केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री जे.पी.नड्डा ने कहा- नीट लागू करके रहेंगे
स्वास्थ्यमंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि हम नीट को लागू कर के रहेंगे। इसको लागू करते समय जो व्यवहारिक समस्याएं आती हैं उनको दूर करना भी संवेदनशील सरकार की जिम्मेवारी है। हम उतना ही कर रहे हैं। उसमें कोई आफ्टर थॉट नहीं है।
मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली। मेडिकल की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को ले कर चल रही रस्साकसी के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने दावा किया है कि सरकार इसे हर हाल में लागू करके रहेगी। इसी तरह मेडिकल काउंसिल (एमसीआइ) के विवादास्पद मुद्दे पर पहली बार उन्होंने खुल कर कहा है कि डेढ़ महीने के अंदर इसको बदलने का प्रस्ताव तैयार हो जाएगा। हालांकि उन्होंने सरकार से संगठन में अपनी वापसी को ले कर चल रही अटकलों पर कुछ नहीं कहा।
पेश है 'दैनिक जागरण' के साथ उनकी बातचीत के अंश-
प्रश्न- दो साल के दौरान सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या अहम काम किए हैं?
उत्तर- इस दौरान हमने एक साथ प्राथमिक स्वास्थ्य से ले शीर्ष स्तरीय चिकित्सा सुविधा तक को मजबूत करने पर बहुत तेजी से काम किया है। सरकार की इच्छाशक्ति को आप इसी से समझ सकते हैं कि टीकाकरण को ले कर हमने जो कार्यक्रम शुरू किया उससे एक साल के अंदर टीकाकरण का कवरेज पांच से सात फीसदी बढ़ गया। जबकि पहले हर साल एक फीसदी की बढ़ोतरी होती थी। यह तो शुरुआत है। हमने पक्का किया है कि अगले तीन-चार साल के अंदर देश में 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों को सभी टीके लगने लगेंगे। इसी तरह हमने कई नए टीके शुरू किए हैं। पोलियो से दोहरी सुरक्षा दिलाने के लिए अब इंजेक्टेबल टीके लाए गए हैं। बच्चों को गंभीर उल्टी-दस्त की समस्या से बचाने के लिए रोटावायरस टीका शुरू किया गया है। दिमागी बुखार प्रभावित इलाकों में वयस्कों को भी टीके लगाने शुरू किए हैं। इसी तरह मीजल्स और रुबेला के टीके को भी मंजूरी दे दी गई है।
यह एक बड़ी उपलब्धि है कि जच्चा और नवजात बच्चे के टिटनस से भारत को मुक्ति मिल गई है। हमने परिवार नियोजना के विकल्प को बढ़ाते हुए पहली बार इंजेक्टिबल गर्भनिरोधक भी उपलब्ध करवाया है। 'नेशनल डीवार्मिंग डे' के तहत पिछले साल नौ करोड़ बच्चों को और इस साल 20 करोड़ बच्चों को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाई गई है। इस एक दवा से हम बच्चों की कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
प्रश्न- इस सरकार में आइटी पर बहुत जोर रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र में यह बेहद उपयोगी भी है। इस दौरान क्या किया गया?
उत्तर- जच्चा और बच्चा को नियमित सहयोग देने के लिए एमसीटीसी (मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम) के तहत चार करोड़ अतिरिक्त माताओं और बच्चों को रजिस्टर किया गया है। उन्हें हम नियमित तौर पर वायस मैसेज के जरिए दवा और टीकों आदि के बारे में संदेश दे रहे हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मदद के लिए 'किलकारी' और 'मोबाइल एकेडमी' शुरू की गई हैं। 'अनमोल' ऐप शुरू किया गया है जिसके जरिए एएनएम नर्स सभी आंकड़े आनलाइन भेज सकती हैं। 'ई-रक्तकोष' के जरिए सभी ब्लड बैंक को आनलाइन किया जा रहा है। तंबाकू की आदत छोडऩे के लिए मोबाइल सेसेशन और काउंसलिंग सेवा शुरू की गई है।
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प्रश्न- आप जिस जज्बे के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र की बात कर रहे हैं उससे क्या मान लिया जाए कि आपका मंत्रालय बदले जाने या पार्टी में अहम जिम्मेवारी दिए जाने की बातें गलत हैं ?
उत्तर - (मुस्कुराते हुए) मैंने जीवन में कभी कल की नहीं सोची है। आज की सोचता हूं और अभी की सोचता हूं। मैंने कभी महत्वाकांक्षा नहीं पाली है। काम को साधना माना है।
प्रश्न- सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने खुद कहा कि नीट परीक्षा के लिए तैयार है। स्वास्थ्य मंत्रालय, एमसीआइ, सीबीएसई सबने रजामंदी दी। अब इस पर...
उत्तर- जो राज्यों की ओर से फीडबैक आता है समय-समय पर उनका निवारण करने की जरूरत होती है। नीट को शुरू केंद्र सरकार ने ही किया था और हम उस पर पूरी तरह कायम हैं। हम नीट को लागू कर के रहेंगे। उसको लागू करते समय जो व्यवहारिक समस्याएं आती हैं उनको दूर करना भी संवेदनशील सरकार की जिम्मेवारी है। हम उतना ही कर रहे हैं। उसमें कोई आफ्टर थॉट नहीं है। राज्यों से विमर्श की प्रक्रिया में दो मुद्दे आए हैं। पहले भी जो नीट परीक्षा हुई थी, उसमें क्षेत्रीय भाषाएं शामिल थीं। हम सीबीएसई से कहते रहे कि इसके लिए तैयारी कीजिए। मगर वे इसे लागू नहीं कर पा रहे हैं। अब हमें रास्ते तो ढूंढऩे पड़ेंगे। उसी तरह से राज्यों के अलग पाठ्यक्रम का भी एक मुद्दा है। इन सब को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। नीट लागू हो कर रहेगा। नीट का फस्ट फेज हो चुका है। नीट का दूसरा फेज भी होगा।
प्रश्न - लेकिन इन सारे मुद्दों पर तो सुप्रीम कोर्ट में विचार हो चुका है...
उत्तर- एक संवेदनशील सरकार होने के नाते हमें भी तो रिस्पांड करना है ना।
प्रश्न- इसी तरह तंबाकू उत्पादों पर बड़ी चेतावनी को ले कर भी अदालत से काफी खींचतान हुई..
उत्तर- इस विषय पर हमें बोले बिना काम करना जरूरी है। हमारा मंतव्य और गंतव्य सही है। उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उसी तरफ बढ़ेंगे।
प्रश्न- गांव में डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए क्या योजना है?
उत्तर- इसके लिए हमें मेडिकल शिक्षा में ही परिवर्तन करना होगा। हम उसी पर काम कर रहे हैं। बहुत जल्द ही उस पर नतीजे पर पहुंच जाएंगे।
प्रश्न- क्या अलग से ग्रामीण डाक्टरी के पाठ्यक्रम को मंजूरी देंगे?
उत्तर - अभी इस बारे में कुछ कहेंगे तो दिक्कत आएंगी। मेडिकल काउंसिल से ले कर डाक्टरों के एसोसिएशनों से बात कर रहे हैं।
प्रश्न - सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एमसीआइ की जगह कोई तंत्र बनाना होगा। यह काम कब तक हो पाएगा?
उत्तर- इस दिशा में पानागढिय़ा समिति काम कर रही है। डेढ़ महीने के अंदर समिति को रिपोर्ट दे देना है। फिर हम उस पर विचार करने के बाद बहुत जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में बताएंगे।
प्रश्न- स्वास्थ्य के बजट को देख कर लगता नहीं कि यह सरकार की प्राथमिकता है...
उत्तर- इस बार किसी ने भी ऐसा नहीं बोला। राज्यसभा में स्वास्थ्य पर चर्चा के दौरान विपक्षियों तक ने यही कहा कि बहुत अच्छा आवंटन हुआ है। इस बार 39 प्रतिशत बढ़ोतरी है। 22 हजार करोड़ से 33 हजार करोड़ हो गया है।
प्रश्न - आप देश के स्वास्थ्य मंत्री है। हमेशा तरो-ताजा दिखते हैं। तो खुद को स्वस्थ रखने के लिए क्या करते हैं?
उत्तर- भगवान आशीर्वाद बनाए रखे। जो लाइफ स्टाइल बीमारियां हैं, उनसे बचने का प्रयास करता हूं। स्वस्थ रहने कि लिए जीवनशैली में संयम रखने की आवश्यकता है। तनाव से सिर्फ उच्च रक्तचाप और मधुमेह ही नहीं कैंसर तक होता है। जल्दी ही मैं मंत्रालय से इस पर एक बड़ा जागरुकता अभियान भी शुरू करवाने वाला हूं।