मीद जगी है। आइआइटी दिल्ली ने पाया है कि टेइकोप्लानिन नाम की एक ग्लाइकोपेप्टाइड एंटीबायोटिक दवा मौजूदा वक्‍त में कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही अन्य दवाइयों के मुकाबले 10 से 20 गुना ज्‍यादा असरदार है। वहीं एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण के इलाज में आमतौर पर उपयोग किया जाने वाला सस्ता एंजाइम कैटालेज (Enzyme Catalase) बहुत अहम साबित हो सकता है। यह कोरोना को शरीर में दोबारा पनपने नहीं देता है। 

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