Hindi Diwas 2019: वैश्विक हो रही हिंदी, PM मोदी समेत इन नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिया बढ़ावा

हिन्दी भाषा का विकास आज वैश्विक स्तर पर भी हो रहा है। इसके लिए पीएम मोदी से लेकर सुषमा स्वराज अटल विहारी वाजपेयी और कई मशहूर नेताओं का अहम योगदान रहा है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Sat, 14 Sep 2019 10:34 AM (IST) Updated:Sat, 14 Sep 2019 01:20 PM (IST)
Hindi Diwas 2019: वैश्विक हो रही हिंदी, PM मोदी समेत इन नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिया बढ़ावा
Hindi Diwas 2019: वैश्विक हो रही हिंदी, PM मोदी समेत इन नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिया बढ़ावा

नई दिल्ली, जेएनएन। हिन्दी हैं हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा... जैसा नारा हम सुनते हैं, लेकिन वर्तमान समय में हिंदी ना सिर्फ भारत तक सीमित हैं, बल्कि उसका दायरा वैश्विक हो चुका है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। पीएम मोदी को अक्सर आपने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी में बोलते हुए देखा या सुना होगा। जानें- उन प्रमुख लोगों के बारे में जिन्होंने हिंदी को वैश्विक बनाने में अहम योगदान दिया।

पिछले दिनों जब पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की तो उन्होंने हिंदी में अपनी वार्ता को अंजाम देने की पूरी कोशिश थी। यही नहीं, इससे पहले भी उन्होंने अपनी विदेशी यात्राओं पर हिंदी भाषा में ही भाषण दिए हैं। यह सब इस बात का प्रमाण है कि हिंदी भाषा ना सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर सभी के दिलों में हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी भाषा का विकास हो रहा है। पीएम मोदी के अलावा आजादी के समय से लेकर अब तक ऐसे तमाम भारतीय नेता रहें हैं, जिन्होंने हिन्दी को ग्लोबल बनाने में सराहनीय योगदान दिया है। 

सुषमा स्वराज ने दिया योगदान
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साल 2017 में यूएन में हिन्दी में भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत ने कई क्षेत्रों विकास किया है, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा से ही आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। इस भाषण के बाद सुषमा स्वराज की भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी जमकर तारीफ हुई थी।

अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने भाषण के लिए काफी मशहूर रहे हैं। आज भी उनके एक भाषण को काफी याद किया जाता है इसमें 1977 का वह भाषण है जो उन्होंने यूएन में हिंदी भाषा में दिया था। इस भाषण में उन्होंने मानव अधिकारों के साथ-साथ रंगभेद जैसे विषय का जिक्र किया। अपने भाषण में वह कविताओं का भी सहारा लेते थे, जो उनके भाषण को यादगार बना देता था।

हजारी प्रसाद द्विवेदी और मैथिली शरण गुप्त का योगदान
हिन्दी को भारत की राज्यभाषा बनाने के लिए मशहूर कवि हजारी प्रसाद द्विवेदी, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास ने संसद में यह विषय उठाया। इसके लिए कई रैलियों का भी आयोजन किया गया। इसके बाद 14 सितंबर को 1949 को भारतीय विद्वान, इतिहासकार, धर्मशास्त्री राजेंद्र सिन्हा के 50वें जन्मदिन पर संविधान सभा में हिन्दी को आधिकारिक भाषा चुना गया। यही फैसला 26 जनवरी 1950 को संविधान के लागू होने बाद प्रभाव में लाया गया। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को बताने के लिए घोषणा की थी कि हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

गांधी का योगदान
मोहनदास करमचंद गांधी ने हिंदी को राजभाषा बनाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई है। वे खुद गुजराती भाषी थे, लेकिन उन्हें चंपारण आंदोलन के समय समझ आया कि हिंदी भाषा लोगों को जोड़ने का काम करेगी। इसलिए सबसे पहले उन्होंने खुद हिंदी सीखी। इसके बाद हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए आंदोलन किए।

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