अब गरीब मरीजों की ज्यादा मदद कर सकेंगे स्वास्थ्य मंत्री, अनुदान राशि में इजाफा

गरीब मरीजों की इलाज में मदद के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अनुदान सीमा में बढ़ोतरी की गई है।

By Lalit RaiEdited By: Publish:Sat, 09 Jul 2016 03:13 AM (IST) Updated:Sat, 09 Jul 2016 06:51 AM (IST)
अब गरीब मरीजों की ज्यादा मदद कर सकेंगे स्वास्थ्य मंत्री, अनुदान राशि में इजाफा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अब गरीब मरीजों को ज्यादा आर्थिक मदद मुहैया करवा सकेंगे। उन्हें अपने विवेकाधीन कोटे के तहत जरूरतमंद मरीजों को सवा लाख रुपये तक का अनुदान देने का अधिकार होगा। इसी तरह जिन मरीजों की पारिवारिक आय सवा लाख रुपये तक है, वे भी इस मदद के लिए योग्य माने जाएंगे।

नियमों में बदलाव के साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अधिकारियों को यह भी आश्वस्त करने को कहा है कि यह मदद जारी होने में किसी तरह की देरी नहीं हो। पैसों की कमी की वजह से इलाज करवाने में असमर्थ जानलेवा बीमारियों के मरीजों को अब स्वास्थ्य मंत्री विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी) के तहत मदद हासिल करने के नियमों में वर्षो बाद बदलाव किया गया है। पहले यह मदद सिर्फ उन्हीं मरीजों को मिल सकती थी, जिनकी पारिवारिक आय एक लाख रुपये सालाना से अधिक नहीं हो। अब उन परिवार को भी यह मदद मिल सकेगी, जिनकी सालाना आय सवा लाख रुपये तक हो।

स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने कहा, नीट लागू करके रहेंगे

जिन मरीजों के इलाज में सवा लाख रुपये तक का खर्च आ रहा हो, उन्हें 75 हजार तक का अनुदान मिल सकेगा। इसी तरह सवा लाख से पौने दो लाख तक के खर्च के लिए एक लाख तक का अनुदान मिलेगा। जिन गरीब मरीजों के इलाज में पौने दो लाख रुपये से ज्यादा लगे हों, उन्हें स्वास्थ्य मंत्री अपने विवेकाधिकार कोटे से सवा लाख रुपये तक दे सकेंगे। पहले उन्हें अधिकतम एक लाख तक का अनुदान देने का ही अधिकार था।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंत्रालय के अधिकारियों को साफ तौर कह दिया है कि जो मरीज इस योजना के तहत मदद के लिए योग्य हैं, उन्हें इसका लाभ मिलने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए एम्स जैसे शीर्ष अस्पतालों के प्रशासन से भी अनुरोध किया गया है। इस समय केंद्र सरकार के पास गरीब मरीजों की आर्थिक मदद के लिए दो योजनाएं हैं। राष्ट्रीय आरोग्य निधि और स्वास्थ्य मंत्री का विवेकाधीन अनुदान।

राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत सिर्फ उन्हीं मरीजों को मदद मिल सकती है जो गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) हैं। जबकि स्वास्थ्य मंत्री के विवेकाधीन अनुदान के तहत अब उन मरीजों को भी लाभ मिल सकेगा, जिनकी सालाना आमदनी सवा लाख रुपये तक है।

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