ये हैं दुनिया के सबसे लंबे रेल मार्ग, भारत का ये रूट भी लिस्ट में शुमार

चीन से ब्रिटेन तक के लंबे रेल मार्ग की बात चली है तो चलिए जानते हैं दुनिया के कुछ सबसे लंबे रेल मार्गों के बारे में।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Sat, 29 Apr 2017 04:49 PM (IST) Updated:Thu, 04 May 2017 05:52 PM (IST)
ये हैं दुनिया के सबसे लंबे रेल मार्ग, भारत का ये रूट भी लिस्ट में शुमार
ये हैं दुनिया के सबसे लंबे रेल मार्ग, भारत का ये रूट भी लिस्ट में शुमार

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पूरब और पश्चिम का एक होना अब तक आपने फिल्मों और किस्से-कहानियों में ही सुना होगा। लेकिन ऐसे अद्भुत और अकल्पनीय काम करने में हमारा पड़ोसी देश चीन महारत हासिल करता जा रहा है। ऐसा ही काम चीन ने ब्रिटेन से रेल मार्ग के जरिए जुड़कर किया है। दोनों देश 12 हजार किमी लंबे इस रेलमार्ग से जुड़कर एक-दूसरे के और करीब आ गए हैं। यह दुनिया का सबसे लंबा रेल मार्ग है। शनिवार को एक ट्रेन ब्रिटेन से चलकर पूर्वी चीन के यिवू शहर पहुंची है।

ब्रिटेन से चीन पहुंची यह मालगाड़ी कजाखिस्तान, रूस, बेलारूस, पोलैंड, जर्मनी, बेल्जियम और फ्रांस से होते हुए चीन पहुंची है। इस रेल सेवा से ब्रिटेन और चीन के व्यापारिक संबंध बढ़ने की उम्मीद जतायी जा रही है। 

यात्रियों और सामान को हजारों किमी दूर पहुंचाने के लिए दुनियाभर में रेलमार्ग विकसित किए गए हैं। चीन से ब्रिटेन तक के लंबे रेल मार्ग की बात चली है तो चलिए जानते हैं दुनिया के कुछ सबसे लंबे रेल मार्गों के बारे में। 

मॉस्को से पेंगयोंग रेल मार्ग

रूस की राजधानी मॉस्को से उसके पड़ोसी देश की राजधानी उत्तर कोरिया के बीच दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रेल मार्ग है। यह रेल मार्ग करीब 10260 किमी लंबा है। इस रेल मार्ग में ही मशहूर ट्रांस साइबेरियन रूट भी जुड़ा हुआ है, जो कभी दुनिया का सबसे लंबा रेल मार्ग था। इस रूट को पूरा करने में करीब साढ़े 8 दिन का वक्त लगता है।

मॉस्को-व्लादिवोस्टक रेल मार्ग

रूस की राजधानी मॉस्को और सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्टक तक ट्रांस-साइबेरियन रूट एक समय दुनिया का सबसे लंबा रेल मार्ग था। इस रूट की लंबाई करीब 9300 किमी है। इस रूट पर ट्रेन कई टाइम जोन को पार करते हुए शुरुआती स्टेशन से अंतिम स्टेशन तक पहुंचती है और इसमें करीब 6 दिन का वक्त लगता है।

मॉस्को-बीजिंग रेल मार्ग

रूस की राजधानी मॉस्को और चीन की राजधानी बीजिंग भी आपस में रेल मार्ग से जुड़े हैं। दोनों देशों की राजधानियों की दूरी वाया हरबिन 8984 किमी और वाया उलान बटोर 7826 किमी है। दोनों रूटों पर ट्रेन को एक छोर से दूसरी ओर पहुंचने में 5-6 दिन का समय लगता है।

ग्वांगझू-ल्हासा रेल मार्ग

चीन ने अपने प्रमुख शहर ग्वांगझू से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की राजधानी ल्हासा तक ट्रेन चलायी है। इस रूट की कुल लंबाई करीब 5 हजार किमी है। ल्हासा तक ट्रेन पहुंचाना तिब्बत पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने का चीन का बड़ा प्रयास है। इस रूट पर ट्रेन को एक तरफ से दूसरी तरफ पहुंचने में करीब ढाई दिन तक का वक्त लग जाता है।

शांघाई-यियिंग ट्रेन रूट

दुनिया के सबसे लंबे रेल मार्गों में शुमार इस मार्ग के दो स्टेशनों के बीच की दूरी करीब साढ़े 47 सौ किमी है। इस दूरी को पार करने में ट्रेन को करीब ढाई दिन का वक्त लगता है। चीन में ही ग्वांगझू-उरुम्की रूट भी करीब 4700 किमी लंबा है। इस रूट पर ट्रेन को यात्रा पूरी करने में करीब 2 दिन का समय लगता है।

टोरंटो-वैंकुवर रेल मार्ग

कनाडा का यह रेल मार्ग उत्तरी अमेरिका का सबसे लंबा रेल मार्ग है। करीब 45 सौ किमी लंबे इस रेल मार्ग पर ट्रेन को शुरुआती स्टेशन से अंतिम स्टेशन तक पहुंचने में करीब साढ़े तीन दिन तक का वक्त लगता है।


शिकागो-लॉस एंजलिस रेल मार्ग

यह रेल मार्ग संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे लंबा ट्रेन रूट है। करीब 4400 किमी लंबे इस रूट पर ट्रेन को एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचने में करीब तीन दिन का वक्त लगता है।

शांघाई-ल्हासा रेल मार्ग

चीन के प्रमुख शहर शांघाई से स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक चीन ने पटरी बिछाई है। इस रूट की कुल लंबाई करीब 4400 किमी है। ट्रेन को एक छोर से दूसरी तरफ पहुंचने में करीब दो दिन का समय लगता है।

दुनिया के 15 सबसे लंबे रेल मार्गों में भारत का डिब्रूगढ़-कन्याकुमारी रेलमार्ग भी है। इन दोनों स्टेशनों के बीच की कुल दूरी करीब 4300 किमी है। ट्रेन को शुरुआती स्टेशन से अंतिम स्टेशन तक पहुंचने में भी करीब 3 दिन का समय लग जाता है।

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