Coronavirus की कहानी, खतरनाक विषाणुओं का भंडार है चमगादड़; ऐसे संक्रमित हो रहे इंसान
Coronavirus दुनिया के शेयर बाजारों को धड़ाम करने वाले वैश्विक विकास दर को रोक देने वाले और दुनिया के हर जनमानस को भयातुर करने वाले इस कोरोना वायरस की कहानी पर पेश है एक नजर
नई दिल्ली। Coronavirus: सौ से ज्यादा देशों को अपने चपेट में लेने वाले, सवा लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित करने वाले और करीब साढ़े चार हजार लोगों की जान लेने वाली कोरोना बीमारी महामारी घोषित हो चुकी है। अब तक इसका कोई मुकम्मल इलाज नहीं खोजा जा सका है। दवा बनने में महीनों लग सकते हैं जबकि टीके की अगले साल उम्मीद है। सावधानी ही एकमात्र बचाव बताया जा रहा है। दुनिया के शेयर बाजारों को धड़ाम करने वाले, वैश्विक विकास दर को रोक देने वाले और दुनिया के हर जनमानस को भयातुर करने वाले इस कोरोना वायरस की कहानी पर पेश है एक नजर:
उत्पत्ति
2019 के आखिरी महीनों में चीन के वुहान शहर में जब इसका प्रकोप शुरू हुआ तो आदतन चीन ने इस मर्ज से जुड़ी खबरों को दबाना शुरू किया। जब पानी सिर से ऊपर बहने लगा तो इसके समुचित इलाज और निदान के कदम उठाए जाने शुरू हुए। इसी क्रम में इसकी पहचान की जाने लगी कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है? 23 जनवरी को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के कोरोना वायरस के विशेषज्ञ शी झेंग ली ने पाया कि कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग (आनुवंशिक अनुक्रम) चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस (विषाणु) से 96.2 फीसद मिलती जुलती है और पिछले दिनों सार्स (सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम) फैलाने वाले कोरोना वायरस से 79.5 फीसद मिलता है।
चाइनीज मेडिकल जर्नल के शोध में पता चला कि इस वायरस का जीनोम अनुक्रम 87.6 से 87.7 फीसद चीनी प्रजाति के एक अन्य चमगादड़ों (हार्सशू) से मिलता है। हालांकि अभी भी इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह महामारी इस छोटे से स्तनधारी की वजह से फैली है।
चमगादड़ है विशिष्ट
उड़ान बनाती है महान
पांच दर्जन वायरसों के वाहक चमगादड़ आखिर इनसे महफूज कैसे रहते हैं? विशेषज्ञों की मानें तो लगातार उड़ते रहने से शारीरिक कार्यप्रणाली इनके प्रतिरक्षी तंत्र को बहुत मजबूत बना देती है। इनका प्रभावी प्रतिरक्षी तंत्र इन्हें ऐसे खतरनाक विषाणुओं के साथ रहने में मददगार बनाता है। इनकी यह खूबी विषाणुओं को भी और मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
पर्यावरण में भूमिका
चमगादड़ पर्यावरण के लिहाज से अहम हैं। दुनिया भर में इनकी 1300 प्रजातियां हैं जो समस्त स्तनधारियों का बीस फीसद हैं। इंसानी सभ्यता के शुरुआत से ही यह जीव हमारे निकट रहा है।
खतरनाक विषाणुओं का भंडार है चमगादड़
जूनोटिक डिजीज (ऐसी बीमारी जो जानवरों से इंसानों में फैले) विषाणु सामान्यतौर पर खास प्रजाति पर आश्रित रहते हैं करीब सभी विषाणु जो अन्य को संक्रमित करते हैं, इंसानों के लिए नुकसानदेय नहीं होते ऐसे विषाणुओं की बहुत कम संख्या होती है जो दूसरी प्रजातियों (जैसे इंसानों) को संक्रमित करते हैं यद्यपि की सभी जूनोटिक डिजीज गंभीर रोग का खतरा नहीं होती हैं, फिर भी न्यू साइंटिस्ट पत्रिका के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 2.5 अरब लोग इनसे बीमार पड़ते हैं। 27 लाख लोग इनसे मारे भी जाते हैं।
पैंगोलिन भी वाहक
कोरोना वायरस पैंगोलिन में भी पाया गया है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा तस्करी इसी जीव की होती है। इसकी त्वचा से परंपरागत चीनी औषधि तैयार की जाती है।
ऐसे संक्रमित हो रहे है इंसान
लंबे समय से कोरोना वायरस परिवार से इंसान संक्रमित होते आ रहे हैं। इसी परिवार के वायरस से सर्दी-जुकाम जैसे छोटे-मोटे रोग होते हैं और इन्हीं के सदस्यों से मर्स, सार्स जैसी गंभीर महामारी भी फैलती है। 2019 के आखिरी महीनों में पैदा हुआ कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन इस परिवार का सातवां संस्करण है। रोकथाम का कोई कारगर नुस्खा सामने नहीं है। हालांकि इस परिवार के कार्य-व्यवहार को परख कर हम इसके रोकथाम के बारे में कुछ समझदारी विकसित कर सकते हैं।
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संपर्क मानव कोशिका की झिल्ली के रिसेप्टर से जुड़ने के लिए यह वायरस लंबे एस प्रोटीन का इस्तेमाल करता है। ऐसे मिलन से कोशिका भ्रमित होती है कि यह कोई खतरा नहीं है। लिहाजा वायरस कोशिका में प्रवेश कर जाता है।
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प्रवेश कोशिका में वायरस के प्रवेश की सटीक प्रणाली अभी ज्ञात नहीं है फिर भी दो प्रक्रियाएं होती हैं: ’ इंडोसाइटोसिस प्रक्रिया के तहत कोशिका वायरस को निगल जाती है मानव कोशिका से जुड़ने के बाद वायरस कोशिका द्रव्य में अपने तत्व छोड़ता है।
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संक्रमण प्रवेश करने के बाद वायरस अपने जेनेटिक तत्व छोड़ता है। कोशिकाद्रव्य में वायरस द्वारा छोड़ा जाने वाला यह एकल कुंडलित आरएनए होता है।
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द्विगुणन वायरस कोशिका को हाईजैक कर लेता है और अपने जेनेटिक तत्व का द्विगुणन शुरू करने लगता है। इसके बाद कोशिका की मशीनरी का इस्तेमाल
करके नए वायरल कणों को तैयार करता है।
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निष्कासन द्विगुणन और प्रसारण के बाद एक्सोसाइटोसिस प्रक्रिया के तहत वायरस कोशिका से निकल जाता है। जिससे यह अन्य कोशिकाओं को अपना शिकार बना सके। इसी दौरान वायरल वृद्धि के दौरान तनाव में कोशिका दम तोड़ देती है।
चमगादड़ का कंकाल हमारे जैसा ही होता है जो हमारी पूर्वज साझेदारी का द्योतक है।
परागण
पौधों की पांच सौ प्रजातियां परागण के लिए चमगादड़ों पर ही आश्रित हैं।
बीजों का प्रसार
पके फलों के बीजों को रात भर में अपनी उड़ान के दौरान बहुत दूर-दूर तक ये तमाम प्रजाति के पौधों के बीजों का प्रसार करते हैं।
उर्वरक उत्पादन
चमगादड़ के अपशिष्ट बहुत कीमती होते हैं। इन्हें बहुत प्रभावी प्राकृतिक उर्वरक माना जाता है।
कीट नियंत्रण
कीटों को खुराक बनाकर फसल नुकसान और कीटनाशकों से बचत के मद में बड़ी मदद करते हैं। सिर्फ अमेरिका में इनसे करीब 3.7 अरब डॉलर की राशि बचायी जाती है।
सतह पर वायरस का व्यवहार कोरोना वायरस समेत ज्यादा वायरस 50 से 200 नैनोमीटर लंबे होते हैं। सही मायने में ये नैनो पार्टिकल्स कहलाते हैं। लिहाजा जिस सतह पर ये होते हैं उनसे इनका बहुत जटिल नाता होता है। खांसी और छींक की छोटी बूंदें जब किसी भी सतह पर पड़ती हैं तो शीघ्र ही सूख जाती हैं लेकिन इसमें मौजूद वायरस सक्रिय होते हैं। लकड़ी, धागे और त्वचा वायरस के साथ मजबूती से संपर्क में आते हैं, जबकि स्टील, पोर्सीलेन और टेफ्लॉन जैसी प्लास्टिक का गुण इसके सर्वथा विपरीत होता है। जितनी चिकनी सतह होगी, उससे वायरस के चिपकने की आशंका उतनी ही कम होगी। खुरदरी सतह वायरस को दूर रखती हैं, लेकिन इसका कतई मतलब न निकालें कि ये पूरी तरह सुरक्षित हैं। त्वचा आदर्श सतह साबित होती है। इसकी मृत कोशिकाओं की सतह पर मौजूद प्रोटीन और वसीय अम्ल वायरस से संपर्क में आते हैं। जब आप किसी स्टील की ऐसी सतह को छूते हैं जिस पर वायरस मौजूद होता है तो वायरस आपकी त्वचा से चिपककर आपके हाथ पर आ जाता है। इसके बावजूद अभी तक आप संक्रमित की श्रेणी में नहीं आएंगे। लेकिन जैसे ही अपने हाथ से खुद का चेहरा छुएंगे तो वायरस आपके चेहरे पर दस्तक दे देगा। अब वायरस आपके अंदरूनी हिस्सों तक नाक, आंख और मुंह के माध्यम से पहुंच बनाने को तैयार है। अब भी आपके बचने की संभावना है। अगर आपका प्रतिरक्षी तंत्र वायरस को मार देता है तो आप सुरक्षित हैं, अन्यथा संक्रमित होने में देर नहीं। माना जा रहा है कि कोविड-19 अनुकूल सतहों पर घंटों सक्रिय रह सकता है। संभवतया ये अवधि एक दिन की भी हो सकती है। नमी, सूर्य की किरणें और गर्मी वायरस को सक्रिय बने रहने में अहम भूमिका निभाती हैं।
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