हार्मोन के प्रति संवेदनशीलता से हृदय रोग के खतरे ज्यादा, इस शोध में हुआ खुलासा
ऐसे व्यक्ति जो तनाव के कारण पैदा हुए हार्मोन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं उनमें हृदय रोग के खतरे ज्यादा होते हैं। जो हार्मोन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं वे इसके नुकसान से बच जाते हैं। लोगों के शरीर पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है।
नई दिल्ली, एएनआइ। ऐसे व्यक्ति जो तनाव के कारण पैदा हुए हार्मोन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, उनमें हृदय रोग के खतरे ज्यादा होते हैं। जो हार्मोन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं, वे इसके नुकसान से बच जाते हैं। यही कारण है कि एक ही तरह का तनाव लोगों के शरीर पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। यह जानकारी यूरोपियन सोसाइटी फार पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलाजी की 59 वार्षिक बैठक में प्रस्तुत एक शोध में दी गई।
इस अध्ययन का उद्देश्य था कि तनाव के दौरान पैदा होने वाले हार्माेन के प्रति संवेदनशील और प्रतिरोधक दोनों ही तरह के लोगों पर इसका प्रभाव देखना। दिलचस्प बात ये है कि अध्ययन में जानकारी मिली कि ग्लूकोकार्टिकोइड्स प्रोटीन के प्रति संवेदनशील लोगों में हृदय रोग या स्ट्रोक के जोखिम ज्यादा देखे गए। इससे ये संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में इलाज की संभावनाओं को देखा जाना चाहिए।
ग्लूकोकार्टिकोइड्स (जीसी) शरीर में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले हार्मोन का समूह होता है, इसी समूह में तनाव से पैदा होने वाला हार्मोन कोर्टिसोल है। ये सभी स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही हार्मोन एलर्जी, अस्थमा और प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यह अध्ययन 101 स्वस्थ लोगों पर किया गया। हार्मोन के लिहाज से दो ग्रुप बनाए गए। एक वो जो हार्मोन को लेकर संवेदनशील थे और दूसरे जो हार्मोन को लेकर प्रतिरोधक क्षमता वाले थे। दोनों ग्रुपों को ही जीसी के डोज देने के बाद उनके प्रभाव देखे गए। अध्ययन में पाया गया कि हार्मोन के प्रति संवेदनशील लोगों में हृदय रोग या स्ट्रोक के ज्यादा खतरे मिले।
देश में कोरोना की ताजा स्थिति
सुबह जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले 24 घंटों में 28326 नए कोरोना के मामलों के साथ 260 लोगों की मौत हुई है। भारत में लगातार कोरोना वायरस के नए मामलों में उतार-चढ़ाव दर्ज हो रहा है।